सुप्रीम कोर्ट ने जिसकी नियुक्ति की, यूपी पुलिस ने उसी को कर लिया गिरफ्तार

उत्तर प्रदेश में राम राज्य है और यहाँ की पुलिस उच्चतम न्यायालय को भी कुछ नहीं समझती। उच्चतम न्यायालय ने जिसकी नियुक्ति की, यूपी पुलिस ने उसी को गिरफ्तार कर लिया, जब यह बात उच्चतम न्यायालय के संज्ञान में आई तो उस ने तुरंत रिहाई के आदेश पारित किये और जांच अधिकारी बिजेंद्र सिंह को नोटिस जारी करते हुए उच्चतम न्यायालय ने पूछा कि इस तरह की कठोर कार्रवाई करने के लिए उनके खिलाफ उचित कार्रवाई क्यों न की जाए। न्यायालय ने कहा कि वह आज से दो सप्ताह के भीतर अपना व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करेंगे। दो सप्ताह के बाद रिट याचिका को सूचीबद्ध करें।

कर्ज में डूबे जेपी इंफ्रा लिमिटेड (जेआईएल) के मामलों के प्रबंधन के लिए कोर्ट ने अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी) को नियुक्त किया था। उत्तर प्रदेश पुलिस ने एक आपराधिक मामले में आईआरपी को गिरफ्तार किया था। मंगलवार को उच्चतम न्यायालय के जस्टिस  एएम खानविलकर और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने गिरफ्तारी पर हैरानी जतायी और उन्हें तत्काल रिहा करने का आदेश देते हुए संबंधित कर्मी को कारण बताओ नोटिस जारी किया।

पीठ ने कहा कि मामले से निपटने वाले पुलिस अधिकारी आईबीसी के तहत अदालत द्वारा नियुक्त अंतरिम समाधान पेशेवर के विशेषाधिकार के प्रावधानों से परिचित नहीं हैं। अनुज जैन को इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (आईबीसी) के तहत शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त किया गया था और उन्हें कंपनी को पटरी पर लाने के लिए समाधान प्रक्रिया तक जेपी इंफ्रा के कामकाज को सुनिश्चित करने का काम सौंपा गया था।

जैन को ग्रेटर नोएडा पुलिस ने सोमवार को मुंबई से एक प्राथमिकी के सिलसिले में गिरफ्तार किया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि 165 किलोमीटर लंबे यमुना एक्सप्रेसवे के संचालक जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड (जेआईएल), और उसके आईआरपी अनुज जैन ने सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए 2018 में किए गए सुरक्षा ऑडिट में आईआईटी द्वारा सुझाये गए सुरक्षा उपाय नहीं अपनाये।

पीठ ने ग्रेटर नोएडा पुलिस और संबंधित मजिस्ट्रेट को आदेश दिया कि वह ईमेल के माध्यम से उसका आदेश प्राप्त होने पर बिना किसी शर्त के जैन को रिहा करें। पीठ ने रजिस्ट्रार जनरल (न्यायिक) के कार्यालय से कहा कि वह न्यायिक मजिस्ट्रेट के कार्यालय को तत्काल अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए फोन करें।

पीठ ने कहा कि उत्तर प्रदेश पुलिस ने जिला ग्रेटर नोएडा में पुलिस थाना बीटा-दो में दर्ज प्राथमिकी नंबर 0098/2021 से उत्पन्न मामले में जिस तरह से कार्य किया, उसे देखकर हम हैरान हैं। इसमें अनुज जैन की गिरफ्तारी का कदम शामिल है जो अदालत द्वारा पारित आदेश के अनुसार उस क्षमता में काम कर रहे थे और जिन्हें उक्त कंपनी के कामकाज का जिम्मा सौंपा गया था। पीठ ने कहा कि इस बीच, हम आवेदक अनुज जैन को तत्काल रिहा करने का निर्देश देते हैं जो वर्तमान में पुलिस थाना, बीटा- दो, जिला ग्रेटर नोएडा, उत्तर प्रदेश की हिरासत में हैं और जिन्हें आज मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, गौतम बुद्ध नगर की अदालत के समक्ष पेश किया गया।

पीठ ने राज्य सरकार की इस प्रतिक्रिया पर आश्चर्य व्यक्त किया कि जांच अधिकारी, बिजेंद्र सिंह का विचार था कि आईआरपी अभियोजन से बचने के लिए किसी भी समय भारत छोड़ सकते हैं और उनकी उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए उन्हें मुंबई से गिरफ्तार करना आवश्यक समझा। पीठ ने कहा कि हम इस मामले के विस्तृत पहलू की जांच पड़ताल उचित समय पर करेंगे। हम इस अर्जी को आवेदक द्वारा भारत के संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर रिट याचिका मानेंगे और उसे तदानुसार सूचीबद्ध किया जाए। आदेश में कहा गया है कि हम जांच अधिकारी को निर्देश देते हैं कि प्राथमिकी के संबंध में आवेदक के खिलाफ अगले आदेश तक कोई दंडात्मक कार्रवाई न करें।

(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार और कानूनी मामलों के जानकार हैं। वह इलाहाबाद में रहते हैं।)

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