इफ्को: अधिकारियों पर गिरी हादसों की गाज, यूनिट हेड समेत 11 अफसर निलंबित

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प्रयागराज जिले के फूलपुर में स्थित इफ्को फर्टिलाइजर कंपनी के प्रबन्ध तन्त्र पर लापरवाही की गाज आखिर गिर ही गयी और फूलपुर इफ्को इकाई के यूनिट हेड एवं कार्यकारी निदेशक एम मसूद को कम्पनी के प्रबंध निदेशक डॉ यूएस अवस्थी ने तत्काल  प्रभाव से निलम्बित कर दिया है और यहाँ वरिष्ठता में नम्बर दो पर तैनात संजय कुदेशिया को फूलपुर यूनिट का प्रभार सौंप दिया है। इसके अलावा दस और वरिष्ठ अधिकारियों को कर्तव्य में शिथिलता एवं लापरवाही के लिए प्रबंध निदेशक डॉ अवस्थी ने तत्काल प्रभाव से निलम्बित कर दिया है। फूलपुर स्थित इफ्को फर्टिलाइजर कंपनी में  पिछले तीन महीने में दो बड़े हादसे हो गये जिनमें दो अधिकारियों सहित पांच लोगों की मौत हो गयी और कई दर्जन घायल हो गये। इफ्को फर्टिलाइजर प्लांट में फिल वक्त वार्षिक अनुरक्षण के लिए शटडाउन चल रहा है। दोनों हादसों में प्रथम दृष्ट्या मानवीय चूक नजर आ रही है?  

जिन 11 शीर्ष अधिकारियों को निलंबित किया गया है उनमें यूनिट हेड एवं कार्यकारी निदेशक एम मसूद का निलंबन ऐतिहासिक है क्योंकि इफ्को के स्थापना से लेकर अब तक पांच प्लांटों में पहली बार किसी यूनिट हेड पर अकुशलता और कर्तव्य पालन में शिथिलता के लिए निलंबन की कार्रवाई की गयी है। 

इसके अलावा 23 मार्च को ब्यायलर फटने के हादसे में टी रामाकृष्णा संयुक्त मैनेजर यूटिलिटी, एके दीक्षित,चीफ मैनेजर पावर, एके सिंह, फायर एंड सेफ्टी हेड तथा पावर प्लांट के वाई एस यादव (मैनेजर),बबलेश मिश्र (चीफ ओपरेटर पावर),भुवन चन्द्र (मैनेजर पावर) और सीएन राम(डिप्टी मैनेजर) को निलंबित कर दिया गया है।  

‌‌इसके पहले दिसम्बर में अमोनिया लीक के हादसे के सम्बन्ध में एसबी भारतीय (मैनेजर मैकेनिकल),आरआर विश्वकर्मा(मैनेजर) तथा काशी सिंह यादव(डिप्टी मैनेजर) को निलंबित कर दिया गया है।  

गौरतलब है कि फूलपुर में स्थित इफ्को फर्टिलाइजर कंपनी में मंगलवार 23 मार्च  को अपरान्ह लगभग एक बजे वार्षिक देखरेख के लिए चल रहे प्लांट शटडाउन के बीच बॉयलर फटने से बड़ा हादसा हो गया जिसमें दो कर्मचारियों की मौत हो गई थी व कई अन्य कर्मचारी गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इसी हादसे में घायल तीसरे मजदूर वेणुगोपाल पुत्र परमेश्वरी ग्राम दिलीपपुर टांडा जनपद बरेली की इलाज के दौरान शुक्रवार को मौत हो गई।फिलवक्त इस हादसे की चार चार जाँचें चल रही हैं और पुलिस आपराधिक मुकदमा दर्ज करके विवेचना कर रही है लेकिन न तो पुलिस न जांच टीम अभी तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई हैं।

गौरतलब है कि दिसंबर में जो घटना हुई थी वह रात में अमोनिया के लीक होने के कारण से हुई थी,जिसमें इफ्को के ही दो अधिकारी दम घुटने से मर गए थे इस बार की घटना 3 महीने बाद हुई और भरी दुपहरी में हुई जब मजदूर खाना खा रहे थे। आंतरिक जांच कमेटी की रिपोर्ट में उस समय ड्यूटी पर जो तैनात थे उनकी ही लापरवाही पाई गई थी। दो वर्ष से प्लांट को वार्षिक अनुरक्षण में नहीं लिया गया था लेकिन इसके बाद  तत्काल वार्षिक साफ सफाई और मरम्मत करने का निर्णय हुआ। लेकिन शटडाउन के बीच में ही पुनः यह हादसा हो गया, जिसकी किसी को भी आशंका नहीं थी।

दरअसल इफ्को का गैस आधारित यूरिया प्लांट पूरी तरह स्वचालित है जिसका नियन्त्रण कम्प्यूटरों द्वारा बंद कक्ष के बाहर से किया जाता है। यदि कक्ष में तैनात कर्मी सावधानी से कार्य करें तो प्लांट की किसी गड़बड़ी को केवल कुछ बटनों को दबा देने से किया जा सकता है। इसे देखते हुए इस बात की पूरी आशंका है कि इफ्को हादसा मानवीय चूक का परिणाम हो सकता है? इसके पहले दिसंबर में अमोनिया लीक की जो घटना हुई थी जिसमें इफ्को के ही दो अधिकारी दम घुटने से मर गए थे की जाँच भी अभी लम्बित है।

इफ्को हादसे की सरकार द्वारा गठित तीन हाई पावर कमेटी भी जांच कर रही है, जिसमें एक बॉयलर निदेशक कार्यालय से गठित की गई है दूसरा उप श्रम आयुक्त सहित  कारखाना निदेशक द्वारा गठित की गई है तथा तीसरी जिला प्रशासन द्वारा जांच की जा रही है। इन सारी जांचों के अलावा इफ्को प्रबंध तंत्र अपनी एक आंतरिक जांच कमेटी गठित कर रखी है जिसमें एक महाप्रबंधक और एक मुख्य प्रबंधक शामिल हैं। समझा जाता है कि इफ्को प्रबंध तंत्र की अपनी आंतरिक जांच में प्रथमदृष्ट्या मानवीय चूकों के लिए जिम्मेदार यूनिट हेड सहित 11 शीर्ष अधिकारियों को निलंबित किया गया है।

दरअसल कि गैस आधारित यह प्लांट में यहां उसी से ही बिजली बनाने का भी कार्य होता है। पावर प्लांट मैं चार बॉयलर से स्टीम दिया जाता।वार्षिक मरम्मत का कार्य चलने के कारण चुकी उत्पादन नहीं हो रहा था। नतीजतन तीन बॉयलर बंद कर दिए गए थे और मात्र एक बॉयलर चल रहा था। जो बॉयलर चल भी रहा था वह नया था, जिससे उसमें कोई खराबी होने की आशंका भी नहीं थी इसके बावजूद  कैसे बॉयलर फटा और प्रेशर कैसे अधिक हुआ यह जांच का विषय है।अब या तो  उस समय ड्यूटी पर तैनात रहे लोगों से कहीं न कहीं लापरवाही हुई अथवा सेफ्टी पॉइंट को बाईपास कर दिया गया। जिससे यह  हादसा  हो गया । 

उल्लेखनीय है कि संस्था के प्रबंध निदेशक डॉ उदय शंकर अवस्थी का स्पष्ट निर्देश है कि शत-प्रतिशत सेफ्टी और सुरक्षा का पालन जरूरी है भले ही उत्पादन क्यों ना कम हो जाए लेकिन सुरक्षा और सेफ्टी का उल्लंघन किसी भी कीमत पर नहीं होना चाहिए। उनका कहना है कि पैसे की क्षति की भरपाई तो की जा सकती है लेकिन मानवीय क्षति होने पर उसकी पूर्ति नहीं हो सकती और संस्था के लिए वह एक कलंक हो जाता है। अंततः प्रबंध निदेशक ने लापरवाही की गज यहाँ के शीर्ष अधिकारियों पर गिरा दी।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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