केरल हाईकोर्ट से चुनाव आयोग व मोदी सरकार को झटका, कहा-2 मई से पहले कराए जाएं 3 सीटों के राज्यसभा चुनाव

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केरल से रिक्त हो रहे 3 राज्यसभा सीटों के चुनाव को लेकर केरल हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग और मोदी सरकार को तगड़ा झटका दिया है और राज्यसभा चुनाव को लेकर एक बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि जिन तीन राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव होना है, वह मौजूदा विधानसभा के कार्यकाल में ही निपटाया जाएगा। इससे पहले चुनाव आयोग ने अपने बयान में केरल हाईकोर्ट से कहा था कि इन तीन राज्यसभा सीटों पर चुनाव नई विधानसभा के कार्यकाल में करवाया जाएगा, ऐसा केंद्र का कानून मंत्रालय भी चाहता है। अब जस्टिस पीवी आशा की एकल पीठ ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा है कि 21 अप्रैल को खाली हो रहीं इन तीन राज्यसभा सीटों पर 2 मई से पहले चुनाव हो। 2 मई को बाकी 4 राज्यों समेत केरल विधानसभा चुनाव के भी नतीजे आएंगे।

केरल के तीन सांसद, आईयूएमएल के अब्दुल वहाब, के के रागेश (माकपा) और वायलार रवि (कांग्रेस) आगामी 21 अप्रैल को राज्यसभा से सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इससे पहले एकल पीठ ने आयोग को निर्देश दिया था कि वह राज्यसभा चुनाव कराने पर अपने फैसले की जानकारी देते हुए बयान दाखिल करें।

हाईकोर्ट में कुछ ऐसी याचिकाएं दायर की गई थीं जिसमें विधानसभा चुनाव के साथ ही राज्यसभा चुनाव करवाने की मांग की गई थी। पिछली सुनवाई में एकल पीठ को चुनाव आयोग की तरफ से बताया गया था कि अब जब विधानसभा चुनाव हो चुके हैं तो जो नए विधायक चुनकर आएंगे। उनको राज्यसभा सदस्य चुनने का अधिकार होगा। चुनाव आयोग ने कहा कि यही सही कानूनी प्रक्रिया होगी। कहा गया कि मौजूदा विधायकों को यह शक्ति देना ठीक नहीं माना जा सकता। लेकिन अब हाईकोर्ट ने ऐसा ही करने का आदेश जारी कर दिया है।

इस दौरान नौ अप्रैल को चुनाव आयोग ने शुक्रवार को केरल हाईकोर्ट को सूचित किया है कि उसने 21 अप्रैल को तीन सांसदों के कार्यकाल की समाप्ति से पहले केरल से राज्यसभा की तीन सीटों के लिए द्विवार्षिक चुनाव की घोषणा करने और कार्यक्रम को अधिसूचित करने का निर्णय लिया है। हाईकोर्ट में दाखिल अपने बयान में, आयोग ने, हालांकि राज्यसभा की तीन सीटों पर चुनाव कराने की तारीख का उल्लेख नहीं किया है ।

आयोग ने राज्य विधानसभा और राज्य में सत्तारूढ़ माकपा द्वारा दायर की गई याचिकाओं के जवाब में यह बयान दाखिल किया। इन याचिकाओं में राज्यसभा में राज्य से तीन सीटों के प्रस्तावित चुनाव के लिए कार्यवाही को स्थगित रखने संबंधी चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती दी गई है। इससे पहले, अदालत ने आयोग को निर्देश दिया था कि वह राज्यसभा चुनाव कराने पर अपने फैसले की जानकारी देते हुए बयान दाखिल करे।

बयान में, आयोग ने कहा कि चुनाव के लिए कार्यवाही को स्थगित रखने का निर्णय विधि और न्याय मंत्रालय के एक मुद्दे पर विचार करके लिया गया था। इसमें कहा गया है कि विधि मंत्रालय ने केरल में छह अप्रैल को होने वाले विधानसभा चुनावों को निर्दिष्ट किया था और पूछा था कि क्या वैधानिक रूप से यह कवायद संभव है जहां निवर्तमान विधानसभा के सदस्य राज्यसभा के सदस्यों के लिये मतदान कर सकें।

आयोग के अनुसार विधि मंत्रालय ने पूछा था कि क्या यह कानूनी रूप से सही है कि निवर्तमान विधानसभा के सदस्य 12 अप्रैल को राज्यसभा सदस्यों के चयन के लिए मतदान करेंगे, जबकि छह अप्रैल को नए विधानसभा के लिए चुनाव हो चुके होंगे।

अपने बयान में, आयोग ने कहा कि जबकि वर्तमान विधानसभा के कार्यकाल की समाप्ति की तारीख विचार के लिए एक प्रासंगिक कारक हो सकती है लेकिन यह ऐसे चुनावों की समय-सारणी निर्धारित करने का एकमात्र आधार नहीं हो सकता है जो अंततः उस सदन के कामकाज को प्रभावित करते हैं जहां से रिक्तियां संबंधित हैं, जैसे कि उच्च सदन। बयान में कहा गया है कि इस मामले में 21 अप्रैल, 2021 को इन सदस्यों के कार्यकाल की समाप्ति से पहले अधिसूचना जारी की जानी चाहिए। पहले घोषित कार्यक्रम के अनुसार केरल से रिक्त हो रही तीन सीटों के चुनाव 12 अप्रैल को होने थे।

केरल से राज्‍यसभा की तीन सीटों पर 12 अप्रैल को चुनाव होने थे, जिन्‍हें चुनाव आयोग ने टाल दिया था । इस पर केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा था कि इस तरह के फैसले को सिर्फ देश के लोकतंत्र और संविधान पर हमले के तौर पर देखा जा सकता है। इस कदम को अनुच्छेद 324 का उल्लंघन करार देते हुए विजयन ने इस फैसले के पीछे का कारण जानना चाहा था ।

दरअसल केरल से राज्यसभा की तीन सीटों के चुनाव कार्यक्रम को केंद्र की तरफ से कुछ मुद्दों को लेकर लाल झंडी दिखाए जाने के बाद निर्वाचन आयोग द्वारा इन्हें टाले जाने के फैसले पर केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कड़ी आपत्ति जताई थी। इन सीटों के लिये चुनाव 12 अप्रैल को होने थे और अधिसूचना जारी होनी थी। केरल में विधानसभा चुनाव छह अप्रैल को होने हैं जबकि दो मई को मतगणना होगी।

विजयन ने कहा था कि निर्वाचन आयोग ने चुनाव की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। लेकिन अचानक इसे रोक दिया गया। इस तरह के फैसले को सिर्फ देश के लोकतंत्र और संविधान पर हमले के तौर पर देखा जा सकता है। केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली राजग सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा था कि उसे चुनाव निकाय के मामलों में दखल देने का कोई अधिकार नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा था कि संविधान के अनुच्छेद 324 में कहा गया है कि संसद, राज्य विधानसभा, राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति का चुनाव कराने के अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण की शक्ति निर्वाचन आयोग में निहित हैं।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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