
नई दिल्ली। पीएमओ के सामने निर्वस्त्र प्रदर्शन के बाद तमिलनाडु के किसानों ने मंगलवार को दाल चावल सड़क पर रखकर खाया। इसके पहले किसान मुंह में चूहे और सांप रखने के जरिये अपना विरोध जता चुके हैं। इसके साथ ही इस आंदोलन को 29 दिन बीत गए हैं। किसानों द्वारा दबाव के तमाम तरीके अपनाए जाने के बाद भी सरकार ने अभी तक उनकी सुध नहीं ली है।
संसद भी नहीं सुनी
हालांकि कल प्रधानमंत्री ने संसदीय दल की बैठक को संबोधित किया लेकिन उसमें भी इन किसानों का कोई जिक्र नहीं था। संसद के भीतर डीएमके नेता त्रिची शिवा ने मामले को जरूर उठाया। उन्होंने इस पर बहस कराने की भी मांग की लेकिन चेयर ने इंकार कर दिया। बाद में केवल उन्हें दो मिनट में अपनी बात रखने की इजाजत दी गयी।
किसानों ने भी जिद ठानी
लेकिन किसानों ने भी जिद ठान ली है। उनका कहना है कि जब तक कर्ज माफी और किसानों की फसलों के लिए विशेष पैकेज की घोषणा नहीं की जाती उनका आंदोलन जारी रहेगा। इस बीच आंदोलन में शामिल कुछ किसान अगर बीमार हो रहे हैं तो उन्हें घर भेज दिया जा रहा है। लेकिन उसके साथ ही दूसरे किसान प्रदर्शन में शामिल हो जा रहे हैं।
विजयकांत की पत्नी ने की मुलाकात
मंगलवार को डीएमडीके पार्टी के मुखिया विजयकांत की पत्नी प्रेमलता विजयकांत ने जंतर-मंतर पर किसानों के साथ दाल-चावल खाकर उनके साथ अपनी एकजुटता जाहिर की। हालांकि उन्होंने पीएमओ के सामने निर्वस्त्र प्रदर्शन को अतिवादी करार दिया। किसानों को इससे बचने की सलाह दी। बताया जाता है कि इस तरह से दाल चावल तमिलनाडु के मंदिरों में खाया जाता है। जिसमें ईश्वर से अपने लिए दुआ मांगी जाती है। ऐसा माना जा रहा है कि किसानों ने इसके जरिये अपनी मांगों को पूरा करन के लिए ईश्वर से प्रार्थना की है।
किसानों को जंतर-मंतर पर रहते तकरीबन एक महीना बीत गया है। ये वहीं खाना खाते हैं। वहीं स्नान करते हैं। वहीं सोते हैं। उनकी पूरी दिनचर्या वहीं पूरी होती है। उनका कहना है कि वो जंतर-मंतर तब तक नहीं छोड़ेंगे जब तक कि सरकार उनकी मांगों को मान नहीं लेती है।
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