गौतम अडानी के अडानी ग्रुप की कंपनियां पिछले काफी समय से विवादों में बनी हुई हैं। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मॉरिशस के फंड हाउसेज के निवेश वाली कंपनियों की जांच भी हो चुकी है। अब अडानी ग्रुप से जुड़े विदेशी फंडों का डिफॉल्टर कंपनियों से नाता सामने आया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, मॉरिशस के फंड हाउस एलेरा इंडिया अपॉर्च्यूनिटीज फंड, क्रेस्टा फंड, अलबुला इन्वेस्टमेंट फंड और एपीएमएस फंड का अडानी ग्रुप की कंपनियों में 6.9 अरब डॉलर करीब 51 हजार करोड़ रुपए का निवेश है। इससे पहले इन चारों फंड हाउस की दो ऐसे कंपनियों में बड़ी हिस्सेदारी थी, जिनके फाउंडर भारत छोड़कर भाग गए हैं। तब इनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग की जांच की गई थी।
मॉरिसस फंड हाउस के निवेश वाली एक अन्य कंपनी दिवालिया हो चुकी है। जबकि एक अन्य कंपनी इथोपियन सरकार से विवाद के बाद बंद ही हो गई। इन चारों फंड हाउसेज के अडानी ग्रुप में निवेश को लेकर टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा भी सवाल उठा चुकी हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, चारों फंड हाउस टैक्स हैवन देश मॉरिशस में रजिस्टर्ड हैं और इनके मालिकाना हक को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है। फर्स्टपोस्ट की 2018 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पैसों की कथित हेराफेरी को लेकर क्रेस्टा, अलबुला और एलेरा का कम से कम 1 जांच में नाम शामिल रहा है। भारतीय कानूनों के तहत पैसे को लौटाने से पहले शैल कंपनी को ट्रांसफर करना गैरकानूनी है। रिपोर्ट के मुताबिक, इससे भारतीय एजेंसियों को पैसे के असली मालिक की पहचान के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है।
विपक्षी सांसदों ने लगाए गौतम अडानी पर आरोप: इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद कुछ विपक्षी सांसदों का कहना है कि कहीं गौतम अडानी मॉरिशस के फंड हाउस के जरिए अपने पैसे की हेराफेरी तो नहीं कर रहे हैं, इसकी जांच होनी चाहिए।
पूर्व बैंकर और टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने पिछले सप्ताह इन फंड हाउसेज से जुड़े पैसे के मालिकाना हक को लेकर संसद में सवाल उठाया था। महुआ का कहना था कि इससे जुड़ी जानकारी सार्वजनिक होनी चाहिए क्योंकि अडानी ग्रुप की पोर्ट्स, एयरपोर्ट्स और पावर प्लांट्स जैसे देश के स्ट्रैटजिक इंफ्रास्ट्रक्चर में भागीदारी है।
टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा के सवाल के जवाब में पंकज चौधरी ने बताया कि राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) भी अडानी समूह की कई कंपनियों की जांच कर रहा है। क्या इनकम टैक्स विभाग भी इन कंपनियों की कोई जांच कर रहा है। इसके जवाब में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि आयकर कानूनों के मुताबिक किसी टैक्सपेयर से संबंधित जानकारी का खुलासा नहीं किया जा सकता। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) अपने नियमों के अनुपालन को लेकर अडानी समूह की कई कंपनियों की जांच कर रहा है। वित्त राज्य मंत्री ने इस बात से इंकार किया कि अडानी समूह के कंपनियों में एफपीआई के निवेश के बारे में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) कोई जांच कर रहा है।
वित्त राज्य मंत्री ने इस खबर की पुष्टि की है तीन ऐसे विदेशी फंडों का अकाउंट फ्रीज किया गया था जिन्होंने अडानी में निवेश किया है। गौरतलब है कि एनएसडीएल ने इन फंडों के अकाउंट को फ्रीज करने से इंकार किया था। पंकज चौधरी ने कहा कि कुछ भारतीय लिस्टेड कंपनियों द्वारा ग्लोबल डिपॉजिटरी रीसीट (जीडीआर) जारी करने के संबंध में सेबी ने 16 जून, 2016 के अपने आदेश में डिपॉजिटरीज को यह निर्देश दिया था कि वे अलबुला इन्वेस्टमेंट फंड, क्रेश्ता फंड और एपीएमएस इन्वेस्टमेंट फंड जैसे कई एफपीआई के बेनिफिशियरी अकाउंट को फ्रीज करें।
मोइत्रा ने ब्लूमबर्ग न्यूज से कहा है कि हम जानना चाहते हैं कि यह किसका पैसा है। यदि यह पैसा अडानी का है तो आंशिक शेयरहोल्डर्स मुश्किल में हैं। यदि नहीं तो फिर किस विदेशी व्यक्ति की हमारे स्ट्रैटजिक असेट्स में हिस्सेदारी है।
इस मामले में अडानी ग्रुप के प्रवक्ता का कहना है कि हम विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को लेकर कुछ नहीं कह सकते हैं। हम सेबी के नियमों का हमेशा पालन करते हैं। सेबी ने पहले जो भी जानकारी ग्रुप की कंपनियों से मांगी थी, वो उपलब्ध करा दी गई थी। हाल ही में सेबी ने ग्रुप की कंपनियों से कोई जानकारी नहीं मांगी है। जून में सीएनबीसी-टीवी 18 से बातचीत में अडानी ग्रुप के चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर ने कहा था कि यह फंड हाउस दशकों से हमारे निवेशक हैं और उनकी ग्रुप कंपनियों में होल्डिंग डी-मर्जर का नतीजा है।
इस बीच अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी के लिए कारोबारी मोर्चे पर बुरी खबर आई है। अडानी ग्रुप ने 2019 में अडानी एयरपोर्ट होल्डिंग्स लिमिटेड के जरिए एविएशन सेक्टर में कदम रखा था। लेकिन इस कारोबार से गौतम अडानी को पिछले साल करोड़ों रुपए का नुकसान झेलना पड़ा।
दरअसल, एविएशन सेक्टर पर कोरोना का बहुत बुरा असर पड़ा है। इसके चलते वित्त वर्ष 2020-21 में देशभर के 136 एयरपोर्ट्स को 2,883 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। इसमें मुंबई और दिल्ली एयरपोर्ट को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। जबकि वित्त 2019-20 में इन एयरपोर्ट्स को 80.18 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था। पिछले साल दिल्ली और मुंबई एयरपोर्ट को सबसे ज्यादा नुकसान झेलना पड़ा है। इसमें से मुंबई एयरपोर्ट में अडानी एयरपोर्ट होल्डिंग्स की बड़ी हिस्सेदारी है।
वित्त वर्ष 2020-21 में सबसे ज्यादा नुकसान झेलने वालों में टॉप पांच में मुंबई, दिल्ली, चेन्नई, त्रिवेंद्रम और अहमदाबाद के एयरपोर्ट शामिल हैं। मनी कंट्रोल की एक रिपोर्ट में सरकारी डाटा के हवाले से कहा गया है कि मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज इंटरनेशनल एयरपोर्ट को सबसे ज्यादा 384.81 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। इस एयरपोर्ट में अडानी एयरपोर्ट होल्डिंग्स लिमिटेड की 74 फीसदी और एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया की 26 फीसदी हिस्सेदारी है।
इसके बाद दिल्ली के इंदिरा गांधी हवाई अड्डे का नंबर आता है। इस एयरपोर्ट को पिछले साल 317.41 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। 253.59 करोड़ रुपए के नुकसान के साथ चेन्नई एयरपोर्ट का नंबर आता है। त्रिवेंद्रम और अहमदाबाद के एयरपोर्ट चौथे व पांचवें नंबर हैं। इन दोनों को क्रमश: 100.31 करोड़ और 94.1 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।
कोरोनाकाल के दौरान पुणे एयरपोर्ट को सबसे ज्यादा प्रॉफिट रहा है। डाटा के मुताबिक, पिछले साल पुणे एयरपोर्ट को 16.09 करोड़ रुपए का प्रॉफिट रहा है। पुणे एयरपोर्ट का संचालन इंडियन एयरफोर्स की ओर से किया जाता है। रनवे की मरम्मत और विस्तार के कारण अभी पुणे एयरपोर्ट का पूरी क्षमता के साथ संचालन नहीं हो पा रहा है। इसके बाद जुहू एयरपोर्ट का नंबर आता है। इस एयरपोर्ट का कुल मुनाफा 15.94 करोड़ रुपए रहा है। प्रॉफिट वाले टॉप-5 एयरपोर्ट में श्रीनगर, पटना और कानपुर चकेरी एयरपोर्ट भी शामिल हैं। इनका प्रॉफिट क्रमश: 10.47 करोड़, 6.44 करोड़ और 6.07 करोड़ रुपए रहा है। कई ऐसे एयरपोर्ट भी रहे हैं जिनको कोई नफा-नुकसान नहीं हुआ है।
अडानी एयरपोर्ट होल्डिंग्स के पास कुल 7 एयरपोर्ट: गौतम अडानी की कंपनी अडानी एयरपोर्ट होल्डिंग्स के पास कुल 7 एयरपोर्ट के संचालन का जिम्मा है। इसमें से 6 एयरपोर्ट के संचालन का जिम्मा पिछले साल नीलामी के जरिए मिला था। जबकि मुंबई एयरपोर्ट के संचालन में प्राइवेट इक्विटी के जरिए हिस्सेदारी खरीदी गई थी। फिलहाल अडानी एयरपोर्ट होल्डिंग्स मुंबई एयरपोर्ट के साथ अहमदाबाद, लखनऊ और मेंगलुरु एयरपोर्ट का संचालन कर रही है। कंपनी ने अभी तीन अन्य एयरपोर्ट का संचालन अपने हाथ में नहीं लिया है।
(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)
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