हॉकी खिलाड़ी वंदना के हरिद्वार स्थित घर पर आपत्तिजनक जातिवादी टिप्पणी करने वालों में एक गिरफ्तार

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नई दिल्ली। टोक्यो ओलंपिक में सेमीफाइनल मैच में भारतीय महिला हॉकी टीम के अर्जेंटीना के हाथों परास्त होने के बाद टीम की सदस्य वंदना कटारिया के ख़िलाफ़ जातिवादी टिप्पणी करने का मामला सामने आया है। इतना ही नहीं जातीय घृणा से सराबोर लंपटों ने उनके घर के सामने हंगामा भी किया है। यह सब कुछ उनके हरिद्वार स्थित घर पर हुआ।

उत्तराखंड पुलिस ने टोक्यो ओलंपिक में भारतीय महिला हॉकी टीम की सेमीफाइनल में हार के बाद, खिलाड़ी वंदना कटारिया के परिवार के ख़िलाफ़ जातिवादी टिप्पणियों के आरोप में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है। हरिद्वार के एसएसपी सेंथिल अबुदई कृष्णराज एस ने इसकी जानकारी दी है कि वंदना कटारिया के भाई ने पुलिस में शिकायत दर्ज़ कराई है जिसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि ‘बुधवार को गोल्ड मेडल की दौड़ से भारतीय टीम के निकलने के बाद, उनके कुछ पड़ोसियों ने उनके परिवार पर जातिवादी टिप्पणी की’। पुलिस ने IPC की धारा 504 और एससी/एसटी एक्ट की धारा 3 के तहत शिकायत दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है।

गौरतलब है कि रानी रामपाल की अगुवाई वाली भारतीय महिला हॉकी टीम इतिहास में पहली बार ओलंपिक के सेमीफाइनल में पहुंची थी। जहां भारतीय महिला हॉकी टीम को अर्जेंटीना से 2-1 से हार का मुंह देखना पड़ा। गौरतलब है कि भारत के लिए गुरजीत कौर ने दूसरे मिनट में गोल किया लेकिन अर्जेंटीना के लिए कप्तान मारिया बारियोनुएवा ने 18वें और 36वें मिनट में पेनल्टी कॉर्नर तब्दील कर दिए थे। 

इससे पहले भारतीय टीम ने तीन बार की चैम्पियन आस्ट्रेलिया को क्वार्टर फाइनल में 1-0 से हराकर पहली बार सेमीफाइनल में जगह बनाई थी जो काफी बड़ी उपलब्धि है। बता दें कि भारतीय टीम 1980 के मास्को ओलंपिक में छह टीमों में चौथे स्थान पर रही थी। उस समय पहली बार ओलंपिक में महिला हॉकी को शामिल किया गया था और राउंड रॉबिन प्रारूप में मुकाबले खेले गए थे। अब फाइनल में अर्जेंटीना का सामना नीदरलैंड से होगा।

टीम इंडिया की हार के बाद यह घटना हुई है। भारतीय महिला टीम का सेमीफाइनल मैच में हार के बाद, हरिद्वार में कटारिया के घर के बाहर कुछ लोग जमा हो गए और परिवार के खिलाफ जातिवादी टिप्पणी करने लगे। घटना के बाद कटारिया के भाई ने पुलिस के पास जाकर आधिकारिक शिकायत दर्ज कराई है। पुलिस ने एक व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया है। वैचारिक और सांस्कृतिक तौर पर अध:पतन के शिकार इन लुच्चों का कहना था कि टीम में दलितों की संख्या ज्यादा होने के चलते भारत मैच हार गया।

किसी भी देश के लिए इससे ज्यादा शर्म की बात कोई दूसरी नहीं हो सकती है। वह टीम जिसके खिलाड़ी दुनिया में भारत का नाम रौशन कर रहे हैं उनके खिलाफ इतने निचले स्तर पर उतर कर अभियान चलाना न केवल लज्जाजनक है बल्कि वह आधुनिक लोकतंत्र को कलंकित भी करता है। यह घटना बताती है कि भारत में जातिवाद की जड़ें कितनी गहरी हैं। और यहां सवर्णों का एक हिस्सा ऐसा है जो किसी भी कीमत पर दलितों और पिछड़ों को आगे बढ़ते नहीं देखना चाहता है।

लेकिन उसे इस बात का एहसास नहीं है कि उसके दिमाग की सड़ांध भारत की पूरी प्रगति के रास्ते में बाधक है। न केवल देश को आधुनिक बनने दे रहा है बल्कि हर तरीके से समाज और संस्कृति के स्तर पर उसे पीछे ले जाने का काम कर रहा है। और कोढ़ में खाज यह हो गया है कि देश में एक ऐसी सरकार बन गयी है जो इन सारी चीजों को खुला संरक्षण दे रही है।

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