Narendra Modi with ISRO

इत्तफाक या सब कुछ प्रायोजित है!

आज देश में जो हालात पैदा हो रहे हैं उस पर मुझे अपने बचपन की एक घटना याद आ रही है। एक रात हमारे पड़ोसी के घर में सेंध मार कर चोर चोरी कर रहे थे, तभी चोरों की आहट से घर वाले जाग गए और चोर-चोर का शोर मचाने लगे। हमारे घर वाले भी शोर सुनकर जग गए। मेरे छोटे दादा लाठी लेकर तुरंत बाहर निकल गए। बाहर घर के पिछले भाग की ओर वे ‘किधर गया?’ का सवाल करते हुए दौड़ पड़े। तभी किसी ने एक दिशा की ओर टार्च की रोशनी मारते हुए आवाज दी ‘देखो वो जा रहा है।’ मेरे छोटे दादा उस दिशा की ओर बिना किसी भय के पकड़ो-पकड़ो का शोर मचाते हुए दौड़ पड़े। उनके पीछे और कई लोग दौड़ पड़े। काफी दूर जाने के बाद जब कुछ हाथ न लगा तो वे वापस आ गए। तब उन्हें एहसास हुआ कि वह तो चोर था, जिसने उन्हें गलत दिशा की ओर भेजा था।

बस यही आज हो रहा है। जब भी देश में कोई बड़ी समस्या खड़ी होती है, या कोई बड़ा जनसवाल हमारे सामने मुंह बाए आकर खड़ा होता है, तब सत्ता बड़ी चालकी से प्रायोजित किसी दूसरी समस्या की ओर ध्यान भटका देता है, जिस पर लंबी बहस छिड़ जाती है और हम असली समस्या से भटक जाते हैं।

मोदी के शासन के छ: वर्षों में शायद पहली बार ऐसा हुआ है कि सोशल मीडिया और एकाध जनपक्षीय कलमकारों ने विकराल होती आर्थिक मंदी को केंद्र में रखकर इस पर सरकार की गलत नीतियों को कोसना शुरू किया है। इस आर्थिक मंदी पर चौतरफा (गोदी मीडिया को छोड़कर) हमला अपनी स्पीड पकड़ ही रहा था, कि सरकार ने एक सितंबर से देश भर में नया मोटर व्हीकल एक्ट लागू कर दिया। बिना हेलमेट चलने, प्रदूषण लाइसेंस न होने, सिग्नल पार करने, शराब पीकर गाड़ी चलाने समेत अन्य यातायात नियमों का उल्लंघन करने के लिए हजारों रुपये जुर्माना वसूलने का कानून लागू किया गया। जुर्माना वसूलने का कानून लागू होने बाद देश भर में हाय तौबा मच गयी। मंदी का बदसूरत चेहरा अब जुर्माना वसूली चेहरे में तब्दील हो गया। इस नये मोटर वेहिकिल एक्ट के दुष्परिणामों की चर्चा केंद्र में आ गई। इससे संबंधित खबरें सुर्खियों में शुमार हो गईं। 

इसे लेकर लोग अजीबोगरीब हरकत करने लगे। देश की राजधानी दिल्ली के मालवीय नगर इलाके में एक शख्स ने चालान कटने पर अपनी बाइक को ही आग के हवाले कर दिया। दरअसल, राकेश नामक इस शख्स का जब पुलिस ने नए मोटर वाहन कानून के तहत चालान काट दिया, तो परेशान हो उसने अपनी मोटरसाइकिल को ही आग लगा दी। इस हरकत से घबड़ाई पुलिस उस पर शराब पीकर गाड़ी चलाने का मामला दर्ज कर दिया।

कई खबरों के बीच अजीबो गरीब खबरें आनी शुरू हो गईं। किसी के 15000 रू0 मूल्य की मोटरसाइकिल पर 26000 रू0 का जुर्माना लगा तो वह मोटरसाइकिल ही छोड़कर चल दिया। आर्थिक मंदी की खबरें नए मोटर वाहन कानून के इर्द-गिर्द घूमने लगीं। आलोचनाओं का केंद्र बदलकर नया मोटर वेहिकिल एक्ट पर आ गया।

इसी बीच हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री जी ने अपने रूस दौरे के क्रम में 5 सितंबर शाम को राष्ट्रपति पुतिन के सामने यह घोषणा कर दी कि भारत रूस को एक अरब डॉलर का कर्ज देने जा रहा है।

इस खबर ने भी मोदी सरकार के आलोचकों का ध्यान आकर्षित किया और सोशल मीडिया आर्थिक मंदी व मोटर व्हीकल एक्ट से भटककर मोदी के इस कदम को एक कहावत के साथ जोड़ दिया कि ‘घर में नहीं हैं दाने और अम्मा चली भुनाने’… और इस पर सोशल मीडिया से लेकर कई वेबसाइट्स पर आलोचनाएं शुरू हो गईं।

फिर आलोचनाओं ने करवट बदली और अब चंद्रयान 2 -मिशन इसके जद में आ गया। 7 सितंबर को जब हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री पूरी तैयारी के साथ चंद्रयान 2 -मिशन का क्रेडिट के तहत अपनी पीठ थपथपाने के सारे इंतजामात के साथ तैयार थे, तभी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष के. सिवन ने घोषणा की कि विक्रम लैंडर मंजिल से 2.1 किलोमीटर पहले अपने निर्धारित रास्ते से भटक गया है, जिसके कारण केन्द्र से संपर्क टूट गया है। फिर भी मोदी निराश नहीं हुए, अपने प्रायोजित कार्यक्रम के तहत इसरो के अध्यक्ष के. सिवन से भेट की।

भावुकता और भावनाओं की अभिव्यक्ति का नया रंगमंच तैयार किया गया। दुखी व निराशा से गीली हो चुकीं आखों वाले इसरो के अध्यक्ष के. सिवन को गले लगाते हुए और सांत्वना के हाथ उनके पीठ को सहलाते हुए मोदी की तस्वीरों ने एक नया अध्याय शुरू किया। भांड़ मीडिया और भक्तों का मोदी चालिसा पुन: मंदी का दुख हरण कर लिया। वहीं आलोचनाओं की गाड़ी भी इस प्रायोजित नाटक का शिकार हो गई।

अब आगे आगे देखिए होता है क्या?

(विशद कुमार पत्रकार हैं और आजकल बोकारो में रहते हैं।)

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments