यस बैंक-डीएचएफएल मामले में राणा कपूर की पत्नी, बेटियों को जमानत नहीं मिली, 23 सितंबर तक न्यायिक हिरासत में

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राणा कपूर की पत्नी बिंदू और बेटियों राधा कपूर और रोशनी कपूर को सीबीआई अदालत ने 23 सितंबर तक न्यायिक हिरासत में भेजा है। अदालत ने तीनों की अंतरिम रिहाई को रद्द कर दिया है। यस बैंक-डीएचएफएल का मामला मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा है। इस संबंध में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने राणा कपूर के खिलाफ 8 मार्च 2020 को मामला दर्ज किया था।

विशेष सीबीआई कोर्ट ने डीएचएफएल क्विड प्रो क्वो केस ऑफ 2020 में शनिवार को यस बैंक के संस्थापक राणा कपूर की पत्नी बिंदू कपूर और उनकी दो बेटियों-राधा और रोशनी कपूर की यस बैंक के 4000 करोड़ रुपये के घोटाले में उनकी प्रथम दृष्टया संलिप्तता को देखते हुए जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया। अदालत ने उन्हें 23 सितंबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।

विशेष न्यायाधीश एसयू वडगांवकर ने पाया कि प्रथम दृष्टया वे एक गंभीर और गंभीर आर्थिक अपराध में शामिल हैं, जिससे लगभग 4000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, जो कि गरीब बैंक जमाकर्ताओं सहित बड़े पैमाने पर जनता का है।

अदालत ने उनकी इस दलील को खारिज कर दिया कि भविष्य में मुकदमे का ट्रायल जल्दी पूरा नहीं होगा, वे महिलाएं हैं और वे सबूतों से छेड़छाड़ नहीं करेंगी। यह तर्क कि उन्हें जांच के दौरान गिरफ्तार नहीं किया गया था और आरोपपत्र पहले ही दायर किया जा चुका है, को भी अदालत ने खारिज कर दिया।

विशेष न्यायाधीश ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाले गंभीर अपराध में शामिल अभियुक्त/आवेदक अपने द्वारा किए गए अपराध का लाभ उठाना जारी रखते हैं, उनके लिए किसी भी तरह की सहानुभूति और महिलाओं या छोटे बच्चों की मां होने के लिए कोई सहानुभूति नहीं है।

आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी आर/डब्ल्यू 409, 420, 468 और 471 और भ्रष्टाचार रोकथाम की धारा 7, 12, 13(1)(डी) आर/डब्ल्यू 13(2) के तहत मामला दर्ज किया गया है। तीनों महिलाओं ने सीआरपीसी की धारा 437 के तहत जमानत के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया था। अदालत ने माना कि आरोप प्रथम दृष्टया साजिश में अन्य सह-आरोपियों, विशेष रूप से राणा कपूर के साथ उनकी संलिप्तता को दर्शाता है। उन्होंने धोखे से और बेईमानी से 300 करोड़ रुपये, 300 करोड़ रुपये और 600 करोड़ रुपये का कॉर्पोरेट ऋण होने का बहाना करके अवैध राशि प्राप्त की। उन्होंने यस बैंक लिमिटेड को गलत तरीके से नुकसान की अनुमति देकर इस राशि का लाभ उठाया, जो लगभग 4000 करोड़ रुपये का है। लाखों जमाकर्ताओं, जिन्होंने यस बैंक लिमिटेड में राशि जमा की, यस बैंक लिमिटेड के शेयरधारकों के साथ-साथ डीएचएफएल को भी ठगा गया है। इससे देश की बैंकिंग विश्वसनीयता को गंभीर झटका लगा है।

अदालत ने उनके वकील विजय अग्रवाल की इस दलील को भी खारिज कर दिया कि चूंकि तीनों को अंतरिम जमानत दी गई है, इसलिए उनकी नियमित जमानत की पुष्टि की जानी चाहिए। अभियोजन पक्ष ने कहा कि जेल अधीक्षक आरटी-पीसीआर रिपोर्ट के बिना जेल में आरोपी की हिरासत स्वीकार नहीं करता है। इसलिए अदालत ने सीबीआई को उन्हें तब तक अपनी हिरासत में रखने का आदेश दिया।

ईडी का कहना है कि राणा कपूर ने यस बैंक के प्रमुख के तौर पर डीएचएफएल को फायदा पहुंचाया। डीएचएफएल के डिबेंचर में यस बैंक के करीब 3,700 करोड़ रुपये निवेश करने के बदले राणा कपूर और उनके परिवार को लाभ मिला।

सीबीआई ने भी इस संबंध में मार्च 2020 में मामला दर्ज किया था। सीबीआई ने धोखाधड़ी और आपराधिक षड्यंत्र का मामला दर्ज किया है। साथ ही मामले में वह भ्रष्टाचार को लेकर भी जांच कर रही है। सीबीआई का कहना है कि डीएचएफएल को मदद पहुंचाने के बदले कपूर की पत्नी और बेटियों के नियंत्रण वाली कंपनी को 600 करोड़ रुपये की कथित रिश्वत लोन के तौर पर मिली। मामले की जांच के दौरान राणा कपूर पहले से ईडी की हिरासत में है। सीबीआई ने अगस्त 2021 में ही इस मामले में एक सप्लीमेंटरी चार्जशीट दाखिल की थी, जिसके बाद अदालत ने बिंदू और बेटी राधा कपूर को समन किया था।

(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं और आजकल इलाहाबाद में रहते हैं।)

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