संयुक्त राष्ट्र महासभा का 76वां वार्षिक सम्मेलन शुरू; चीन और ईरान ने अमेरिका को घेरा

Estimated read time 1 min read

संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें वार्षिक सत्र की कल 21 सितंबर से शुरुआत हो गयी है। महासभा की आम चर्चा (जनरल डिबेट) 21 सितम्बर से 27 सितम्बर तक चलेगी। जिसमें 100 से अधिक देशों के प्रतिनिधि भाग लेंगे। संयुक्त राष्ट्र महासभा अध्यक्ष अब्दुल्ला शाहिद ने मंगलवार को, वार्षिक ‘जनरल डिबेट’ की शुरुआत की। कोरोना वायरस महामारी के बहुत ही दुख भरे दिनों को याद करते हुये अब्दुल्ला शाहिद ने कहा कि लगभग डेढ़ वर्ष की “ख़ामोशी और व्यग्रता” के बाद एक उम्मीद और साझा इंसानियत की भावना जागी, जिसने वैश्विक एकजुटता का रास्ता आसान किया, “आइये, अब उनमें आशा का संचार करें।”

उन्होंने आगे कहा कि “जिस दौरान, नगर व बस्तियां बन्द करने पड़े थे और किसी वैक्सीन का विकास व उसकी उपलब्धता एक सपना भर ही था, और विश्व भर के लोग किस तरह, असाधारण रूप में एक साथ आए, जो पहले कभी नहीं देखा गया।”

बता दें कि वैश्विक महामारी कोविड-19 के मद्देनज़र, यूएन महासभा में इस वर्ष की जनरल डिबेट, मिले-जुले रूप (हाइब्रिड फ़ॉर्मेट) में आयोजित हो रही है। जिसमें कुछ देशों के नेता जनरल डिबेट में, वर्चुअल शिरकत कर रहे हैं, जबकि अन्य नेतागण न्यूयॉर्क स्थित यूएन मुख्यालय में, यूएन महासभागार से विश्व समुदाय को सम्बोधित कर रहे हैं। इस महासभा में शामिल होने के लिये भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज अमेरिका के लिये रवाना हुये हैं। जबकि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने महासभा को वर्चुअली संबोधित किया।

 अमेरिका एक नया शीत युद्ध नहीं शुरू करना चाहता- जो बाइडन

संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्‍ट्रपति जो बाइडेन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के अपने पहले संबोधन में कहा कि अमेरिका की सैन्य शक्ति उसका अंतिम विकल्‍प होना चाहिए न कि पहला। बाइडेन के मुताबिक हथियारों से कोविड-19 महामारी या उसके भविष्य के वरिएंट्स से बचाव नहीं किया जा सकता है, बल्कि यह विज्ञान और राजनीति की सामूहिक इच्छाशक्ति से ही संभव है। चीन के साथ बढ़ते तनाव के बीच जो बाइडन ने संयुक्त राष्ट्र में कहा कि अमेरिका एक नया शीत युद्ध नहीं शुरू करना चाहता।

बाइडेन ने महसभा में अपने पहले भाषण में राष्ट्रों से अनुरोध किया कि वे कोविड महामारी, तकनीकी ख़तरों और निरंकुश राष्ट्रों के ख़िलाफ़ एकजुट हों। उन्‍होंने कहा कि बम और गोलियों से कोविड और इसके अन्‍य रूपों को नहीं रोका जा सकता। उन्‍होंने इस बात पर जोर दिया कि बल प्रयोग को पहले उपाय के स्‍थान पर अंतिम उपाय के रूप में इस्‍तेमाल किया जाना चाहिए।

बाइडेन ने कहा कि हमारी सुरक्षा, समृद्धि और स्वतंत्रता आपस में जुड़े हुए हैं और ऐसा पहले कभी नहीं था। उन्‍होंने सुशासन पर जोर दिया और लोकतंत्र के दूरगामी हित के लिए बल प्रयोग से इंकार किया।

अपने संबोधन में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने घोषणा की कि दुनिया ‘‘इतिहास में एक बदलाव के बिंदु’’ पर खड़ी है और उसे कोविड-19 महामारी, जलवायु परिवर्तन और मानवाधिकार हनन के मुद्दों से निपटने के लिए तेजी से सहयोगात्मक रूप से आगे बढ़ना चाहिए।

चीन का सीधे उल्लेख किये बिना दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव को लेकर बढ़ती चिंताओं को अमेरिकी राष्ट्रपति ने स्वीकार करते हुये कहा कि हम एक नया शीतयुद्ध या कठोर ब्लॉक में विभाजित दुनिया नहीं चाहते हैं।

बाइडेन ने पिछले महीने अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिका के सबसे लंबे युद्ध को समाप्त करने के अपने फैसले और अपने प्रशासन के लिए दुनिया के सामने उत्पन्न संकटों से निपटने के लिए एक रूपरेखा तय कर कहा कि वह इस विश्वास से प्रेरित है कि ‘अपने लोगों की बेहतरी के लिए हमें बाकी दुनिया के साथ भी गहराई से जुड़ना चाहिए।’

उन्होंने आगे कहा कि हमने अफगानिस्तान में 20 साल से चल रहे संघर्ष को खत्म कर दिया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे में जब हमने इस युद्ध को समाप्त किया है, हम अपनी विकास सहायता का इस्तेमाल दुनिया भर में लोगों के उत्थान के लिए करने की कूटनीति के एक नए युग की शुरुआत कर रहे हैं। बाइडेन ने कहा कि अमेरिका ने स्वास्थ्य सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन से लेकर उभरती प्रौद्योगिकियों तक की चुनौतियों का सामना करने के लिए भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ क्वाड साझेदारी का ‘उन्नयन’ किया है”।

उन्होंने आगे कहा कि राष्ट्रपति पद पर पिछले आठ महीनों में उन्होंने अमेरिका के गठबंधनों के पुनर्निर्माण को प्राथमिकता दी है, अपनी साझेदारी को पुनर्जीवित किया है और यह स्वीकार किया है कि वे जरूरी होने के साथ ही अमेरिका की सुरक्षा और समृद्धि के लिए आवश्यक हैं। बाइडेन ने आगे कहा कि जब अमेरिका प्राथमिकताओं और दुनिया के क्षेत्रों पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहा है, जैसे कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र जो आज और कल सबसे अधिक अहम है, हम संयुक्त राष्ट्र जैसे बहुपक्षीय संस्थानों के सहयोग से अपने सहयोगियों और भागीदारों के साथ ऐसा करेंगे।

उन्होंने आगे कहा कि हमने स्वास्थ्य सुरक्षा से लेकर जलवायु परिवर्तन से लेकर उभरती प्रौद्योगिकियों तक की चुनौतियों का सामना करने के लिए ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच क्वाड साझेदारी को बढ़ाया है।

 बातचीत से हल हों सभी मुद्दे- चीन

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग न्‍यूयॉर्क में नहीं थे, उनके रिकॉर्डेड भाषण को महासभा में टेलीकास्‍ट किया गया। मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुये अपने देश की बहुपक्षवाद की दीर्घकालिक नीति दोहराई और संयुक्त राष्ट्र में विश्व नेताओं से कहा कि देशों के बीच विवादों को ‘बातचीत और सहयोग के माध्यम से सुलझाने की आवश्यकता है। उन्‍होंने अपने भाषण में कहा कि एक देश की सफलता का मतलब दूसरे देश की विफलता नहीं है। दुनिया सभी देशों के साझा विकास और प्रगति को समायोजित करने के लिए काफी बड़ी है।

अमेरिका का जिक्र किए बिना चीनी राष्ट्रपति ने कहा है कि “लोकतंत्र पर किसी एक मुल्क का सुरक्षित अधिकार नहीं है। यह सभी देशों के लोगों का अधिकार है। बाहर से सैन्य हस्तक्षेप और कथित लोकतांत्रिक परिवर्तन से कुछ हासिल नहीं होगा बल्कि इससे नुक़सान ही होगा।

उन्होंने आगे कहा कि दुनिया सभी देशों के साझा विकास और प्रगति को समायोजित करने के लिए काफी बड़ी है। हमें टकराव और बहिष्कार पर बातचीत और समावेश को तरजीह देने की ज़रूरत है।

चीनी राष्ट्रपति ने संयुक्त राष्ट्र से अंतरराष्ट्रीय मामलों में विकासशील देशों के प्रतिनिधित्व और कहने को बढ़ाने और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में लोकतंत्र और कानून के शासन को आगे बढ़ाने का बीड़ा उठाते हुये कहा- “इसे (सुरक्षा, विकास और मानवाधिकारों के क्षेत्रों में) साझा एजेंडा निर्धारित करना चाहिए, दबाव वाले मुद्दों को उजागर करना चाहिए और वास्तविक कार्यों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, और यह देखना चाहिए कि बहुपक्षवाद के लिए सभी दलों द्वारा की गई प्रतिबद्धताओं को सही मायने में पूरा किया जाए।”

 वहीं संयुक्त राष्ट्र महासभा में चीनी राष्ट्रपति के वक्तव्य के प्रतिक्रिया में अमेरिकी जलवायु दूत जॉन केरी ने कहा है कि वह शी जिनपिंग की इस घोषणा से बिल्कुल खुश हैं कि चीन विदेशों में कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों का निर्माण नहीं करेगा। हम इस बारे में काफ़ी समय से चीन से बात कर रहे हैं। और मुझे यह सुनकर बहुत खुशी हुई कि राष्ट्रपति शी ने यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। चीन पर विदेशों में अपने कोयले के वित्तपोषण को समाप्त करने के लिए भारी कूटनीतिक दबाव रहा है क्योंकि इससे कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए पेरिस जलवायु समझौते के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए दुनिया के लिए राह पर बने रहना आसान हो सकता है। दुनिया का सबसे बड़ा ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जक चीन अभी भी अपनी घरेलू ऊर्जा ज़रूरतों के लिए कोयले पर बहुत अधिक निर्भर है।

 ईरानी राष्ट्रपति ने अमेरिका और इजरायल को निशाने पर लिया

 ईरान के नए राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने यूएन महासभा के 76वें अधिवेशन को पहली बार संबोधित करते हुए अमेरिका और इसरायल पर जमकर हमला बोला। ईरानी राष्ट्रपति ने कहा कि क़ब्ज़ा करने वाला यहूदी शासन राज्य प्रायोजित आतंकवाद का सबसे बड़ा प्रबंधक है। उसका एजेंडा ही है- महिलाओं और बच्चों का क़त्लेआम करना। ग़ज़ा को दुनिया की सबसे बड़ी जेल बना दिया गया है।

वहीं रईसी के आक्रामक संबोधन के जवाब में इसरायल के विदेश मंत्रालय ने भी बयान जारी करके रईसी को ईरानी विदेश मंत्रालय ने तेहरान का कसाई बताया है। उन्होंने कहा है कि ईरान में अयतोल्लाह का शासन मध्य-पूर्व के लिए ख़तरा है। ईरान में तेहरान के कसाई के नेतृत्व में जो सरकार बनी है, उसके ज़्यादातर मंत्री आतंकवादी गतिविधियों के संदिग्ध हैं। पिछले 40 सालों से ईरान में अतिवादी सरकार है और इससे ईरान के लोगों को काफ़ी नुक़सान हुआ है। यह सरकार पूरे मध्य-पूर्व को अस्थिर करने में लगी है। रईसी दुनिया को बेवकूफ़ बनाने में लगे हैं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को चाहिए कि ईरान की इस सरकार की निंदा करे और इस अतिवादी शासन के हाथ परमाणु हथियार ना लग जाए, इसे रोकने की कोशिश करे।

 संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करना चाहता है तालिबान

वहीं अफ़ग़ानिस्तान में सत्ता पर काबिज़ तालिबान अब संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र में दुनिया के नेताओं के बीच अपनी बात रखना चाहता है। इस बात का खुलासा करते हुये संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने बताया है कि महासचिव एंटोनियो गुटेरेस को 15 सितंबर को मौजूदा अफ़ग़ान राजदूत, गुलाम इसाकजई की ओर से यह प्रस्ताव मिला। इसमें महासभा के 76 वें वार्षिक सत्र के लिए अफगानिस्तान के प्रतिनिधिमंडल की लिस्ट दी गई थी।

दुजारिक ने बताया है कि कि पांच दिन बाद गुटेरेस को इस्लामी अमीरात ऑफ अफ़ग़ानिस्तान के लेटरहेड के साथ एक और चिट्ठी मिली। इस पर अमीर ख़ान मुत्ताकियो की तरफ से ‘विदेश मंत्री’ के रूप में साइन किए गए थे। मुत्ताकियो ने इस चिट्टी में कहा है कि 15 अगस्त तक अफ़ग़ानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी को हटा दिया गया था और दुनिया भर के देश अब उन्हें राष्ट्रपति के रूप में मान्यता नहीं देते हैं, और इसलिए इसाकजई अब अफ़ग़ानिस्तान का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।

संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता ने आगे बताया है कि तालिबान ने कहा कि वह संयुक्त राष्ट्र के एक नए स्थायी प्रतिनिधि के तौर पर मोहम्मद सुहैल शाहीन को अपना नाम भेज रहा है। वह कतर में शांति वार्ता के दौरान तालिबान के प्रवक्ता रहे हैं।

कतर ने विश्व नेताओं से तालिबान का बहिष्कार नहीं करने का आग्रह किया

कतर के सत्ताधारी अमीर ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र में वैश्विक नेताओं से आग्रह किया कि उन्हें तालिबान का बहिष्कार नहीं करना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने सम्बोधन में शेख तमीम बिन हमद अल थानी ने कहा कि तालिबान से बातचीत करना जारी रखना चाहिए क्योंकि बहिष्कार से केवल ध्रुवीकरण और प्रतिक्रिया उत्पन्न होगी जबकि संवाद से सकारात्मक नतीजे मिल सकते हैं। उन्होंने यह बयान उन राष्ट्राध्यक्षों की तरफ इशारा करते हुए दिया जो तालिबान से बातचीत करने में घबरा रहे हैं और अफगानिस्तान में तालिबान सरकार को मान्यता देने से कतरा रहे हैं।

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

You May Also Like

More From Author

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments