एटा: 3 महीने जेल काटने के बाद नाबालिग के सुसाइड मामले में एनएचआसी ने मांगी पुलिस से रिपोर्ट

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC)ने उत्तर प्रदेश में एटा जिला पुलिस से एक नाबालिग लड़के द्वारा कथित तौर पर आत्महत्या करने की घटना पर रिपोर्ट मांगी है। साथ ही मानवाधिकार आयोग ने अपने जांच विभाग को भी मामले की मौके पर जांच करने का निर्देश दिया है।

एनएचआरसी ने अपने एक बयान में बताया है कि उसने एटा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) को एक वरिष्ठ रैंक के पुलिस अधिकारी द्वारा आरोपों की जांच करने और चार सप्ताह के भीतर आयोग को कार्रवाई की रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है।
https://twitter.com/India_NHRC/status/1443450715897167875?s=19

अपने आदेश में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC)पैनल ने कहा कि उसने ‘एक समाचार क्लिपिंग के साथ उस शिकायत का संज्ञान लिया है, जिसमें 15 वर्षीय नाबालिग लड़के को ड्रग रखने के आरोप में, वयस्क के रूप में जेल भेजा गया। वह इस यातना को सहन करने में असमर्थ था और तीन महीने बाद 21 सितंबर, 2021 को जमानत पर रिहा होने के बाद उसने आत्महत्या कर ली।

बता दें कि नाबालिग लड़के को एटा पुलिस ने ड्रग्स रखने के आरोप में गिरफ्तार किया था और उसे किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष पेश करने के बजाय जिला कारागार भेज दिया था। लड़के के पिता ने आरोप लगाया कि उसके बेटे को ‘अवैध रूप से गिरफ्तार किया गया था और पुलिस द्वारा पैसे की उगाही करने के लिए प्रताड़ित किया गया था।’

आयोग ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, एटा को एक वरिष्ठ रैंक के पुलिस अधिकारी द्वारा आरोपों की जांच करने और चार सप्ताह के भीतर विशेष रूप से निम्न तथ्यों पर आयोग को कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है:-

·  जेजे अधिनियम के नियम 7 और जेजे अधिनियम की धारा 94 (सी) के अनुसार, जन्म तिथि उम्र का प्राथमिक प्रमाण है; इसलिए, किन परिस्थितियों में, किशोर को एक वयस्क के रूप में माना गया था।

·  जन्मतिथि के प्रमाण के रूप में मैट्रिक प्रमाण पत्र पर विचार न करना “अश्वनी कुमार सक्सेना बनाम मध्य प्रदेश राज्य (2012) 9 एससीसी 750” के मामले में निर्णय का उल्लंघन है; इसलिए, किन परिस्थितियों में इस पर ध्यान नहीं दिया गया।

·  पुलिस द्वारा आरोपी की उम्र और जन्मतिथि का आकलन करने के लिए किस प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है।
इसके अलावा, आयोग ने अपने अन्‍वेषण अनुभाग को मौके पर जांच करने, मामले का विश्लेषण करने और संस्थागत उपायों का सुझाव देने का भी निर्देश दिया है, जिससे सरकार से यह सुनिश्चित करने की सिफारिश की जा सकती है कि अभियोजन के लिए बच्चों के साथ वयस्क के रूप में व्यवहार नहीं किया जा रहा है।
अन्‍वेषण अनुभाग को इस मामले में सभी संबंधित हितधारकों द्वारा निभाई गई भूमिका पर गौर करने का भी निर्देश दिया गया है, जिसमें न्यायाधीश, जिसके सामने गिरफ्तारी के 24 घंटे के भीतर बच्चे को पेश किया गया था, और डॉक्टर, जिसने बच्चे की जांच की थी, भी शामिल हैं ।
छह सप्ताह के भीतर जांच रिपोर्ट प्रस्‍तुत की जानी है।
क्या थी असल घटना
21 सितम्बर मंगलवार को एटा जिले के कोतवाली नगर थाना क्षेत्र के अंतर्गत मोहल्ला बापू नगर निवासी रविंद्र सिंह चौहान के 17 वर्षीय बेटे अभिषेक चौहान ने तमंचे से गोली मारकर आत्महत्या कर लिया था।

मरहूम के पिता रविंद्र सिंह चौहान के मुताबिक कोतवाली नगर की बस स्टैंड पुलिस चौकी पर तैनात रहे तत्कालीन दारोगा मोहित राना ने 9 मार्च 2021 को बाइक के कागजात पूरे न होने पर अभिषेक को पकड़ लिया था। जिसके बाद दारोगा मोहित राना ने अभिषेक को छोड़ने के लिए 2 लाख रुपये की मांग की थी। रुपये न देने पर दारोगा ने नशीला पदार्थ रखने का झूठा मुकदमा दर्ज़ करके अभिषेक को 12 मार्च को जेल भेज दिया था। साथ ही दारोगा ने बाइक का 15 हजार रुपये का चालान भी किया था। लगभग साढ़े तीन महीने बाद 25 जुलाई को अभिषेक जेल से बाहर आया। जेल से बाहर आने के बाद अभिषेक अवसाद में रहने लगा। डिप्रेशन के चलते उसने तमंचे से गोली मारकर खुदकुशी कर ली।

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