देश की नौकरशाही और पुलिस अधिकारियों के व्यवहार बेहद परेशान करने वाले: चीफ जस्टिस रमना

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देश की नौकरशाही और आला पुलिस अधिकारियों के व्यवहार से भारत के चीफ जस्टिस एनवी रमना बेहद क्षुब्ध हैं। उच्चतम न्यायालय में शुक्रवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान उनकी यह नाराजगी सामने आई। चीफ जस्टिस एनवी रमना ने देश में नौकरशाही विशेषकर पुलिस अधिकारियों के व्यवहार पर आपत्ति व्यक्त की। उन्होंने कहा कि मुझे इस बात पर बहुत आपत्ति है कि इस देश में नौकरशाही और विशेष रूप से पुलिस अधिकारी कैसे व्यवहार कर रहे हैं! चीफ जस्टिस ने इशारा किया कि वह ऐसे पुलिस अधिकारियों और ब्यूरोक्रेट्स के खिलाफ प्रताड़ना की शिकायत के परीक्षण के लिए स्टैंडिंग कमेटी बनाने की सोच रहे हैं।

स्टैंडिंग कमेटी में हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस अगुवाई करेंगे। चीफ जस्टिस ने कहा कि इस बारे में हमने सोचा था लेकिन अभी इस फैसले को हम बचाकर रख रहे हैं। छत्तीसगढ़ के सस्पेंड एडीजे जीपी सिंह की अर्जी पर चीफ जस्टिस एनवी रमना,जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस हिमा कोहली की पीठ सुनवाई कर रही थी। सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय ने उक्त टिप्पणी की है। जीपी सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर प्रोटेक्शन की मांग की है।

चीफ जस्टिस ने पुलिस अधिकारियों द्वारा सत्ताधारी पार्टी के साथ दिखने के नए चलन पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि देश में स्थिति दुखद है। जब कोई राजनीतिक दल सत्ता में होता है तो पुलिस अधिकारी एक विशेष दल के साथ होते हैं। फिर जब कोई नई पार्टी सत्ता में आती है तो सरकार उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करती है। यह एक नया चलन है, जिसे रोकने की जरूरत है।

इसके पहले चीफ जस्टि रमना ने 26 सितम्बर को कहा था कि रूलिंग पार्टी के साथ पुलिस अधिकारी होते हैं लेकिन जब सत्ता परिवर्तन होता है तो विपक्ष सत्ता में आते ही ऐसे पुलिस अधिकारियों को निशाना बनाना शुरू करते हैं। चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा कि देश में ये खेदजनक स्थिति है। अदालत ने कहा कि जैसे ही सत्ता परिवर्तन होता है तो राजद्रोह जैसे केस फाइल करने का चलन हो गया है जो परेशान करने वाला ट्रेंड है।

उच्चतम न्यायालय ने सस्पेंड आईपीएस ऑफिसर सिंह को गिरफ्तारी से प्रोटेक्शन देते हुए उक्त टिप्पणी की थी। बाद में इसी मामले में 27 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर पुलिस ऑफिसर सरकार के साथ तालमेल बैठाकर पैसा कमाता है तो उसे इसका भुगतान करना होगा। उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि जो पुलिस ऑफिसर सरकार के साथ तालमेल करके, उस दौरान वह पैसा कमाते हैं तो उन्हें सत्ता परिवर्तन के बाद भुगतना ही पड़ता है।

उच्चतम न्यायालय ने एडीजी के खिलाफ जबरन वसूली के एक मामले के संबंध में कहा, आपने पैसा ऐंठना शुरू कर दिया है, क्योंकि आप सरकार के करीबी हैं। यही होता है। यदि आप सरकार के करीबी हैं और इस प्रकार की चीजें करते हैं, तो आपको एक दिन वापस भुगतान करना होगा, ठीक ऐसा ही हो रहा है।

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में तीन विशेष अनुमति याचिकाएं दायर की गई हैं, जिसमें याचिकाकर्ता के खिलाफ रंगदारी और देशद्रोह सहित विभिन्न अपराधों के लिए प्राथमिकी रद्द करने से इनकार किया गया है। राज्य भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) और आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने गुरजिंदर सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत 29 जून को प्राथमिकी दर्ज की थी।

इसी साल एक जुलाई को याचिकाकर्ता के आवास पर पुलिस ने छापा मारा और उन्हें कथित तौर पर याचिकाकर्ता के घर के पीछे एक नाले में कागज के कुछ टुकड़े मिले थे। उन दस्तावेजों को पुनर्निमित किया गया और उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 124 ए और 153 ए के तहत अपराध करने के लिए प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं और आजकल इलाहाबाद में रहते हैं।)

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