बीएसएफ का दायरा बढ़ाने के जरिये केंद्र का आधे पंजाब में मार्शल लॉ

Estimated read time 1 min read

केंद्र सरकार ने नोटिफिकेशन जारी करके सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) को यह अधिकार दिया है कि वह अंतर्राष्ट्रीय सीमा से 50 किलोमीटर के दायरे के भीतर तक तलाशी, संदिग्धों की गिरफ्तारी और जब्ती कर सकता है। पहले बीएसएफ को महज 15 किलोमीटर तक कार्रवाई करने का अधिकार था। पंजाब सहित 10 राज्यों में इस अर्धसैनिक बल को यह अधिकार हासिल हुआ है। अब बीएसएफ पुलिस की मानिंद निगरानी, तलाशी, जब्ती और गिरफ्तारियां कर सकेगा। केंद्र के ताजा आदेश के मुताबिक बीएसएफ को सीआरपीसी तथा पासपोर्ट एक्ट (एंट्री टू इंडिया) के तहत भी कार्रवाई करने का अधिकार दिया गया है। पंजाब में इसका पक्ष-विपक्ष द्वारा तीखा विरोध शुरू हो गया है।

मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने केंद्र सरकार के इस फैसले की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि यह संघवाद पर सीधा हमला है। उन्होंने कहा कि इस बाबत राज्य सरकार को विश्वास में नहीं लिया गया और गुपचुप तरीके से बीएसएफ का दायरा बढ़ा दिया गया। उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मांग की कि इस फैसले पर पुनर्विचार किया जाए। वैसे, चन्नी ने 5 अक्टूबर को अमित शाह से मुलाकात करके सरहद पार से नशों तथा हथियारों की तस्करी रोकने के लिए सीमाएं सील किए जाने की मांग की थी। अलबत्ता अब इस मांग पर वह खामोश हैं।
राज्य के उपमुख्यमंत्री तथा गृह विभाग के मुखिया सुखजिंदर सिंह रंधावा ने बीएसएफ का दायरा बढ़ाने पर कड़ा एतराज जताया है। रंधावा ने कहा कि यह तर्कहीन फैसला अलोकतांत्रिक है। अंदरूनी इलाकों में पुलिसिंग करना सीमा सुरक्षा बलों का काम नहीं है। ऐसा करना अंतरराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा के प्रति उनकी प्राथमिक ड्यूटी निभाने की सामर्थ्य को कमजोर करेगा। उन्होंने कहा कि इस मामले पर वह यथाशीघ्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलेंगे। रंधावा दो-टूक कहते हैं कि मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने केंद्र से कभी भी अंतरराष्ट्रीय सीमा के साथ बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को बढ़ाने के लिए नहीं कहा।

राज्य कांग्रेस के पूर्व प्रधान सुनील जाखड़ ने भी केंद्र के इस फैसले की कड़ी आलोचना करते हुए कहा है कि बीएसएफ का दायरा बढ़ने से पंजाब पुलिस स्तब्ध है। उसके अधिकारों पर इसका सीधा असर पड़ेगा। जाखड़ ने इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री को भी घेरा है। उन्होंने कहा कि बीते पांच अक्टूबर को केंद्रीय गृहमंत्री से मुलाकात के दौरान पंजाब में भारत पाक सीमा को सील करने का मुख्यमंत्री ने आग्रह किया था। इसके हफ्ते भर बाद ही केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र में इजाफा कर दिया। उन्होंने कहा कि अनजाने में चन्नी ने पंजाब का आधा हिस्सा केंद्र सरकार को सौंप दिया है।

केंद्र के इस ताजा फैसले का तीखा विरोध शिरोमणि अकाली दल ने भी किया है। दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने इसे देश के संघीय ढांचे पर हमला बताया है। बादल ने कहा कि राज्य सरकार की पूर्व सहमति के बगैर राज्य में अर्धसैनिक बल या सेना तैनात करने का किसी को कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है। उन्होंने मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी से पूछा कि पिछले हफ्ते अमित शाह के साथ अचानक और अनिर्धारित बैठक में उनकी क्या चर्चा हुई? सुखबीर ने मुख्यमंत्री से कहा कि वह राज्य के लोगों को विश्वास में लें कि उनकी सरकार पंजाब में लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं और संघीय सिद्धांत से छेड़छाड़ करने से केंद्र को रोकने के लिए क्या कदम उठाती है।

शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री डॉ दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि केंद्र ने लगभग आधे राज्य में परोक्ष रूप से राष्ट्रपति शासन लगा दिया है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि बीएसएफ को राज्य पुलिस की सामान्य ड्यूटी छीन कर व्यापक शक्तियां दी गईं हैं। चीमा ने कहा कि संविधान के अनुसार केवल राज्य सरकार ही बीएसएफ को प्रदेश प्रशासन की सहायता के लिए बुला सकती है। राज्य सरकार के औपचारिक अनुरोध के बिना केंद्र इस तरह से धक्केशाही नहीं कर सकता।

उधर, इस मुद्दे पर पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के सुर भाजपा से मिलते लगते हैं। कई दिन तक खामोश बैठे कैप्टन ने कहा कि बीएसएफ को राजनीति में न घसीटा जाए। बीएसएफ की बढ़ी उपस्थिति व शक्तियां हमें मजबूत करेंगी। देश की सुरक्षा दांव पर नहीं लगाई जा सकती। कैप्टन ने कहा कि पक्षपात पूर्ण विचार राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर हमारे रुख को निर्धारित नहीं कर सकते।

गौरतलब है कि बीएसएफ का दायरा 50 किलोमीटर तक बढ़ाने का केंद्र का फैसला सूबे के 12 जिलों को सीधे तौर पर प्रभावित करेगा। इससे छह जिले पूर्ण रूप से और छह आंशिक रूप से प्रभावित होंगे। 6 जिलों को 553 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा लगती है। अमृतसर, गुरदासपुर, तरनतारन, फिरोजपुर और पठानकोट जिले बीएसएफ के अधीन हो जाएंगे। जबकि होशियारपुर, कपूरथला, जालंधर, मोगा, फरीदकोट और मुक्तसर आंशिक तौर पर अधीन होंगे। अनुमान के मुताबिक पंजाब के कुल 50,362 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में से 27,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र बीएसएफ के दायरे में आ जाएगा। इसमें से 223 गांव पाक सीमा से सटे हुए हैं। ये भी सीधे-सीधे बीएसएफ के अधीन होंगे।
इस बीच, पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने उपमुख्यमंत्री रंधावा के साथ लंबी बैठक करने के बाद पुलिस महानिदेशक इकबाल प्रीत सिंह सहोता से केंद्र के इस फैसले पर पूरी रिपोर्ट बनाकर देने को कहा है।

बाहरहाल, आने वाले दिनों में केंद्र सरकार के बीएसएफ के दायरे में इजाफा करने के फैसले पर सियासत और ज्यादा गर्म होगी। यह भी तय है कि पंजाब पुलिस और बीएसएफ में अपने-अपने अधिकारों को लेकर विवाद सामने आएंगे।
(पंजाब से वरिष्ठ पत्रकार अमरीक सिंह की रिपोर्ट।)

You May Also Like

More From Author

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments