किसान आंदोलन ने बदली राजनीति की पूरी दिशा: पी साईनाथ

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अंतरराष्ट्रीय-राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त वरिष्ठ पत्रकार और कृषि विशेषज्ञ पी साईनाथ इन दिनों पंजाब में विचर रहे हैं और आसन्न खेती संकट की थाह ले रहे हैं। उनकी यात्रा की शुरुआत जालंधर में देशभक्त यादगार हॉल स्थित आएं साल बड़े पैमाने पर मनाए जाने वाले ‘मेला गदरी बाबयां’ से हुई। यहां बतौर मुख्य वक्ता विशेष सेमिनार में उन्होंने कहा कि वह खुले तौर पर उस किसान कमीशन की हिमायत करते हैं, जो सीधे तौर पर किसानों की कमान में हो। उन्होंने कहा कि स्वामीनाथन रिपोर्ट को लागू किया जाना चाहिए।

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के तीनों कृषि अध्यादेश किसानों को तबाह करने वाले और बड़े पूंजीपतियों को और ज्यादा मजबूत करने वाले हैं। इन अध्यादेशों का जितना विरोध किया जाए, उतना कम है। किसानों की हालत जैसे-जैसे बद से बदतर हो रही है वैसे-वैसे सरकार के दोस्त पूंजीपति फल-फूल रहे हैं। पी साईनाथ ने कहा कि देश-दुनिया को सावरकर की विचारधारा आगे नहीं ले जाएगी बल्कि शहीद भगत सिंह और करतार सिंह सराभा की विचारधारा लेकर जाएगी। उन्होंने कहा कि सावरकर ने ब्रिटिश हुकूमत से माफी मांगी थी, जबकि भगत सिंह और करतार सिंह सराभा ने बाखुशी शहादत हासिल की।

अमृतसर में पी साईनाथ में कहा कि कृषि अध्यादेशों के खिलाफ चल रहे किसान संघर्ष का सीधा असर सियासत पर पड़ने लगा है। हिमाचल प्रदेश और राजस्थान में किसान संघर्ष ने खासा प्रभाव डाला है और भाजपा को उपचुनावों में करारी हार मिली है। किसान आंदोलन दरअसल जन-जागृति आंदोलन भी है।

पी साईनाथ ने कहा कि किसान आंदोलन को लगभग एक साल पूरा हो चला है और वह दिन-प्रतिदिन प्रभावकारी हो रहा है। किसान आंदोलन के चलते देश की राजनीति में अहम बदलाव आ रहे हैं। उन्होंने जारी किसान आंदोलन को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक और शांतिमय संघर्ष बताया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विदेश दौरों पर व्यंग्य करते हुए उन्होंने कहा कि मोदी के पास यूरोप तथा अन्य देशों में जाने का समय तो है लेकिन देश में 11 महीनों से धरने पर बदस्तूर बैठे किसानों से मुलाकात का समय नहीं है।

अदालती आदेशों के तहत किसान आंदोलन की बाबत बनाई गई विशेष कमेटी की आने वाली रिपोर्ट पर उन्होंने कहा कि जिस कमेटी में एक भी किसान नहीं, वह सिरे से अप्रसांगिक और नाकाबिले बर्दाश्त है। पहले उस कमेटी में एक किसान को शामिल किया गया था लेकिन बाद में उसने भी इस्तीफा दे दिया। पी साईनाथ ने खुलासा किया कि उनका नाम भी कमेटी में रखा गया था लेकिन उन्होंने इंकार कर दिया। लखीमपुर खीरी घटना में केंद्रीय राज्यमंत्री के खिलाफ कार्रवाई न होने पर उन्होंने टिप्पणी की कि पुलिस हुक्मरानों की ‘दलाल’ बन कर रह गई है।

गौरतलब है कि अपनी पंजाब यात्रा के दौरान वरिष्ठ पत्रकार और कृषि विशेषज्ञ पी साईनाथ ने उन परिवार किसानों से मुलाकात की, जिनके परिजनों ने कर्ज से आजिज आकर खुदकुशी की राह अख्तियार कर ली और किसान आंदोलन में शिरकत के दौरान जिनकी मृत्यु हुई। पी साईनाथ ने बताया कि वह समकालीन किसान आंदोलन पर एक किताब लिख रहे हैं, जो यथाशीघ्र प्रकाशित होगी। साईनाथ पंजाब में जहां-जहां भी जा रहे हैं, बड़ी तादाद में बुद्धिजीवी, चिंतक और किसान संगठनों के नेता तथा प्रतिनिधि उनसे मुलाकात कर रहे हैं।

(पंजाब से वरिष्ठ पत्रकार अमरीक सिंह की रिपोर्ट।)

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