सामाजिक न्याय आंदोलन(बिहार) के बैनर तले आज भागलपुर के वृंदावन विवाह स्थल(लहेरी टोला) में सामाजिक न्याय पर बढ़ते हमले के खिलाफ जातिवार जनगणना की मांग को लेकर विशाल सम्मेलन आयोजित हुआ।बिहार-यूपी के दिग्गज राजनीतिकर्मी,बुद्धिजीवी व समाजकर्मी जुटे,सम्मेलन में सैकड़ों की मौजूदगी थी।
सम्मेलन में मुख्य अतिथि के बतौर पूर्व राज्यसभा सदस्य व ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज के अध्यक्ष अली अनवर अंसारी ने कहा कि जातिवार जनगणना इस मुल्क में आजादी के बाद से आज तक अनुत्तरित सवाल है। धर्म के आर-पार जातिवार जनगणना जरूरी है। इससे सभी जातियों की संख्या और सामाजिक-आर्थिक हकीकत सामने आएगा। सामाजिक न्याय के लिए नीतियाँ व योजनाएं बनाने के लिए यह बेहद जरूरी है।

उन्होंने कहा कि राज्यस्तर पर जातिवार जनगणना की बात जनगणना के साथ जातिवार जनगणना की मांग की लड़ाई को कमजोर कर रही है। जनगणना के साथ जातिवार जनगणना को वैधानिक मान्यता हासिल होगी,राज्यस्तर पर जातिवार जनगणना के आंकड़ें वैधानिक नहीं होंगे।
विशिष्ट अतिथि के बतौर प्रसिद्ध चिकित्सक व सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. पीएनपी पाल और जीरादेई के पूर्व विधायक रमेश कुशवाहा ने कहा कि जातिवार जनगणना के सवाल पर संघर्षशील शक्तियों को एकजुट कर नीचे से लड़ाई खड़ी करनी होगी,किसान आंदोलन की तर्ज पर आगे बढ़ना होगा।
जाति जनगणना संयुक्त मोर्चा(यूपी) के मनीष शर्मा और सामाजिक न्याय आंदोलन(बिहार) के रिंकु यादव ने कहा कि मोदी सरकार विरोधी विपक्ष की शक्तियां जातिवार जनगणना के सवाल पर मुखर नहीं हैं। नीतीश कुमार भाजपा के साथ रहते हुए राज्य में जातिवार जनगणना की बात करते हुए ओबीसी को ठग रहे हैं। तेजस्वी यादव और अखिलेश यादव भी राज्यों में जातिवार जनगणना के इर्द-गिर्द उलझकर नरेन्द्र मोदी सरकार से लड़ने से कतरा रहे हैं।

सेवा के राज्य संयोजक राकेश यादव और अतिपिछड़ा अधिकार मंच(बिहार) के संयोजक नवीन प्रजापति ने कहा कि गुलाम भारत में जातिवार जनगणना होता रहा है। लेकिन,आजाद भारत में अब तक जातिवार जनगणना नहीं हुआ है। पंडित नेहरू से लेकर नरेन्द्र मोदी तक यह सिलसिला बढ़ता आ रहा है। मंडल कमीशन ने भी जातिवार जनगणना की जरूरत को रेखांकित किया था।
बहुजन बुद्धिजीवी डॉ.विलक्षण रविदास ने सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए कहा कि जातिवार जनगणना ओबीसी के सम्मान व पहचान से जुड़ा सवाल है,वर्चस्वशाली शक्तियां इसके खिलाफ हैं। जातिवार जनगणना की लड़ाई राजनेताओं के भरोसे नहीं लड़ी जा सकती है। व्यापक एकजुटता बनाकर सड़क पर लड़ाई तेज करना होगा।

सम्मेलन का संचालन करते हुए सामाजिक न्याय आंदोलन(बिहार) के गौतम कुमार प्रीतम और रामानंद पासवान ने कहा कि ओबीसी के लिए सामाजिक न्याय का दरवाजा खोलने के लिए जातिवार जनगणना जरूरी है। जातिवार जनगणना कराने से भागकर मोदी सरकार ने सामाजिक न्याय और ओबीसी विरोधी होने का ही एकबार फिर प्रमाण दिया है।
अतिथियों का स्वागत किया,अर्जुन शर्मा ने और धन्यवाद ज्ञापन किया,कवि सुरेश ने।
अन्य वक्ताओं में प्रमुख थे-इबरार अंसारी,दिलीप पासवान,अंजनी,बहुजन स्टूडेंट्स यूनियन(बिहार) के सोनम राव,अनुपम आशीष,ॠतुराज,अभिषेक आनंद,मिथिलेश विश्वास,भाकपा-माले के महेश यादव,सुधीर यादव,बिहार फुले-अंबेडकर युवा मंच के सार्थक भरत।
मौके पर मौजूद थे-विनय संगीत,सतीश यादव,सौरव राणा,विभूति,अंगद,सजन,राजेश रौशन,गौरव, गौतम,रोहित,अंगद,आनंदी शर्मा,कैलाश शर्मा,सुधीर सिंह कुशवाहा,पांडव शर्मा,निर्भय,संजीत पासवान,जयमल यादव,प्रवीण यादव,विजय,सौरव पासवान,बरुण कुमार दास,नंद किशोर,शंकर बिंद,नेजाहत अंसारी,आजमी शेख सहित सैकड़ों.
मंच पर अन्य थे-रिटायर्ड जज विजय मंडल,डॉ.अरविन्द साह,डॉ.दीपो महतो,मास्टर सलाउद्दीन,प्रो.इकबाल,महेन्द्र महलदार,डीपी मोदी,कैलाश यादव।
(सामाजिक न्याय आंदोलन(बिहार) की ओर से रिंकु यादव द्वारा जारी)
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