भिलाई के शहीद मजदूरों को लोगों ने दी श्रद्धांजलि

भिलाई। छत्तीसगढ़ में भिलाई के लोग उस काले दिन को आज भी नहीं भूल पाएं है जब 17 निर्दोष मजदूरों की हत्या कर दी गयी थी। इस घटना ने ना केवल भिलाई को बल्कि देश को झकझोर कर रख दिया था। बात साल 1992 के छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के बैनर तले मजदूर आंदोलन की है। जब उद्योगों में मजदूर आंदोलन के माध्यम से उद्योगपतियों का विरोध चरम पर था। 1 जुलाई के दिन ही प्रदर्शन कर रहे 17 मजदूरों की निर्मम हत्या कर दी गई थी। जिसकी याद में भिलाई के रेलवे स्टेशन छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने शहीद हुए श्रमिकों को श्रद्धांजलि दी।

आज से 30 साल पहले 1 जुलाई 1992 को पावर हाउस रेलवे स्टेशन पर मजदूर आंदोलन कर रहे थे। आंदोलन के तहत मजदूर रेलवे ट्रैक पर बैठ गए थे। इस दौरान हुई फायरिंग में 17 मजदूरों की मौत हो गई थी। इस गोलीकांड की याद में छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा द्वारा हर साल शहीद दिवस मनाया जाता है। 1 जुलाई को भी इसी गोलीकांड की याद में शहीद दिवस मनाया गया। सुबह से ही भिलाई पॉवर रेलवे स्टेशन में हलचल दिखी। इस मौके पर बड़ी तादाद में पुलिस व सुरक्षाबलों को तैनात किया गया था। सुरक्षा व्यवस्था के बीच रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म क्रमांक एक पर गोली कांड में शहीद 17 कर्मियों के परिवार वाले तथा छत्तीसगढ़ मुक्तिमोर्चा के सैकड़ों कार्यकर्ता पहुंचे और दिवंगत कर्मियों की तस्वीरों पर श्रद्धा के फूल चढ़ाए।

शहीद दिवस के मौके पर एसीसी चौक से एक रैली निकाली गई। रैली पावर हाउस रेलवे स्टेशन पर आकर समाप्त हुई। यहां पर दिवंगत कर्मियों की तस्वीरें रखी गई थीं और छमुमो के कार्यकर्ता और दिवंगत कर्मियों के परिजनों ने श्रद्धांजलि अर्पित कर अपनों को याद किया। इस दौरान रायपुर, राजनांदगांव, बालोद, बेमेतरा आदि जगहों से श्रमिक नेता व सामाजिक कार्यकर्ता यहां श्रद्धांजलि देने पहुंचे।

छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के उपाध्यक्ष एजे कुरैशी बताते हैं कि छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के बैनर पुलिस ने खुर्सीपार से लेकर पावर हाउस तक मजदूरों पर अंधाधुंध गोलियां बरसाई थी। इस खूनी खेल में सैकड़ों लोग अपंग हो गए थे। तो 16 लोगों की मौत भी हुई थी। पुलिस प्रसाशन ने पूरी तरह से डर और खौफ का माहौल बना दिया गया था। नतीजतन हर साल उन्हें आज के दिन श्रद्धांजलि दी जाती है। सरकार से कई बार निवेदन किया गया लेकिन परिवार के लोगों को अब तक कोई सरकारी नौकरी नहीं मिली। सरकार ने खुद ही माना था कि गैर कानूनी रूप से गोली चलाई गई थी। सभी मृतकों के परिजनों को सरकारी नौकरी दी जानी चाहिए। उच्च स्तर पर बैठक बुलाकर मामले की जल्द से जल्द सुनवाई होनी चाहिए।

(छत्तीसगढ़ से जनचौक संवाददाता तामेश्वर सिन्हा की रिपोर्ट।)

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