जंग के मैदान में तब्दील हुआ जेएनयू के बाहर का इलाका, प्रदर्शनकारी छात्रों पर लाठीचार्ज और वाटर कैनन से पानी की बौछारें

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नई दिल्ली। आज जेएनयू के बाहर का इलाका छात्रों और पुलिस के जवानों के बीच जंग के मैदान में तब्दील हो गया। इस दौरान पुलिस ने छात्रों के प्रदर्शन पर लाठीचार्ज किया। और इसके साथ ही पानी की बौछार डालीं। इन घटनाओं में सैकड़ों छात्र-छात्राएं घायल हो गए। कई को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा है। छात्र जेएनयू में बड़े पैमाने पर हुई फीस बृद्धि का विरोध कर रहे थे। दरअसल आज प्रशासन ने दीक्षांत समारोह रखा हुआ था जिसमें उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू भागीदारी करने पहुंचे थे। समारोह स्थल कैंपस से दूर एआईसीटीई आडिटोरियम में आयोजित था।

दिन में तकरीबन साढ़े ग्यारह बजे हजारों की संख्या में छात्र-छात्राएं आडीटोरियम की तरफ मार्च कर दिए। हालांकि पुलिस ने वहां जाने वाले सभी रास्तों में बैरिकेड लगा रखे थे लेकिन छात्रों ने उनको भी तोड़ दिया और फिर आगे बढ़ने की कोशिश की। आप को बता दें कि यह आडीटोरियम विश्वविद्यालय परिसर से तकरीबन तीन किमी दूर स्थित है।

नाराज छात्र विश्वविद्यालय के कुलपति और पुलिस के खिलाफ नारे लगा रहे थे। छात्र छात्रावासों के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा बनाए गए ड्राफ्ट पैनल को वापस करने की मांग कर रहे थे। जिसमें फीस बढ़ोत्तरी से लेकर ड्रेस कोड और कर्फ्यू टाइमिंग तक का प्रावधान है। एआईसीटीई के गेट को चारों तरफ से बंद कर दिया गया था और बाहर सुरक्षा बलों को तैनात कर दिया गया था।

हालांकि नायडू दीक्षांत समारोह में शामिल होने के बाद चले गए। लेकिन मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक अंदर छह घंटों तक फंसे रहे। जिसके चलते आज दिन में होने वाले अपने दो कार्यक्रमों को उन्हें रद्द करना पड़ा। उसके बाद निशंक शाम को 4.15 बजे ही वहां से बाहर निकल सके।

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एचआरडी मंत्रालय के एक अधिकारी ने न्यूज़ 18 को बताया कि “स्थिति को नियंत्रित कर लिया गया है। छात्र मंत्री से मिले और उनकी मांगों को हल करने का उन्हें भरोसा दिलाया।”

बाद में जेएनयूएसयू के पदाधिकारियों की निशंक से मुलाकात हुई और उन्होंने मांगों पर गौर करने का भरोसा दिया। हालांकि उनकी कुलपति से मुलाकात नहीं हो सकी लिहाजा उन्होंने ‘वी वांट वीसी’ का नारा लगाना शुरू कर दिया। छात्रसंघ की अध्यक्ष आइशी घोष ने कहा कि कुलपति विश्वविद्यालय को बर्बाद कर रहे हैं। हम लोगों ने उनसे परिसर में कई बार मिलने के प्रयास किए लेकिन उसका कोई नतीजा नहीं निकला।

घोष ने कहा कि ये हम लोगों के लिए ऐतिहासिक दिन है। जब हम लोगों ने बैरिकेड तोड़कर दीक्षांत समारोह स्थल तक पहुंच गए और मंत्री से मुलाकात की। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि हम सभी एकजुट थे। यह आंदोलन का अंत नहीं है। हमने एचआरडी मंत्री से कहा कि वो कुलपति को छात्रों से मिलने के लिए कहें। यह स्थिति उन्हीं की वजह से बनी है।

घोष का कहना था कि मंत्री ने छात्रसंघ के पदाधिकारियों से बात करने के लिए उन्हें मंत्रालय बुलाने का वादा किया है। छात्र कुलपति से मिलकर ड्राफ्ट होस्टल मैनुअल को वापस लेने की मांग करना चाहते थे। एक छात्र ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन का रवैया बिल्कुल गरीब विरोधी है। होस्टल की फीस को 300 गुना बढ़ा दिया गया है। अगर ऐसा होता है तो गरीब पृष्ठभूमि से आने वाले छात्र कहां रुकेंगे और कैसे पढ़ाई कर पाएंगे।

इसके साथ ही छात्र पार्थशास्त्री रॉक में छात्रों के प्रवेश पर रोक लगाने के प्रशासन के फैसले का भी विरोध कर रहे हैं। साथ ही छात्र संघ को बंद करने के प्रशासन की कोशिशों का विरोध भी इसी मांग में शामिल है।

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