सबको हैरान कर गया रॉबर्ट वाड्रा का अचानक पंजाब आना और राहुल गांधी के साथ यात्रा में चलना!

राहुल गांधी की अगुवाई वाली भारत जोड़ो यात्रा के पंजाब सफर में कई दुखद और सुखद मुकाम आ रहे हैं। 14 जनवरी को भारत जोड़ो यात्रा स्थानीय सांसद संतोख सिंह चौधरी के आकस्मिक निधन के बाद एक दिन के लिए स्थगित कर दी गई थी। अब पंजाब में चल रही भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी के साथ उनके बहनोई तथा प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट बॉड्रा भी चलेंगे। कन्याकुमारी से शुरू हुई भारत जोड़ो यात्रा के दौरान यह पहली बार है कि रॉबर्ट वाड्रा बाकायदा राहुल गांधी के साथ होंगे। इससे पहले प्रियंका गांधी कुछ समय के लिए उनके साथ चली थीं और सोनिया गांधी ने दिल्ली में भारत जोड़ो यात्रा के वक्त राहुल गांधी को विशेष आशीर्वाद दिया था। लेकिन गांधी परिवार के दामाद रॉबर्ट वाड्रा फिलहाल तक इस यात्रा से दूर रहे थे। न तो उन्होंने कहीं इस यात्रा में शिरकत की और न इससे संबंधित कोई बयान दिया। बावजूद इसके कि उनके और प्रियंका गांधी के बच्चे भी यात्रा में शामिल हो चुके हैं। वाड्रा यूं भी राजनीति में रत्ती भर भी सक्रिय नहीं है और अपने जीवन में उन्होंने कभी किसी तरह का कोई चुनाव प्रचार नहीं किया।

विपक्ष के तमाम आरोपों के बावजूद राजनीति से उनकी दूरी हमेशा चर्चा का विषय रही है और अब अचानक भारत जोड़ो यात्रा के पंजाब पड़ाव में उनकी शिरकत सबको आश्चर्य में डाल गई है। यकीनन रॉबर्ट वाड्रा की शिरकत के कई अहम मायने हैं। सबसे बड़ा यह कि इससे राहुल गांधी और कांग्रेस के इस दावे को बल मिलता है कि भारत जोड़ो यात्रा दरअसल गैरराजनीतिक कारगुजारी है। राजनीति से परहेज करने वाली कई हस्तियां अलग-अलग जगहों पर राहुल गांधी की अगुवाई में जारी इस यात्रा में उनके साथ चल चुकी हैं। वाड्रा के शामिल होने का दूसरा बड़ा मायना यह है कि वह पंजाब से इस यात्रा में जुड़ रहे हैं।

जहां विपक्ष पूरा जोर इस प्रचार पर लगा रहा है कि गांधी परिवार अतीत में पंजाब और सिख विरोधी रहा है। इस झूठ को राहुल गांधी कई बार बेनकाब कर चुके हैं। भारत जोड़ो की पंजाब यात्रा का आगाज उन्होंने ऐतिहासिक श्री फतेहगढ़ साहिब गुरुद्वारे से किया। यात्रा की पूर्व संध्या पर वह अमृतसर स्थित सिखों के सिरमौर धर्मस्थल श्री हरमंदिर साहिब गए। दोनों जगह आने-जाने में उन्होंने किसी किस्म की कोई हिचकिचाहट या हड़बड़ी नहीं दिखाई। बावजूद इसके कि केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों का पंजाब सरकार को इनपुट जारी है कि राहुल गांधी को पंजाब में तथाकथित कट्टरपंथियों से खतरा है, जो विदेशों में बैठकर खालिस्तान के पक्ष में पैसे के बूते पर मुहिम चला रहे हैं।

फिलहाल बगैर किसी पूर्व सूचना अथवा घोषणा के, गांधी परिवार के वरिष्ठ सदस्य रॉबर्ट वाड्रा 14 दिसंबर की देर शाम अमृतसर गए। लैंड करने के तुरंत बाद उन्होंने सीधा श्री हरमंदिर साहिब का रुख किया और वहां नतमस्तक हुए। वहां उन्होंने एक साधारण श्रद्धालु की मानिंद मत्था टेका और कुछ समय शब्द-कीर्तन श्रवण करने में बिताया। राहुल गांधी जी ठीक इसी तर्ज पर भारत जोड़ो यात्रा की पूर्व संध्या पर अचानक गोल्डन टेंपल गए थे।

गौरतलब तथ्य है कि श्री स्वर्ण मंदिर साहिब में रॉबर्ट वाड्रा के साथ एक भी सुरक्षाकर्मी नहीं था। सबको बाहर छोड़कर उन्होंने भीतर प्रवेश किया था। अलबत्ता कुछ स्थानीय कांग्रेसी नेता जरूर उनके साथ थे। लेकिन उन्होंने पूरी सादगी के साथ पंक्ति में खड़े होकर मत्था टेका। वैसे भी प्रकाश सिंह बादल की सरपरस्ती और सुखबीर सिंह बादल की अध्यक्षता वाले शिरोमणि अकाली दल की विशेष हिदायत पर चलने वाली एसजीपीसी (शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी) की ‘चिढ़’ और भाजपा के दिए गए पुराने सबक के मुताबिक गांधी परिवार के किसी भी सदस्य को वीवीआईपी ट्रीटमेंट नहीं दिया जाता।

जबकि श्री स्वर्ण मंदिर साहिब में जो भी अहम व्यक्ति आता है, उसे विशेष सम्मान के साथ नवाजा जाता है। यहां तक की मुंबइया फिल्मों में अपसंस्कृति फैलाने वाले कलाकारों, अभिनेत्रियों और निर्माता-निर्देशकों को भी। लेकिन एक विशेष राजनीति के तहत गांधी परिवार का ‘स्वागत’ नहीं किया जाता। यह सिख परंपराओं की खुली अवहेलना है। इस पर सवाल इसलिए नहीं उठते कि श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार और एसजीपीसी प्रधान दरअसल बादल परिवार के हाथों की कठपुतलियां हैं।

14 दिसंबर को श्री स्वर्ण मंदिर साहिब में मत्था टेकने के फौरन बाद रॉबर्ट वाड्रा अमृतसर से जालंधर के लिए रवाना हो गए। रात वह राहुल गांधी के साथ फगवाड़ा कैंप में ठहरे जो विशेष रूप से भारत जोड़ो यात्रा के सहयात्रियों और राहुल गांधी के लिए बनाया गया। मीडिया से मुख्तसर बातचीत में रॉबर्ट वाड्रा ने राजनीति की बाबत पूछे गए सवालों से पूरी तरह परहेज किया।

अलबत्ता यह ज़रूर कहा कि राहुल गांधी ने इस यात्रा के लिए जबरदस्त मेहनत की है। धर्म, जाति और रंगभेद से ऊपर उठकर देश को एक साथ जोड़ने की कोशिश राहुल गांधी की एक बेमिसाल पहल-कदमी है। पंजाब में लोगों ने अतिरिक्त स्नेह दे रहे हैं और यहां उन्हें काफी उत्साह भी मिल रहा है। अमृतसर में उन्होंने पत्रकारों से कहा कि भारत जोड़ो यात्रा के दौरान दिवंगत हुए सांसद संतोख सिंह चौधरी का जाना पंजाब तथा कांग्रेस के लिए अपूरणीय क्षति है। इससे ज्यादा वह कुछ नहीं बोले।

रॉबर्ट वाड्रा की अमृतसर और जालंधर यात्रा की खबर जैसे ही लोगों को लगी तो पंजाब सहित देश-विदेश में बसे लाखों पंजाबियों ने सोशल मीडिया पर उनकी काफी प्रशंसा की। यहां तक लिखा कि कट्टरपंथियों को भी अब अतीत को भुला देना चाहिए और मान लेना चाहिए कि गांधी परिवार किसी भी सूरत में कतई सिख या पंजाब विरोधी नहीं है। सोनिया गांधी की बदौलत ही एक सिख डॉ. मनमोहन सिंह दो बार देश के प्रधानमंत्री रह चुके हैं।

नामवर पंजाबी बुद्धिजीवियों का पहले से ही मानना है कि पंजाब में अस्सी के दशक में जो कुछ हुआ उसके लिए राहुल गांधी जिम्मेदार नहीं हैं बल्कि वह तो सिखों को एक बेहद जिंदादिल कौम बताते रहे हैं। अतीत में जो कुछ हुआ उसके लिए राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, रॉबर्ट वाड्रा और सोनिया गांधी का क्या कसूर?

खैर, कुल मिलाकर रॉबर्ट वाड्रा का अचानक पंजाब पहुंचना भारत जोड़ो यात्रा को और ज्यादा सशक्त कर गया है। पंजाबियों का व्यापक तबका नए सिरे से मानेगा कि गांधी परिवार, बादलों और भाजपा के दावों के विपरीत, सिख विरोधी नहीं है! रॉबर्ट वाड्रा की पंजाब यात्रा के सकारात्मक संदेश मिलने लगे हैं। वाड्रा की पंजाब यात्रा अहमियत इसलिए भी काबिलेजिक्र है कि राजनीति से हाल-फिलहाल उनका कोई सीधा नाता नहीं है और न उन्होंने राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की सियासी कारगुजारिओं में कभी कोई दखलंदाजी की।

(पंजाब से वरिष्ठ पत्रकार अमरीक की रिपोर्ट।)

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suresh
suresh
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1 year ago

बहुत बढ़िया रिपोर्ट | यह सच है कि यह यात्रा कई मायनों में पहली हुई तमाम यात्राओं से अलग है | राजनीती तो चलेगी है जब इसके उद्देश्य में कांग्रेस पार्टी को एकजुट करना है | लेकिन दुसरे मायनों में अलग इसलिए भी है कि भारत जोड़ो यात्रा में किसी को दबाव दे कर नहीं लाया जा रहा | स्वेच्छा से ही लोग जुड़ रहे हैं | जबकि अन्य यात्राओं में एक रणनीति के तहत लोगों को जोड़ा जाता है | यहाँ यह बात भी देखने वाली है कि इस यात्रा में साहित्यकार कवि भी जुड़ते गए हैं | जब यात्रा उत्तर प्रदेश से गुज़री तो अशोक वाजपेयी और नरेश सक्सेना सरीखे साहित्यकार महज इसलिए शामिल हुए कि उन्हें आज के युग में फैलती नफरत झूठ स्वीकार्य नहीं है | वे चाहते यह परिदृश्य बदले | हमेशा की तरह अमरीक की बेबाक रिपोर्ट | अमरीक जी आपकी रिपोर्ट इसलिए भी दूसरों अलग किआपके पास साहित्यिक फ्लेवर वाली भाषा है |