छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में कैंप का विरोध कर रहे आदिवासियों पर पुलिस ने बरसाई लाठियां

बस्तर। छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में कैंप का विरोध कर रहे ग्रामीणों पर एक बार फिर से पुलिस ने लाठियां बरसाई हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि, पुलिस की इस कार्रवाई से 50 से ज्यादा ग्रामीण घायल हुए हैं। जिनमें 18 छात्र भी शामिल हैं। गांव वालों ने घायल ग्रामीणों की तस्वीरें भी जारी की हैं। ऐसा बताया जा रहा है कि, आंदोलन स्थल से जवानों ने गांववालों को खदेड़ दिया है। अब ग्रामीण घर जाने की बजाए इलाके के जंगल में ही कहीं डेरा जमाए बैठे हुए हैं। फिर से आंदोलन स्थल जाने रणनीति बनाई जा रही है।

दरअसल, जिले के धुर नक्सल प्रभावित बुरजी-पुसनार गांव में पुलिस कैंप के विरोध में ग्रामीण पिछले सालभर से लगातार आंदोलन कर रहे हैं। गांव वालों का कहना है कि, बिना ग्रामसभा की अनुमति से पुसनार में सुरक्षाबलों का कैंप स्थापित कर दिया गया है। चौड़ी सड़कें बनाई जा रही है। किसानों के खेत बर्बाद किए जा रहे हैं। गांववालों की मांग है कि, पुसनार में स्थापित पुलिस कैंप को जल्द से जल्द हटाया जाए। साथ ही इलाके में जितने भी निर्माण काम हो रहे हैं उसे भी बंद किया जाए।

ग्रामीणों का मानना है कि, पुलिस कैंप से उनकी परेशानी और बढ़ती जाएगी। फोर्स गांव में घुसेगी। फर्जी नक्सल मामले में ग्रामीणों को पकड़कर जेल में डाल दिया जाएगा। हालांकि, ग्रामीणों ने कैंप के बदले स्कूल, आंगनबाड़ी, अस्पताल बनाने की मांग की है। इधर, अफसरों का कहना है कि, अंदरूनी इलाकों में सुरक्षाबलों का कैंप स्थापित होने के बाद ही सारे विकास के काम किए जाएंगे। इस संबंध में बीजापुर पुलिस अधीक्षक से बयान लेने के लिए फोन किया गया, लेकिन उनका नंबर नेटवर्क से बाहर बताया।

दिसंबर के महीने में ग्रामीणों की ज्यादा भीड़ आंदोलन स्थल पर जुटने लगी थी। ग्रामीणों ने ऐसा आरोप लगाया कि, पुलिस देर रात अचानक आंदोलन स्थल पर पहुंच गई थी। आंदोलनकारियों के तंबू को उखाड़कर फेंक दिया गया था। गांव वालों को पीटा भी था। एक महीने के अंदर की यह पहली घटना थी।

जनवरी 2023 के दूसरे सप्ताह में पुसनार, बुरजी, हिरोली, समेत अन्य गांव के सैकड़ों ग्रामीण फिर से राशन, कपड़ा, बर्तन लेकर आंदोलन स्थल पर जाने के लिए निकले थे। लेकिन, बीच रास्ते से ही पुलिस ने उन्हें खदेड़ दिया था। उस समय भी ग्रामीणों ने तस्वीरें जारी कर पुलिस पर पिटाई का आरोप लगाया था। हालांकि, बीजापुर के पुलिस अधीक्षक ने पिटाई की बात को नकार दिया था।

दूसरी बार जब ग्रामीणों को खदेड़ा गया था तो वह घर लौटने की बजाए इलाके के जंगल में ही अपना डेरा जमाए हुए थे। फिर धीरे-धीरे कर आंदोलन स्थल पहुंचने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन, 19 जनवरी को पुलिस जवानों ने फिर से ग्रामीणों की पिटाई की। उन्हें फिर से खदेड़ा है। गांव वालों ने तस्वीरें जारी कर पुलिस पर लाठी चार्ज करने का आरोप लगाया है।

(बस्तर से तामेश्वर सिन्हा की रिपोर्ट।)

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