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प्रज्ञा प्रकरणः प्रधानमंत्री की मंशा पर विपक्ष ने उठाए सवाल

भाजपा अभी महाराष्ट्र के सदमे से उबर भी नहीं पाई थी कि भोपाल से सांसद प्रज्ञा ठाकुर ने पार्टी को एक बार फिर से संकट में ढकेल दिया है। प्रज्ञा ने गांधी जी के हत्यारे गोडसे को लोकसभा में देशभक्त कह दिया। इस मामले में बीजेपी अब चारों तरफ से घिर गई है।

गांधी जी की देश और दुनिया में बड़ी स्वीकार्यता की वजह से संघ परिवार के लोग बापू को सीधे तौर पर निशाना बनाने से बचते हैं, लेकिन इसके विपरीत वह हत्यारे नाथू राम गोडसे को महिमा मंडित करते रहते हैं। कभी गोडसे की मूर्ति लगाने की मांग उठती है तो गांधी जयंती पर बीजेपी का आईटी सेल ‘देशभक्त नाथूराम’ को ट्विटर पर ट्रेंड कराकर माहौल बनाने की कोशिश करती है। गुरुवार को भी ट्विटर पर आईटी सेल ने ‘हैशटैग वेल डन प्रज्ञा’ ट्रेंड कराया। इसके बावजूद पूरे देश में विरोध जारी है।  

बुधवार को लोकसभा में डीएमके सांसद ए राजा एसपीजी संशोधन विधेयक पर चर्चा कर रहे थे। विधेयक पर चर्चा के दौरान ए राजा ने सदन में कहा कि महात्मा गांधी हत्याकांड में जब अदालत में अपील दायर की गई थी तब गोडसे ने एक बयान दिया था। ए राजा गोडसे का अदालत में दिया बयान पढ़ ही रहे थे कि हस्तक्षेप करते हुए प्रज्ञा ने गोडसे को देशभक्त बता दिया। प्रज्ञा के ये कहते ही सदन में हंगामा शुरू हो गया था।

प्रज्ञा का गोडसे प्रेम नया नहीं है। इससे पहले लोकसभा चुनाव के दौरान भी वह गांधी जी के कातिल नाथूराम गोडसे को देशभक्त बता चुकी हैं। इसके बाद पीएम मोदी ने कहा था कि इस तरह का बयान देने वाले को वो मन से माफ़ नहीं कर पाएंगे।

इस बार प्रज्ञा के बयान के तुरंत बाद बीजेपी डैमेज कंट्रोल में जुट गई। उसने प्रज्ञा को रक्षा मामले की सलाहकार समिति से हटा दिया। इसके साथ ही वह संसद सत्र के दौरान होने वाली बीजेपी संसदीय दल की बैठक में भी शिरकत नहीं कर सकेंगी।

भाजपा के डैमेड कंट्रोल की कोशिश के बाद भी प्रज्ञा के साथ ही पार्टी भी विपक्ष के निशाने पर आ गई है। प्रज्ञा के ‘देशभक्त’ बयान के तुरंत बाद ही लोकभा में हंगामा हुआ था, तो दूसरे दिन भी लोकसभा में हंगामा जारी रहा। विपक्ष प्रधानमंत्री से माफी की मांग कर रही है।

कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्विट किया है, ‘आतंकवादी प्रज्ञा ने आतंकवादी गोडसे को देशभक्त कहा है। यह भारतीय संसद के इतिहास का एक दुखद दिन है।’ कांग्रेस सांसद शशि थरूर निंदा प्रस्ताव के लिए एक ड्राफ्ट भी बना रहे हैं। उनका कहना है कि जब तक प्रज्ञा अपने बयान के लिए माफी न मांग ले, उन्हें संसद में न आने दिया जाए। उन्होंने कहा है कि वह इस पर विपक्ष के सांसदों के दस्तखत लेंगे।

इस बीच प्रज्ञा ठाकुर ने कहा है कि उन्होंन गोडसे को नहीं ऊधम सिंह जी को देशभक्त कहा था। इस मामले में अहम बात यह भी है कि उनकी टिप्पणी को संसद की कार्रवाई से हटा दिया गया है। उधर, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में पार्टी का बचाव किया और प्रज्ञा ठाकुर की आलोचना की है। राजनाथ ने कहा कि गोडसे को देशभक्त मानने की सोच निंदनीय है। महात्मा गांधी हमेशा ही हमारे लिए आदर्श हैं। विपक्षी नेता राजनाथ सिंह के बयान के दौरान नारेबाज़ी करते रहे। इसके बाद विपक्षी सांसदों ने लोकसभा से वॉक आउट भी किया।

लोकसभा में बहुजन समाज पार्टी के नेता दानिश अली ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि प्रज्ञा ठाकुर नाथूराम गोडसे को देशभक्त कहेंगी तो इसका जवाब तो हमारे प्रधानमंत्री को देना चाहिए। क्या देश के प्रधानमंत्री अपने आप को इतना कमज़ोर महसूस कर रहे हैं कि उनकी बार-बार चेतावनी के बाद सदस्य ऐसे बयान दे रहे हैं। हमें इसमें गड़बड़ नज़र आती है। या तो गंभीरता से चेतावनी नहीं दी गई या उन्हें बार-बार ऐसा कहने की अनुमति दी जा रही है। देश के पहले आतंकवादी नाथूराम गोडसे का चरित्र बदलने की कोशिश की जा रही है।

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