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विपक्ष ने की अडानी समूह की जेपीसी या सीजेआई पैनल से जांच की मांग

नई दिल्ली। संसद के दोनों सदनों के विपक्षी सांसदों ने अडानी समूह पर हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों को लेकर संयुक्त संसदीय समिति (JPC) या सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश द्वारा नियुक्त पैनल द्वारा जांच कराने की मांग की है। कांग्रेस,  टीएमसी (TMC), आम आदमी पार्टी (AAP), सपा (SP), डीएमके (DMK), जनता दल और वामपंथी दलों समेत 13 विपक्षी पार्टियों की राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के चैंबर में बैठक हुई। इनमें से 9 पार्टियों ने राज्यसभा में स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया।

मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि लोगों की मेहनत का पैसा बर्बाद हो रहा है। लोगों का विश्वास बैंक और एलआईसी (LIC) से उठ जाएगा। कुछ कंपनियों के शेयर लगातार गिरते जा रहे हैं। सभी पार्टियों के नेताओं ने मिलकर एक फैसला लिया है कि आर्थिक दृष्टि से देश में जो घटनाएं हो रही हैं उसे सदन में उठाना है, इसलिए हमने एक नोटिस दिया था। हम इस नोटिस पर चर्चा चाहते थे, लेकिन जब भी हम नोटिस देते हैं तो उसे रिजेक्ट कर दिया जाता है।

अडानी समूह पर हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों पर चर्चा की मांग के बाद लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही गुरुवार दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।

अडानी समूह में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) और जीवन बीमा निगम (LIC) ने भारी निवेश किया है। विपक्ष का आरोप है कि देश के करोड़ों लोगों की गाढ़ी कमाई का पैसा इन दोनों संस्थानों में जमा है। मोदी सरकार ने उक्त दोनों संस्थानों पर दबाव डालकर अडानी समूह में निवेश करवाया। अमेरिकी फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी समूह पर स्टॉक हेरफेर और धोखाधड़ी का आरोप लगाया है। जिसके बाद से समूह के शेयरों में लगातार गिरावट जारी है।

 कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि स्थगन नोटिस में एलआईसी, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और वित्तीय संस्थानों के बाजार मूल्य खोने वाली कंपनियों में निवेश करने के मुद्दे पर चर्चा की मांग की गई, जो “करोड़ों भारतीयों की गाढ़ी कमाई को खतरे में डालती है।”

कांग्रेस सदस्य मणिकम टैगोर और मनीष तिवारी ने गुरुवार को लोकसभा में अडानी समूह के मुद्दे और सीमा पर चीनी अतिक्रमण पर चर्चा के लिए स्थगन नोटिस दिया। लोकसभा में पार्टी के सचेतक मणिकम टैगोर ने कहा कि अडानी समूह के घटते शेयरों के कारण आपात जैसी स्थिति है।

अडानी समूह की प्रमुख कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज के शेयरों में गुरुवार को 15 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की है। इसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में, विपक्षी दलों के सदस्यों ने दोनों सदनों में स्थगन नोटिस दिया,  जिसमें कहा गया था कि “एसबीआई और एलआईसी के माध्यम से सार्वजनिक धन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा अडानी समूह में बंद है।” 

खड़गे ने कहा, “एलआईसी या एसबीआई जैसे बैंकों और संस्थानों से जुड़े करोड़ों भारतीयों का पैसा चुनिंदा कंपनियों में लगाया जा रहा है। हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट ने इस कंपनी के सच को सार्वजनिक कर दिया है। जिसके बाद कंपनी के शेयरों में गिरावट आई है… आप जानते हैं कि इस कंपनी का मालिक कौन है। सरकार ऐसी कंपनियों को पैसा क्यों दे रही है? एलआईसी, एसबीआई और अन्य संस्थानों ने पैसा दिया है.. उसकी जांच होनी चाहिए।” 

कांग्रेस के मीडिया प्रभारी जयराम रमेश ने ट्वीट किया, “संसद के दोनों सदनों को आज दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया क्योंकि सरकार एलआईसी, एसबीआई और अन्य सार्वजनिक संस्थानों द्वारा जबरन निवेश की जांच की संयुक्त विपक्ष की मांग से सहमत नहीं थी, जिसने हाल के दिनों में करोड़ों भारतीयों की बचत को खतरे में डालकर भारी मूल्य खो दिया है।”

समूह की कंपनियों के शेयरों में लगातार गिरावट और 20,000 करोड़ रुपये के फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (FPO) की वापसी के बीच भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सभी बैंकों से अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (AEL) को दिए कर्ज की जानकारी मांगी है। यह खबर देने वाली न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने बताया कि RBI के अफसरों ने इस पर कमेंट्स करने से इनकार कर दिया है। 

बाजार नियामक सेबी ने अडानी के शेयरों में गिरावट और 20,000 करोड़ रुपये के एफपीओ की निकासी की जांच नहीं कर रही है। अडानी समूह पर 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक का समेकित ऋण है।

आरबीआई की मांग के बावजूद भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने अभी तक अपने दिए गए कर्ज का खुलासा नहीं किया है, जबकि पंजाब नेशनल बैंक (PNB) का अडानी समूह में 7,000 करोड़ रुपये, बैंक ऑफ बड़ौदा का 4,000 करोड़ रुपये का एक्सपोजर है। अन्य बैंकों ने अभी तक अपने कर्ज का खुलासा नहीं किया है।

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