G-20 विदेश मंत्रियों की बैठक के लिए जापान और साउथ कोरिया ने भेजे जूनियर मंत्री!

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नई दिल्ली। भारत की विदेश नीति इन दिनों सवालों के घेरे में है। जापान और दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्री नई दिल्ली में एक से तीन मार्च तक होने वाली जी-20 विदेश मंत्रियों की बैठक में शामिल नहीं हो रहे हैं।

उनकी जगह इस बैठक में दोनों देशों के जूनियर मंत्री शरीक हो रहे हैं। जापान की ओर से  विदेश मंत्री योशिम्सा हायाशी की जगह जूनियर मंत्री शामिल हो रहे हैं, तो ऐसा ही दक्षिण कोरिया की ओर से भी होने वाला है।

बीबीसी की एक रिपोर्ट बताती है कि जब 28 फरवरी तक जापान की ओर से जापानी विदेश मंत्री के भारत के आने की पुष्टि नहीं हुई तो जापानी रिसर्चर ने ट्वीट कर कहा था अगर जापानी विदेश मंत्री हायाशी ने जी-20 के विदेश मंत्रियों की बैठक में शामिल होने की योजना को रद्द किया है तो ये भारत के लिए परेशान करने वाली बात होगी। उन्होंने आगे अपने ट्वीट में ये भी कहा कि जापानी विदेश मंत्री को भारत ज़रूर आना चाहिए।

इसके साथ ही दक्षिण कोरिया ने तो 24 फरवरी को ही बता दिया था कि उसके विदेश मंत्री की जगह उप-विदेश मंत्री इस बैठक में जाएंगे। यानी साउथ कोरिया और जापान दोनों ने अपने विदेश मंत्री की जगह जूनियर मंत्री को G-20 की बैठक में भारत भेजा है।

दरअसल जापान के रुख से हैरानी इस बात को लेकर है कि जब अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने इस बात का पहले ही ऐलान कर दिया था कि उनके विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन G-20 देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में नई दिल्ली जाएंगे साथ ही वहां तीन मार्च को क्वॉड देशों के विदेश मंत्रियों के साथ बैठक में शामिल होंगे , ऐसे में जापान का जूनियर मंत्री को भेजना सवाल तो पैदा करता है।

बता दें कि क्वॉड ग्रुप में अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत शामिल हैं।

इस बात पर अभी भी संशय बना हुआ है कि जापान के विदेश मंत्री की गैरमौजूदगी की वजह से ये क्वाड की बैठक अब होगी या नहीं , या फिर इस मीटिंग में जापान की ओर से कौन शामिल होगा ?

भारत और जापान अब तक खासे करीबी रहे हैं लेकिन यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद संबंधों में कुछ दिक्कतें तो आई हैं। दरअसल जापान के पीएम फुमिओ किशिदा यूक्रेन पर रूसी हमले को लेकर आक्रामक रुख अख्तियार किए हुए हैं।

पश्चिमी देशों की ओर से रूस पर लगे प्रतिबंधों में जापान और साउथ कोरिया भी शामिल हैं। कहा जा रहा है कि इसमें एक मसला भारत की रूस से दोस्ती को लेकर भी है। जापान भारत के नजदीक आना चाहता है लेकिन भारत की रूस के साथ नज़दीकी को लेकर असहजता बनी हुई है।

इस बात के सबूत भी मिले हैं। क्योंकि पिछले साल सितंबर में अपने जापान दौरे के समय पीएम नरेंद्र मोदी वहां के वर्तमान प्रधानमंत्री से मिले थे। जिसके बाद जापान और भारत के बीच पहली एयर ड्रिल्स देखने को भी मिली थी। साथ ही जापान की ओर से मई महीने में होने वाले जी-7 समिट में भारत और ऑस्ट्रेलिया को भी आमंत्रित किया गया।

वहीं जापान में विपक्ष की ओर से विदेश मंत्री के दौरे को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। वही सवाल साउथ कोरिया को लेकर भी है। दक्षिण कोरिया को भारत में बड़े निवेशक की तरह देखा जा रहा है। फिर साउथ कोरिया की ओर से इस तरह के रवैये को लेकर डिप्लोमैटिक हलकों में कई तरह की अटकलें जारी हैं, जाहिर है ये पूरा मामला इस बात की ओर संकेत तो ज़रूर देता है कि हमारी विदेश नीति में कहीं कुछ गड़बड़ तो ज़रूर है।

(जनचौक की रिपोर्ट)

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