खुलासे के बाद अडानी समूह ने माना विनोद अडानी से अपना रिश्ता

नई दिल्ली। विनोद अडानी मसले पर बिल्कुल यू टर्न लेते हुए अडानी समूह ने कहा है कि वह हमारे समूह के हिस्से हैं। दरअसल इसके पहले हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद से अडानी समूह लगातार यह कह रहा था कि सऊदी अरब में रहने वाले विनोद अडानी से उसका कुछ लेना-देना नहीं है। लेकिन एसीसी और अंबूजा सीमेंट के मामले में नये खुलासे के बाद अब अडानी समूह को अपने पुराने रुख में बदलाव लाना पड़ा है। 

दरअसल अंबूजा और एसीसी सीमेंट का मालिकाना विनोद अडानी के हाथ में है। दो दिन पहले बिजनेस की दुनिया में इससे संबंधित खबरें चलने लगी थीं। आज इसकी पुष्टि करते हुए अडानी समूह ने आधिकारिक तौर पर इस बात को स्वीकार कर लिया। कंपनी की तरफ से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि एसीसी और अंबूजा सीमेंट का अधिग्रहण करने वाला विनोद अडानी नियंत्रित एंडेवर ट्रेड एंड इन्वेंस्टमेंट अडानी समूह का हिस्सा है। 

इसके पहले हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी पर मारीशस रूट के जरिये अडानी समूह को लाभ पहुंचाने के कारोबार का सूत्रधार बताया था। लेकिन अडानी समूह लगातार इस बात से इंकार करता रहा कि उसका विनोद अडानी से कोई रिश्ता है। 

बिजनेस टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल सितंबर में अडानी समूह ने सूचना दी थी कि उसने स्विस सीमेंट से अंबूजा और एसीसी सीमेंट का अधिग्रहण कर लिया है। उसने इसकी कीमत 10.5 बिलियन डॉलर बतायी थी। उसने यह भी कहा था कि इस अधिग्रहण के साथ ही समूह आदित्य बिड़ला समूह के अल्ट्रा टेक सीमेंट के बाद सीमेंट के क्षेत्र में दूसरा सबसे बड़ा समूह बन गया है। यह बात भी कही गयी थी कि अडानी समूह ने इसके लिए बाकायदा एंडेवर ट्रेड एंड इन्वेंटमेंट नाम की नयी कंपनी बनायी थी। समूह ने ये सारी बातें प्रेस विज्ञप्ति में कही थीं। 

लेकिन अब नये खुलासे के बाद पता चला है कि यह विनोद अडानी की कंपनी है जो मारीशस आधारित है। इससे यह मैसेज जाने लगा था कि अंबूजा-एसीसी सीमेंट को न तो अडानी समूह और न ही उसके समूह की कोई सहायक कंपनी ने खरीदा है। लिहाजा अब अडानी समूह ने बाकायदा न केवल विनोद अडानी बल्कि उनकी कंपनी को भी अपने समूह का हिस्सा बता दिया है।

अडानी समूह पहले से ही अपने फ्राड दावों के चलते कठघरे में है। अमेरिका स्थित हिंडनबर्ग रिसर्च ने उस पर अपनी संपत्ति को वास्तविकता से बहुत ज्यादा बढ़ा-चढ़ा कर पेश करने का आरोप लगाया था। 24 जनवरी को प्रकाशित अपनी रिपोर्ट में शार्ट सेलर ने दावा किया था कि भारतीय कारपोरेट समूह स्टॉक से जुड़े एक बड़े फ्रॉड और धोखाधड़ी में शामिल था। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट का असर ये हुआ कि शेयर मार्केट में अडानी समूह की कंपनियों के शेयर बहुत तेजी से गिरने लगे। दुनिया के दौलतमंदों में नंबर तीन की सीट पर पहुंचा अडानी समूह अचानक 40वें स्थान पर पहुंच गया। 

हिंडनबर्ग ने इससे भी बड़ा खुलासा जो किया वह गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी को लेकर था। उसने दावा किया कि विनोद अडानी ने गौतम अडानी के लिए मारीशस आधारित कई सेल कंपनियों के जरिये ढेर सारा फंड जुटाया था। शार्ट सेलर का कहना था कि उसने ऐसी तकरीबन 38 कंपनियों को चिन्हित किया। जिसके मालिक विनोद अडानी या फिर उनसे जुड़े सगे-संबंधी हैं। 

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