अपने ऊपर हुए हमले का मेरे पास सबूत है: आइषी घोष

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नई दिल्ली। जेएनयूएसयू अध्यक्षल आइषी घोष ने कहा है कि दिल्ली पुलिस अपनी जांच कर सकती है लेकिन मेरे पास भी इस बात का सबूत है कि मेरे ऊपर किस तरह से हमला किया गया। आइषी का यह बयान पुलिस की उस रिपोर्ट के बाद आया है जिसमें उसने रविवार की हिंसा में शामिल 9 संदिग्धों में से एक आइषी को भी बताया है। इसके साथ ही आइषी ने कहा कि उनके खिलाफ जो भी सबूत हैं दिल्ली पुलिस को उनको सामने लाना चाहिए।

जांच के बिल्कुल साफ-सुथरा होने के प्रति विश्वास जाहिर करते हुए आइषी ने कहा कि “दिल्ली पुलिस अपनी जांच कर सकती है। मेरे पास भी इस बात का प्रमाण है कि मेरे ऊपर कैसे हमला किया गया। मुझे इस देश के कानून और व्यवस्था में पूरा विश्वास है। और यह भी कि जांच बिल्कुल साफ-सुथरी होगी। मुझे न्याय मिलेगा। लेकिन दिल्ली पुलिस पक्षपाती क्यों है? मेरी शिकायत को एफआईआर के तौर पर नहीं दर्ज किया गया। मैंने किसी भी तरह का हमला नहीं किया है।”

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक  मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सचिव अमित खरे से शुक्रवार को मुलाकात करने के बाद घोष ने कहा कि मंत्रालय ने मामले में सकारात्मक हस्तक्षेप करने का भरोसा दिलाया है। आइषी ने बताया कि “उन्होंने इस बात का भरोसा दिलाया है कि वो मामले में सकारात्मक तरीके से हस्तक्षेप करेंगे और इस मुद्दे पर जल्द ही एक सर्कुलर जारी करेंगे।”

उन्होंने कहा कि हम लोगों ने कुछ भी गलत नहीं किया है। हम दिल्ली पुलिस से नहीं डरते हैं। हम कानून के साथ खड़े होंगे और अपने आंदोलन को शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से आगे ले जाएंगे।

कुलपति एम जगदेश कुमार के बारे में बोलते हुए घोष ने कहा कि जेएनयूएसयू उन्हें हटाने की अपनी मांग पर खड़ा है। फीस वृद्धि के खिलाफ आंदोलन को वापस लिया जाए या नहीं इसका फैसला बाद में लिया जाएगा।

जेएनयूएसयू अध्यक्ष ने यह भी बताया कि छात्रसंघ ने मंत्रालय से एफआईआर और विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा छात्रों के खिलाफ शुरू किए गए प्राक्टोरियल जांच में भी दखल देने की मांग की है।

पीटीआई के हवाले से आये बयान में घोष ने कहा कि “जेएनयू वीसी के इस्तीफे की हमारी मांग अभी कायम है। हम कौंसिलर और पदाधिकारियों की बैठक बुलाएंगे जिसमें आंदोलन वापस लिया जाए या नहीं इस पर विचार किया जाएगा। हमने अपने मुद्दों को रख दिया है और अब मंत्रालय के फैसले का इंतजार कर रहे हैं।”

उन्होंने कहा कि “हमने मांग किया कि जेएनयू के वीसी को उनके पद से तत्काल हटाया जाना चाहिए क्योंकि वह विश्वविद्यालय को चलाने में सक्षम नहीं हैं। हमें एक ऐसे वीसी की जरूरत है जो फ्रेश तरीके से शुरुआत कर सके और कैंपस में सामान्य माहौल की बहाली करने में सहायक हो।”

दूसरी तरफ जेएनयूएसयू की उपाध्यक्ष साकेत मून ने कहा कि “एचआरडी में भरोसा है लेकिन गृहमंत्रालय में नहीं जो पूरे मुद्दे को घुमा रहा है”।

इस बीच, दिल्ली पुलिस ने रविवार को हुई हिंसा में नौ लोगों के संदिग्ध होने की बात कही है। इसमें उसने आइषी घोष को भी चिन्हित किया है। और पुलिस ने इन सभी के सीसीटीवी फुटेज जारी किए हैं। नौ संदिग्धों में उसका कहना है कि 7 वामपंथी संगठनों से जुड़े लोग हैं जबकि दो दक्षिणपंथी।

एक प्रेस ब्रीफिंग में क्राइम ब्रांच के डीसीपी ज्वाय तिरके ने कहा कि घोष समेत ढेर सारे लोगों ने कैंपस में छात्रों पर हमला किया। दूसरे नामित किए गए लोगों में चुनचुन कुमार, पंकज मिश्रा, वास्कर विजय, सुचेता तालुकराज, प्रिय रंजन, दोलन सावंत, योगेंद्र भारद्वाज और विकास पटेल शामिल हैं।

तिरके ने कहा कि बहुत सारे लोग रजिस्ट्रेशन करवाना चाहते थे लेकिन चिन्हित किए गए समूहों और उनके समर्थकों ने उन्हें ऐसा नहीं करने दिया।

इस पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए आइषी घोष ने कहा कि मुझे किसी बात का डर नहीं है। मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है। यह सब कुछ नरेटिव बनाने के लिए किया गया है। इन आरोपों के पीछे कोई भी आधार नहीं है।

जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (जेएनयूटीए) ने अपने बयान में कहा है कि ऐसी घटना जिसने पूरे देश को हतप्रभ कर दिया हो और बहुत सारे लोगों को दिमागी तौर पर परेशान कर दिया हो उसको इस तरह से कम करके पेश करना बेहद चौंकाने वाला है। यहां इस बात को नोट किया जाना चाहिए कि अध्यापकों की ओर से कई शिकायतें पेश किए जाने के बावजूद उनमें से एक को भी एफआईआर के तौर पर दर्ज नहीं किया गया।

संगठन ने कहा कि दिल्ली पुलिस सारे मामले का ठीकरा उसी छात्रसंघ पर फोड़ देना चाहती है जो फीस वृद्धि के खिलाफ आंदोलन कर रहा है।

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