ये कैसे लोग हैं? ये कौन सा देश है? ये हो क्या रहा है?

Estimated read time 1 min read
आशुतोष कुमार

आज तक लव जिहाद का एक भी केस नहीं मिला। 2009 में केरल में, 2010 में कर्नाटक में, 2014 में यूपी में लव जिहाद के कई कथित मामलों की सघन जांच पड़ताल के बाद पुलिस, सरकार और कोर्ट ने माना कि इनमें से कोई भी लव जिहाद का मामला नहीं था। यह भी कि कहीं किसी स्तर पर ऐसी कोई कोशिश नहीं चल रही।

इसके बावजूद हज़ारों लड़के-लड़कियों की ज़िन्दगियाँ तबाह हुई हैं लव जिहाद के झूठे आरोपों के कारण। हदिया और शफ़ीन का मामला इन्ही बर्बादियों की ताज़ा कड़ी है।

गाज़ियाबाद के राजनगर में अंतरधार्मिक विवाह को लेकर बीजेपी समेत कई हिंदुत्ववादी संगठनों ने घंटों हंगामा किया। फोटो साभार

ग़ाज़ियाबाद। राजनगर में अंतरधार्मिक विवाह को लेकर बीजेपी समेत कई हिंदुत्ववादी संगठनों ने घंटों हंगामा किया। यह विरोध तब था जब यह विवाह लड़के-लड़की और उन दोनों के परिवारवालों की मर्जी से हुआ था। लड़के-लड़की दोनों ने स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत 15 दिसंबर को कोर्ट मैरिज की थी और शुक्रवार, 22 दिसंबर को घर पर रिसेप्शन पार्टी रखी गई थी। इसकी खबर मिलने पर बीजेपी, बजरंग दल समेत कई हिंदूवादी संगठनों ने लड़की के घर पहुंचकर हंगामा किया। इस दौरान सड़क पर जाम लगाया गया और पुलिस पर पथराव तक किया गया (जनचौक ब्यूरो)।

अफराजुल की नृशंसतम हत्या और उसके समर्थन में राजस्थान में धार्मिक आतंकवादियों का उपद्रव इस झूठ की ताज़ा निष्पत्तियां हैं।

उधर बाबाओं के चँगुल में हज़ारों लड़कियों के भीषणतम शोषण के प्रमाण सबकी आंखों के सामने हैं। कुछ पकड़े गए, पर न जाने और कितने यौन शोषण साम्राज्य और कहां कहां चल रहे हैं?

फिर भी इस वहशी बाबागीरी पर रोक लगाने की एक भी पुकार क्यों सुनाई नहीं देती? इनके ख़िलाफ़ क़ानून बनाने की मांग क्यों नहीं होती?

किसी बहादुर लड़की के सामने आने पर इस उस बाबा की धरपकड़ होती है, लेकिन इस विषवृक्ष को जड़ से उखाड़ने की कोई पहल नहीं होती।

मासूम लड़कियां भेड़ बकरियों की तरह सोलह हज़ारी बाबाओं के हरम में ठूंसी जा रही हैं। कई माँ-बाप खुद अपनी फूल-सी बच्चियों को इन बाबाओं के हवाले कर आते हैं। वही मां बाप जो लव जिहाद रोकने के नाम पर नृशंस हत्या करने वाले के लिए भी चंदा जमा करते हैं।

ये कैसे लोग हैं?

ये कौन सा देश है?

ये हो क्या रहा है?

हमारी तो समझ में अब कुछ नहीं आता। आपने समझा हो तो समझाओ।

(लेखक आशुतोष कुमार दिल्ली विश्वविद्यालय में प्राध्यापक और हिन्दी के प्रसिद्ध आलोचक हैं।)

+ There are no comments

Add yours

You May Also Like

More From Author