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देविंदर प्रकरण: क्योंकि अब पूरे देश में लागू हो चुका है गुजरात कम इजरायल मॉडल!

जो मित्र इजरायल के आतंकी मॉडल के बारे में जानते हैं, वे डीएसपी देविंदर की गिरफ्तारी से जरा भी चकित नहीं होंगे।

इजरायल में राष्ट्रवाद की भावना ज्यों ही कमजोर पड़ती है, सत्ता ज्यों ही सवालों से घिरती है, आतंकी हमला हो जाता है और फिर सरकार आतंकवाद से लड़ने के नाम पर अपनी सारी विफलताएं छिपा लेती है।

अमेरिकी पत्रकार इलविन बेनेडिक्ट ज्यां ने कई बार न्यूयॉर्क टाइम्स में सप्रमाण लिखा है कि ऐसे हमले इजरायल की सरकार खुद कराती है। गाजा और वेस्ट बैंक में इनके लोग होते हैं। उनसे ये कह देते हैं, कुछ करो तो रे और वे कर देते हैं।

मोदी जी के शासनकाल में गुजरात में इजरायल वाला मॉडल लागू था, आज देश भर में हो गया हो तो कैसा आश्चर्य।

गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस अग्निकांड और गुजरात में मोदी जी के समय में हुई सभी आतंकी घटनाओं के आर पार देखिए, तो समझ में आएगा कि कहानी वैसी नहीं है, जैसी सुनाई गई है।

अब मोदी जी प्रधानमंत्री हैं और देश में गुजरात मॉडल लागू हो चुका है। अगर देविंदर नहीं पकड़ा जाता तो क्या होता, कल्पना कीजिये।

26 जनवरी से पहले दिल्ली में धमाके हो सकते थे या दो आतंकी पुलिस मुठभेड़ में मारे जा सकते थे।

फिर क्या होता

शाहीन बाग के आंदोलनकारियों को घर भेज दिया जाता। सीएए एनआरसी की जगह आतंकवाद जेरे-बहस होता।

आर्थिक सुस्ती, महंगाई, बेरोजगारी, विदेश नीति की विफलता जैसे सवालों का मुंह बंद हो गया होता।

जेएनयू मामले में आइशी घोष पर एफआईआर करने के लिए पुलिस को जो धिक्कार मिल रही है, वह मिलना बंद हो जाती। लेकिन देविंदर की गिरफ्तारी ने खेल खराब कर दिया है।

समाचार चैनलों ने तो कहना शुरू कर ही दिया था कि दो आतंकी दिल्ली में घुस आए हैं, लेकिन देविंदर उन्हें लेकर आ नहीं पाया, और पकड़ा गया।

(यह टिप्पणी राजेंद्र चतुर्वेदी के फेसबुक वाल से साभार ली गयी है।)

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