Tuesday, March 21, 2023

दूसरी परम्परा के लोकधर्मी मुक्तिकामी आलोचक चौथीराम यादव को मिला सत्राची सम्मान

Janchowk
Follow us:

ज़रूर पढ़े

वाराणसी। चौथीराम यादव को उनकी आलोचकीय प्रतिबद्धता को देखते हुए सत्राची सम्मान से सम्मानित किया गया। यह सम्मान समारोह कार्यक्रम Singh’s Delight Restaurant, सुंदरपुर में आयोजित किया गया था। इस मौके पर विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रसिद्ध कथाकार काशीनाथ सिंह उपस्थित थे। अध्यक्षता आलोचक वीरभारत तलवार ने की। प्रशस्ति वाचन सत्राची फाउंडेशन के सचिव आनंद बिहारी व मंच संचालन आलोचक कमलेश वर्मा ने किया। इस अवसर पर सम्मानित आलोचक चौथीराम यादव को सत्राची फाउंडेशन के द्वारा एक प्रतीक चिन्ह भेंट किया व 51 हजार रुपए का चेक प्रदान किया गया।

आयोजित दूसरे सत्राची सम्मान में अपनी बात रखते हुए वर्तमान साहित्य पत्रिका के संपादक संजय श्रीवास्तव ने चौथीराम यादव को बधाई देते हुए कहा कि चौथीराम यादव की आन्दोलनधर्मी चेतना विख्यात है। दूसरी परम्परा को प्रबल एवं जनोन्मुखी बनाने के लिए उनका योगदान अप्रतिम है। वे सर्वाधिक लोकप्रिय शिक्षक के रूप में जाने जाते रहे हैं। उनका आन्दोलनधर्मी व्यक्तित्व आज के समय की सबसे बड़ी जरूरत है।

विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ कथाकार काशीनाथ सिंह ने बताया कि उनकी 55 साल से चौथीराम यादव से दोस्ती है, उनकी यह दोस्ती चौथीराम यादव की रचनात्मकता के कारण बनी हुई है। उन्होंने कहा कि चौथीराम यादव का लेखन मुख्यतः उनकी सेवानिवृत्ति के बाद का है। आगे बताया कि चौथीराम यादव के आलोचकीय चिंतन को प्रभावित करने वाले दो बड़े मोड़ हैं। एक है —नामवर सिंह द्वारा दूसरी परम्परा की खोज पुस्तक का लिखा जाना और दूसरा है —वी पी सिंह द्वारा मंडल कमीशन को लागू करना। उन्होंने कहा चौथीराम यादव इतिहास पुरुष हैं। दलित आदिवासी साहित्य के पास जब आलोचक नहीं था तब उसके प्रचारक, व्याख्याता और समीक्षक के रूप में उन्हें चौथीराम मिले। दलित विमर्श को साहित्य का अंग बनाने का श्रेय उन्हें ही है। चौथीराम यादव मनुवाद व ब्राह्मणवाद को निर्भीक चुनौती देने वाले आलोचक हैं।

अपने विद्वतापूर्ण अध्यक्षीय वक्तव्य में प्रसिद्ध आलोचक वीरभारत तलवार ने इस बात को रेखांकित किया कि सामाजिक रूप से पिछड़े व उत्पीड़ित वर्ग में सर्जक बहुत हैं, लेकिन आलोचक नहीं हैं। चौथीराम यादव पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने उत्पीड़ित वर्ग की आलोचना लिखी। उन्होंने कहा कि चौथीराम यादव की आलोचना का बीज शब्द है —लोक। उन्होंने मार्क्स एवं अंबेडकर के सिद्धांतों से प्रेरित होकर अपनी दृष्टि बनाई। सिर्फ हाशिए के विमर्श की ही नहीं, आर्थिक रूप से शोषित पीड़ित लोगों के साहित्य की भी आलोचना लिखी। उन्होंने जिस निष्ठा के साथ दलित आदिवासी साहित्य पर लिखा, उसी निष्ठा से स्त्री पर भी और कृषक मजदूर के साहित्य पर भी।

आत्मवक्तव्य में चौथीराम यादव ने सत्राची फाउंडेशन एवं वक्ता और श्रोता के रूप में उपस्थित जनों के प्रति आभार प्रकट किया। धन्यवाद ज्ञापन आनद बिहारी जी ने किया। इस अवसर पर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग से श्रीप्रकाश शुक्ल, प्रभात मिश्र, महेंद्र कुशवाहा, विंध्याचल यादव, किंग्सन पटेल उपस्थित थे। इसके साथ ही रामजी यादव, रामप्रकाश कुशवाहा, रामवचन यादव, आदि थे।

आपको बता दें कि चौथीराम यादव समकालीन हिन्दी आलोचना के सुविख्यात लोकधर्मी मुक्तिकामी आलोचक हैं। उन्होंने अपनी आलोचना में वर्चस्व की परम्परा को चुनौती देते हुए दूसरी परम्परा के चिंतन को विस्तार दिया है। उनकी आलोचना के केंद्र में लोक है, लोक की यह परम्परा चार्वाक, लोकायत, सरहपा, मध्यकालीन क्रांतिकारी संत कबीर से होते हुए विकसित होती है। चौथीराम यादव ने उस समृद्ध एवं गतिशील परम्परा को हिन्दी आलोचना में प्रतिस्थापित किया। पूरी हिन्दी आलोचना को उत्पीड़ित वर्गों की आंखों से देखते हुए एक नई दिशा दी।

चौथीराम यादव ने राजेन्द्र यादव के हाशिए के विमर्श के लेखकीय जन अभियान को अपने प्रतिबद्ध लेखन एवं अभिभाषणों से आगे बढ़ाया। अपनी आलोचकीय क्षमता से हिन्दी साहित्य का अंग बनाया। चौथीराम यादव ने अपनी आलोचना को किसी दायरे में बंधने नहीं दिया, उन्होंने दायरे का लगातार अतिक्रमण किया। जिस निष्ठा के साथ उन्होंने दलित आदिवासी साहित्य की आलोचना लिखी, उसी लेखकीय निष्ठा के साथ स्त्री साहित्य पर भी लिखा। प्रेमचंद, नागार्जुन, काशीनाथ सिंह पर भी लिखा। चौथीराम यादव ने साहित्य और समाज में व्याप्त वर्चस्ववादी विचारों को जिस ताकत के साथ चुनौती दी, उसी साहस के साथ पूंजीवादी समाज व्यवस्था में शोषण के शिकार हो रहे आमजन के प्रति भी अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की।

(वाराणसी से पंकज कुमार की रिपोर्ट।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of

guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest News

Kisan Mahapanchayat: मांग नहीं मानी तो फिर से होगा किसान आंदोलन, 30 अप्रैल को मोर्चे की बैठक

नई दिल्ली। मोदी सरकार द्वारा किसानों के साथ किए गए वायदे पूरे न होते देख सोमवार को एक बार...

सम्बंधित ख़बरें