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ज़रूरी ख़बर

मेरे शिक्षक, मेरे साथी। अलविदा!

कोई 1994-95 के दरम्यां की बात है। महीना याद नहीं, सत्र भी लेट चल रहा था। इलाहाबाद विश्वविद्यालय की एम. ए. प्रथम वर्ष (आधुनिक इतिहास) [more…]