Author: राजू पांडेय

  • चुनावों में हस्तक्षेप का निर्णय और उसके खतरे: संदर्भ किसान आंदोलन

    चुनावों में हस्तक्षेप का निर्णय और उसके खतरे: संदर्भ किसान आंदोलन

    अंततः किसान आंदोलन के नेताओं ने यह निर्णय ले ही लिया कि पांच राज्यों में हो रहे विधान सभा चुनावों में संबंधित प्रदेशों का दौरा कर वे मतदाताओं से भाजपा को उसके किसान विरोधी रवैये के मद्देनजर सत्ता से दूर रखने की अपील करेंगे। संयुक्त किसान मोर्चा ने इस संबंध में पत्र के रूप में…

  • नाक में दम करने वाले डिजिटल मीडिया को नाथने की फिराक में सरकार

    नाक में दम करने वाले डिजिटल मीडिया को नाथने की फिराक में सरकार

    सरकार के नए इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमीडियरी गाइड लाइंस) नियम 2021 को लेकर बहुत कुछ अस्पष्ट है, संभवतः यह अस्पष्टता सायास और सप्रयोजन है और यह सरकार को अपनी सुविधानुसार इन नियमों की मनमानी व्याख्या करने की सुविधा प्रदान करेगी। बहरहाल नए इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमीडियरी गाइडलाइंस) नियम 2021 के विषय में जो कुछ स्पष्ट है वह…

  • गांधी की अहिंसा को तिलांजलि देता नया भारत!

    गांधी की अहिंसा को तिलांजलि देता नया भारत!

    गोरखपुर, उत्तर प्रदेश में ‘चौरी चौरा’ शताब्दी समारोह के उद्घाटन के अवसर पर प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए सम्बोधन को भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के -हाल के दिनों में लोकप्रिय बनाए जा रहे- उस घातक पुनर्पाठ के रूप में देखा जा सकता है जो गांधी और उनकी अहिंसा को पूर्णरूपेण खारिज करता है। संघ परिवार और कट्टर हिंदुत्व…

  • बजट में भी दिखी किसानों के प्रति सरकार की बेरुखी

    बजट में भी दिखी किसानों के प्रति सरकार की बेरुखी

    इस वर्ष का आम बजट वह अवसर था जब आंदोलित किसान यह आकलन कर सकते थे कि सरकार क्या वास्तव में उनकी मांगों को लेकर गंभीर है? आम जन भी यह मूल्यांकन कर सकते थे कि सरकार के मंत्रियों और प्रवक्ताओं द्वारा मीडिया में बार-बार किया जाने वाला यह दावा कि उनकी सरकार स्वतंत्र भारत…

  • हिंदुस्तान के वास्तविक राजा किसान को बना दिया गया है गुलाम: गांधी

    हिंदुस्तान के वास्तविक राजा किसान को बना दिया गया है गुलाम: गांधी

    जीवन में अनेक ऐसे अवसर आए जब गांधी जी को अपना परिचय देने की आवश्यकता पड़ी और हर बार उन्होंने स्वयं की पहचान किसान ही बताई। 1922 में राजद्रोह के मुकदमे का सामना कर रहे गांधी अहमदाबाद में एक विशेष अदालत के सामने स्वयं का परिचय एक किसान और बुनकर के रूप में देते हैं।…

  • किसान आंदोलन को नकारात्मकता के खांचे में मत धकेलिए!

    किसान आंदोलन को नकारात्मकता के खांचे में मत धकेलिए!

    किसानों ने अहिंसक, शांतिपूर्ण ट्रैक्टर परेड के माध्यम से गणतंत्र दिवस मनाने का निर्णय लिया है। ट्रैक्टर देश के लाखों किसानों के कृषि कार्य का सहायक साधन है, यह इस बात का प्रतीक है कि देश का किसान हर नई टेक्नोलॉजी और हर वैज्ञानिक नवाचार के प्रति उदार सोच रखता है, किंतु जब ट्रैक्टर अहिंसक…

  • सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों पर बार-बार उठते सवाल

    सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों पर बार-बार उठते सवाल

    क्या न्याय इतना व्यक्तिनिष्ठ और इतना असहाय हो सकता है कि उसकी समीक्षा और आलोचना करना अनिवार्य बन जाए?  कोई एक न्यायाधीश यदि कमजोर मनुष्य सिद्ध हो जाए तो क्या करोड़ों लोगों को प्रभावित करने वाले उसके फैसलों को केवल इस कारण शिरोधार्य करना होगा कि वे एक ऐसे पदाधिकारी द्वारा दिए गए हैं, जिसे…

  • किसानों पर नफरत और विभाजन के अर्थशास्त्र का आक्रमण

    किसानों पर नफरत और विभाजन के अर्थशास्त्र का आक्रमण

    किसान आंदोलन का धर्मनिरपेक्ष और अहिंसक स्वरूप निश्चित ही नफरत और बंटवारे की राजनीति करने वालों के दिल में घबराहट पैदा कर रहा है। किसानों की एकजुटता और आंदोलन का राष्ट्रव्यापी स्वरूप सरकार को चिंता में डाल रहा है। धीरे-धीरे सांप्रदायिकता और धार्मिक उन्माद का गहरा सम्मोहन टूट रहा है और देश की जनता बुनियादी…

  • प्रधानमंत्री जी! न आंदोलन षड्यंत्र है, न किसान आपके शत्रु!

    प्रधानमंत्री जी! न आंदोलन षड्यंत्र है, न किसान आपके शत्रु!

    प्रधानमंत्री जी ने स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी की जयंती पर कुछ चुनिंदा राज्यों के किसानों को संबोधित किया। इस बार भी वे आंदोलनरत किसानों से प्रत्यक्ष संवाद करने का साहस नहीं जुटा पाए। जो भी हो यह संबोधन बहुप्रतीक्षित था। किसानों के राष्ट्रव्यापी जन प्रतिरोध के मद्देनजर सबको यह आशा थी कि प्रधानमंत्री किसी…

  • किसान आंदोलन के बढ़ते आकार से घबरा उठी है सरकार

    किसान आंदोलन के बढ़ते आकार से घबरा उठी है सरकार

    सरकार किसान आंदोलन से जितनी भयभीत नहीं है उससे ज्यादा आतंकित इस बात से है कि कहीं इस आंदोलन से किसानों में वर्ग चेतना का उदय न हो जाए। सरकार को भय इस बात का है कि  अलग-अलग और अलग थलग  चल रहे जन आंदोलनों में कहीं पारस्परिक सामंजस्य न स्थापित हो जाए। कहीं देश…