Friday, April 26, 2024

राजू पांडेय

नए संसद भवन का भूमि पूजन : लोकतांत्रिक विमर्श में धर्म की एंट्री

अंततः नए भारत के नए संसद भवन का भूमि पूजन शुभ मुहूर्त में वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य संपन्न हुआ। एक बार फिर लोकतंत्र को बहुत चतुराई से धर्म के विमर्श के साथ जोड़ने का सरकार का कौशल देखने को...

मानवाधिकार दिवस पर विशेष: महिलाओं के बिना असंभव थी मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा

यूनिवर्सल डिक्लेरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स (यूडीएचआर) को उसका निर्णायक और अंतिम स्वरूप देने में महिलाओं की भूमिका प्रायः अचर्चित रही है जबकि वास्तविकता यह है कि बिना महिलाओं के योगदान एवं हस्तक्षेप के मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा सर्वसमावेशी...

लव जिहाद कानूनः लड़कियां जहाज तो उड़ा सकती हैं लेकिन नहीं चुन सकतीं मनपसंद जीवन साथी

अंततः उत्तर प्रदेश सरकार ने इस बात की सार्वजनिक स्वीकारोक्ति कर ही ली कि वह बहुसंख्य हिंदू युवतियों को नासमझ, अपने हित-अनहित का निर्धारण कर सकने में असमर्थ तथा स्वविवेक से कोई भी सही निर्णय लेने के लिए अक्षम...

ललित सुरजन: लोक शिक्षण को समर्पित पत्रकारिता के पुरोधा

पूज्य ललित सुरजन जी के जाने के बाद आज स्वयं को अनाथ, असहाय, अकेला और अस्त व्यस्त अनुभव कर रहा हूँ। पिछले दो वर्षों में अनेक बार मुख्य धारा के मीडिया द्वारा जन सरोकार के मुद्दों की नृशंस और...

अपनी ही नफरत की आग में जल जाएंगे अर्णब और कंगना!

महाराष्ट्र सरकार ऐसा लगता है कि अर्णब गोस्वामी को नायक बनाकर ही दम लेगी। न्यू इंडिया की आक्रामक, हिंसक तथा विभाजनकारी विचारधारा की लाक्षणिक विशेषताओं से परिपूर्ण, किंचित असमायोजित व्यक्तित्वधारी अतिमहत्वाकांक्षी अर्णब को महाराष्ट्र सरकार ने अपनी कोशिशों से...

बेका समझौता: चीन के खिलाफ भारत के अमेरिकी मोहरा बनने का दस्तावेज

अंततः भारत ने 27 अक्तूबर 2020 को अमेरिका के साथ बेसिक एक्सचेंज एंड कोऑपेरशन एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर कर दिए। हम लॉजिस्टिक एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (2016) व कम्युनिकेशन्स कम्पेटिबिलिटी एंड सिक्योरिटी एग्रीमेंट (2018) पर पहले ही हस्ताक्षर कर चुके...

मोदी जी! भूखा मुल्क नहीं हो सकता है विश्वगुरु

प्रति वर्षानुसार इस वर्ष भी अक्तूबर माह में ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रैंकिंग जारी की गईं। पिछले कुछ सालों की तरह हम सबसे निचले पायदानों पर रहे। वर्ष 2020 की रैंकिंग में हमारा स्थान 94वां रहा और हम सीरियस...

हाथरस घटना: यदि अब भी आप भयभीत नहीं हैं तो फिर आपके साथ कोई समस्या है!

हाथरस की घटना को उत्तर प्रदेश एवं देश में तेजी फैल रही निरंकुश, अराजक, स्वेच्छाचारी और हिंसक मनोवृत्ति से अलग कर एक एकाकी घटना के रूप में प्रस्तुत करने की छटपटाहट मुख्य धारा के मीडिया में स्पष्ट देखी जा...

कॉरपोरेट की गिलोटिन पर अब मजदूरों का गला, सैकड़ों अधिकार एक साथ हलाक

नयी श्रम संहिताओं में श्रमिकों के लिए कुछ भी नहीं है, बल्कि इसका ज्यादातर हिस्सा श्रमिक विरोधी है और इनका उद्देश्य श्रमिकों के मूलभूत अधिकारों को महत्वहीन एवं गौण बनाना है। इन कानूनों के कारण जब ट्रेड यूनियनें कमजोर...

नए भारत में बदहाल किसान

सरकार कोविड-19 के कारण उत्पन्न स्वास्थ्य आपातकाल जैसी दशाओं के मध्य - जबकि संसद से बाहर और संसद में भी चर्चा, विमर्श, प्रतिरोध एवं जनांदोलन के लिए स्थान लगभग नगण्य है- कृषि सुधारों को अध्यादेशों के रूप में चोर...

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ग्राउंड रिपोर्ट: किसानों की जरूरत और पराली संकट का समाधान

मुजफ्फरपुर। “हम लोग बहुत मजबूर हैं, समयानुसार खेतों की जुताई-बुआई करनी पड़ती है। खेतों में सिंचाई तो स्वयं कर...