Author: सत्येंद्र रंजन

  • भारतः भूख और गरीबी की नई कथा

    भारतः भूख और गरीबी की नई कथा

    बीते हफ्ते जारी हुई वर्ल्ड हंगर इंडेक्स रिपोर्ट से भारत में बढ़ रही भूख और कुपोषण की समस्या पर फिर रोशनी पड़ी है। भारत में भूख/ कुपोषण हमेशा से एक गंभीर समस्या रही है। लेकिन आजादी के बाद इसमें रुझान गिरावट का था। पहली बार इसमें निरंतर वृद्धि का रुझान हाल के वर्षों में शुरू…

  • एक विदेश यात्रा, जिसमें हुआ सच का सामना

    एक विदेश यात्रा, जिसमें हुआ सच का सामना

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका यात्रा से लौटते ही सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी और उसके बहुचर्चित आईटी सेल को कुछ ऐसे अभियान में जुटना पड़ा हैः• भाजपा की समर्थक जमातों में प्रधानमंत्री की अमेरिका यात्रा को कामयाब बताने के लिए प्रचार सामग्रियां सर्कुलेट करने की जोरदार मुहिम छेड़ी गई है।• इसी के तहत एक फोटोशॉप्ड…

  • चीन का एवरग्रैंड संकट देख कर बल्लियों उछलने लगा पश्चिमी मीडिया

    चीन का एवरग्रैंड संकट देख कर बल्लियों उछलने लगा पश्चिमी मीडिया

    चीन में रियल एस्टेट कंपनी एवरग्रैंड के कर्ज संकट पर शुक्रवार को वेबसाइट asiatimes.com ने अपनी खबर की हेडिंग दी- Evergrande bubble popped in time: no Lehman moment (एवरग्रैंड bubble सही समय पर दिख गयाः इसलिए लीमैन जैसा क्षण नहीं आएगा)। यानी आखिरकार तथाकथित विश्व मीडिया का एक हिस्सा इस निष्कर्ष पर पहुंच गया है…

  • अमेरिका का ऑकुस दांवः Thucydides Trap की एक और मिसाल?

    अमेरिका का ऑकुस दांवः Thucydides Trap की एक और मिसाल?

    अमेरिकी टीवी चैनल सीएनएन के विश्लेषक फरीद जकरिया की पहचान अमेरिका के लिबरल खेमे की सोच को जुबान देने वाले टीकाकार की है। अमेरिकी सियासत में डॉनल्ड ट्रंप के उभार के बाद से मोटे तौर पर सीएनएन चैनल की पहचान डेमोक्रेटिक पार्टी के समर्थक के रूप में बनी रही है। इसी चैनल पर फरीद जकरिया…

  • जोखिम भरा है ‘क्वैड’ पर दांव

    जोखिम भरा है ‘क्वैड’ पर दांव

    भारत पहले ही अमेरिकी नेतृत्व वाले ‘क्वाड्रिलेटरल सिक्योरिटी डायलॉग’ (चतुष्कोणीय सुरक्षा वार्ता) का औपचारिक हिस्सा बन चुका है, इसलिए यह कोई चौंकाने वाली खबर नहीं है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 24 सितंबर को वॉशिंगटन में इस गुट की आमने-सामने होने वाली पहली शिखर बैठक में भाग लेंगे। मोदी इसके पहले इसी साल मार्च में चौगुट…

  • सवाल विपक्ष के पक्ष का है

    सवाल विपक्ष के पक्ष का है

    संसद के बीते मानसून सत्र में विपक्षी दलों के नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ एकजुट होने के संकेत मिले। इस संकेत ने सत्र के ठीक बाद कुछ अधिक ठोस रूप लिया, जब 19 विपक्षी दलों ने एक साथ बैठक की। बैठक के बाद एक साझा बयान जारी किया गया। उसमें कहा गया- ‘हम, 19 विपक्षी…

  • गरीबी बढ़ाना एक प्रोजेक्ट है

    गरीबी बढ़ाना एक प्रोजेक्ट है

    दशकों तक गरीबी के खिलाफ मन-बेमन से चली जंग के बाद अब भारत में दिशा पलट गई है। ये बात तमाम आंकड़ों से जाहिर है। यहां हम बात की शुरुआत उनमें से कुछ का सरसरी तौर पर उल्लेख करते हुए करेंगेः •इस साल मई में जारी अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी की स्टेट ऑफ वर्किंग इंडिया (भारत…

  • कहां फंसी सोवियत संघ की समाजवादी गाड़ी और चीन ने कैसे मारी बाजी

    कहां फंसी सोवियत संघ की समाजवादी गाड़ी और चीन ने कैसे मारी बाजी

    चीन की कम्युनिस्ट (सीपीसी) पार्टी ने बीते एक जुलाई को जब अपनी सौवीं सालगिरह मनाई, तो दुनिया में ये सवाल एक बार फिर उभरा कि जब समाजवाद के अपने सात दशकों के प्रयोग के बाद अगर सीपीसी प्रासंगिक बनी हुई है, तो आखिर क्यों लगभग इतनी ही अवधि में सोवियत संघ का प्रयोग बिखरने के…

  • ‘न्यू वेल्फेयरिज्म’ से मुक्ति बिना न नई राजनीति, न देश का कल्याण

    ‘न्यू वेल्फेयरिज्म’ से मुक्ति बिना न नई राजनीति, न देश का कल्याण

    पांचवें राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे (एनएफएचएस-5) के आंकड़े पिछले दिसंबर में जारी हुए, तो उनसे एक बेहद चिंताजनक तथ्य सामने आया। 2015 से 2019 के बीच दशकों में ऐसा पहली बार हुआ कि देश में शारीरिक रूप से अविकसित बच्चों की संख्या बढ़ गई। यानी सरल भाषा में कहें तो इसका मतलब है कि बाल…

  • आखिर क्या है नौकरियों के वादे का अर्थशास्त्र?

    आखिर क्या है नौकरियों के वादे का अर्थशास्त्र?

    कांग्रेस ने असम में चुनाव जीतने पर पांच लाख लोगों को सरकारी नौकरी देने का वादा किया है। इस वादे का क्या असर होगा, यह चुनाव नतीजे के एलान के बाद ही पता चलेगा। लेकिन पांच महीने पहले बिहार में हुए विधानसभा चुनाव के अनुभव पर गौर करें, तो वहां राष्ट्रीय जनता दल के नेता…