Wednesday, April 24, 2024

विजय शंकर सिंह

आइडिया ऑफ इंडिया की रीढ़ थे मौलाना अबुल कलाम आज़ाद

मौलाना आज़ाद के विचार और उनका लेखन सबसे कठिन होता है धार्मिक कट्टरता और धर्मान्धता से उबल रहे समाज में, सेक्युलर सोच या सर्वधर्म समभाव के, सार्वभौम और सनातन मूल्यों को बचाये रखना, उन पर टिके रहना और उनके पक्ष...

आपराधिक छवि के नेताओं से मुक्त हो गृहमंत्रालय

देश के गृह मंत्रालय का नेतृत्व जिन नेताओं के पास है, वे हत्या और हत्या के प्रयास जैसी संगीन धाराओं के मुल्जिम भी हैं। खुद गृहमंत्री अमित शाह भी, एक समय अदालत के आदेश से, अवांछित और तड़ीपार किये...

राजनीतिक विराटता के साथ अद्भुत थी गांधी जी की सामाजिक व्यापकता

बीसवीं सदी के इतिहास पर जब भी चर्चा छिड़ेगी, महात्मा गांधी की स्थिति उस कालखंड की सबसे महत्वपूर्ण शख्सियत के रूप में मानी जायेगी। उनका योगदान भारत के स्वाधीनता संग्राम में तो है ही, पर उनका सबसे बड़ा योगदान...

गोरखपुर के मनीष हत्याकांड ने एक बार फिर पुलिस सुधार की जरूरत को प्रासंगिक कर दिया है

कानून लागू करने का एक मूल सिद्धांत यह है कि, उसे कानूनी तरह से लागू किया जाय। कानून, कानून लागू करने वाली एजेंसियों, चाहे वह पुलिस हो, या अन्य कोई भी एजेंसी, को जब उक्त कानून लागू करने का...

लाहौर जेल में भगत सिंह की नेहरू से मुलाकात

हम एक बेशुमार गढ़े जा रहे झूठ और गोएबेलिज़्म के दौर से गुजर रहे हैं। इस दौर में इतिहास की नयी नयी व्याख्या की जा रही है, या कहें, नयी नयी व्याख्यायें गढ़ी जा रही हैं। चाहे प्राचीन भारतीय...

सौ पर्दों के भीतर छिपे झूठ पर सच का एक चीरा ही काफी

झूठ और साजिश के लिये भी हुनर चाहिए। पर जब, यह सब करने की आदत और इरादा तो हो, हुनर न हो तो वही झूठ और साज़िश, बहुत जल्द एक्सपोज भी हो जाता है, और फिर जो भद्द पिटती...

मोदी जी! दोहरा चरित्र जीना, अधम और निर्लज्जता है

घर में कुछ और बाहर कुछ। घर में गांधी, नेहरू, पटेल, सुभाष सबको रावण के दस सिर की तरह, और बाहर बिना गांधी चर्चा के इनकी यात्रा ही नहीं पूरी होती है। घर में यह गांधी हत्या को गांधी...

आरएसएस के सांप्रदायिक कीचड़ में राजा महेंद्र प्रताप को उतारना किसी गुनाह से कम नहीं

मुझे 1945 में अग्रणी में, छपा हिंदू महासभा और आरएसएस का वह कार्टून नही भूलता, जिसमें सावरकर और डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी, तीर लेकर, दशानन रावण के रूप में चित्रित गांधी के ऊपर सरसंधान कर रहे हैं। गांधी के...

चुन-चुन कर सत्ता विरोधियों पर डाले जा रहे हैं ईडी और आयकर के छापे

आयकर और ईडी के छापे 2014 के पहले भी पड़ते थे और अब भी पड़ रहे हैं तथा आगे भी पड़ते रहेंगे। पर यह छापे अधिकतर व्यपारियों या संदिग्ध लेन देन करने वालों, आय से अधिक संपत्ति की जांच...

झूठ के मामले में गोएबेल्स का भी कान काट रहा है संघ

2014 के बाद देश की राजनीति में सबसे महत्वपूर्ण परिवर्तन यह आया है कि झूठ या फर्जीवाड़ा, जो पहले लुक छिप पर कुछ अपराध बोध के साथ बोला या किया जाता था, वह अब खुलकर होने लगा है। राजनीति...

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सत्यजित राय देश के ऐसे फ़िल्मकार हैं, जिनकी पहली ही फ़िल्म से उन्हें एक दुनियावी शिनाख़्त और बेशुमार शोहरत...