Author: यूसुफ किरमानी
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मौलाना कल्बे सादिक ने भारतीय सियासत में कभी अपनी दुकान नहीं चलाई
मौलाना कल्बे सादिक ऐसे समय में भारत के मुसलमानों को छोड़कर गये हैं, जब उनकी सबसे सख्त जरूरत थी। वह करीब एक साल से बीमार थे। मंगलवार रात दस बजे 84 साल के इस शिया धर्म गुरु ने लखनऊ में अंतिम सांस ली। मौलाना कल्बे सादिक अगर न होते तो इस्लाम का वो चेहरा अंग्रेजी,…
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सड़ांध मारती व्यवस्था और नफरती-सांप्रदायिक माहौल में न्याय के योद्धा हैं कुणाल कामरा
क्या कुणाल कामरा ऐसे महानायक बनकर उभरे हैं जो उन तमाम पीड़ितों की नाराजगी का प्रतीक हैं जिन्हें अदालतों से इंसाफ नहीं मिलता। सोशल मीडिया कुणाल कामरा के साथ खड़ा हो गया है। जाने-माने वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण के समय भी यही हुआ था। प्रशांत भूषण ने जब सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस पर तीखी…
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बेहद नाजुक मौके पर सत्ता के सामने टाटा का समर्पण!
देश के तमाम लोग ‘तनिष्क’ के हिन्दू-मुस्लिम एकता को दर्शाने वाले विज्ञापन की वजह से इस कंपनी के मालिक की तारीफ कर रहे हैं, उन्हें थोड़ा सतर्क रहने की जरूरत है। ‘तनिष्क’ को टाटा समूह की कंपनी संचालित करती है। टाटा को लेकर थोड़ा अतीत की बातों को याद करने की जरूरत है। नेताओं और…
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पाटलिपुत्र की जंग: पहले राउंड में ही मात खाता दिख रहा है ओवैसी का ‘मिशन बिहार’
बिहार विधानसभा का चुनाव महासंग्राम में बदलता जा रहा है। यह अभी जितना सामान्य लग रहा है, उतना है नहीं। पिछली बार की तरह इस बार भी यह चुनाव विशुद्ध जातिगत और मजहबी समीकरणों पर ही लड़ा जाएगा। राजनीतिक दल इस स्थिति को बदलना नहीं चाहते। मुस्लिम मतदाता भी इससे अछूते नहीं हैं और जब…
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हाथरस नहीं, मनाली की हसीन वादियां निहार रहा है नीरो
रोम के जलने पर नीरो अब बाँसुरी नहीं बजाता वह मनाली की हसीन वादियों को किसी टनल के उद्घाटन के बहाने निहारने जाता है।… वहीं नीरो मोर को दाना चुगाते हुए अपने चेहरे पर मानवीयता की नक़ाब ओढ़ लेता है।… वह हाथरस कांड पर चुप है। नाले के गैस पर चाय बनाने से लेकर टिम्बर…