पंजाब में नाराज़ भीड़ ने भाजपा विधायक को नंगा कर सड़क पर दौड़ा दौड़ाकर पीटा

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केंद्रीय कृषि क़ानून के खिलाफ़ पिछले 123 दिन से जारी किसान आंदोलन की अनदेखी से किसानों में अब भाजपा के खिलाफ़ गुस्सा हिंसक प्रतिक्रिया में सामने आने लगा है। जिसका खामियाजा भाजपा के जनप्रतिनिधियों (विधायक, सांसदों, पार्षदों) को उठाना पड़ रहा है। इसी कड़ी में कल शनिवार 27 मार्च को पंजाब के अबोहर में भाजपा विधायक अरुण नारंग नाराज़ किसानों के गुस्से का शिकार हो गए। केंद्र सरकार द्वारा पारित तीनों कानूनों से नाराज लोगों ने मलोट इलाके में भाजपा विधायक अरुण नारंग पर हमला कर दिया। इस हमले में अरुण नारंग के कपड़े पूरी तरह से फट गए। हालांकि किसी तरह पुलिस वालों ने उन्हें हिंसक भीड़ से बचाया।

पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा प्रतिनिधियों के खिलाफ़ लगातार हमले बढ़ते जा रहे हैं। हालांकि पंजाब और हरियाणा में भाजपा नेताओं और जनप्रतिनिधियों को लोगों के गुस्से का सामना कृषि कानूनों के पास होने के बाद से ही करना पड़ रहा है।

बता दें कल पंजाब के मलोट इलाके में कांग्रेस सरकार के चार साल पूरा होने पर राज्य सरकार के खिलाफ़ भाजपा ने एक प्रेस कांफ्रेंस बुलाया था। अबोहर विधायक अरुण नारंग समेत कई और भाजपा नेता मलोट कार्यालय की तरफ जा रहे थे। हालांकि किसान पहले ही भाजपा नेताओं का कार्यालय के बाहर इंतजार कर रहे थे। जैसे ही नारंग अपनी कार से उतरे तो नाराज़ किसानों ने उन्हें घेर लिया और उनपर स्याही फेंक दी।

हालांकि विधायक अरुण नारंग को भाजपा कार्यकर्ता और पुलिसकर्मी उन्हें एक पास की दुकान में ले गए। लेकिन भाजपा विधायक अरुण नारंग जैसे ही दुकान से बाहर निकले नाराज़ लोगों ने उन्हें दोबारा घेर लिया और उनपर हमला कर दिया। इस हमले में अरुण नारंग के कपड़े पूरी तरह से फट गए। लोग उन्हें गाली देते रहे और दौड़ा दौड़ाकर पीटते रहे। अरुण नारंग के अलावा कुछ और नेताओं को भीड़ के गुस्से का सामना करना पड़ा। इतना ही नहीं नाराज लोगों ने भाजपा कार्यालय पर भी हमला कर दिया। बाद में पुलिस ने भाजपा विधायक नारंग को उग्र भीड़ से बचाया। इस मसले पर रविवार को मलोत पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज़ कर ली गई।

भाजपा विधायक नारंग ने बाद में समाचार एजेंसी ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि कुछ लोगों द्वारा उन्हें ‘‘घूसे मारे’’ गए। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे बहुत घूंसे मारे गए और मेरे कपड़े भी फाड़ दिए गए।’’ 

पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने नारंग पर हमले की कड़ी निंदा की और साथ ही राज्य में शांति भंग करने की कोशिश करने वाले के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी। उन्होंने किसानों से हिंसा के ऐसे कृत्यों में शामिल नहीं होने का आग्रह किया और स्थिति को बढ़ने से रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की कि वे पिछले साल संसद में कृषि कानूनों के पारित होने से उत्पन्न संकट का तुरंत समाधान करें। मुख्यमंत्री ने पुलिस प्रमुख को घटना के दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया, जो विधायक को बचाने की कोशिश कर रहे पुलिस कर्मियों से भी भिड़ गए।

मनोहर लाल खट्टर ने घटना की निंदा करते हुए कहा है – “पंजाब के अबोहर विधान सभा क्षेत्र से भाजपा विधायक श्री अरुण नारंग जी के साथ मलौट में हुई जानलेवा और अभद्र घटना की मैं निन्दा करता हूँ। जनता के निर्वाचित प्रतिनिधि के साथ ऐसी घटना पंजाब में कानून व्यवस्था और कांग्रेस सरकार की विफलता का प्रतीक है।”

पिछले दिनों किसानों के प्रदर्शन के कारण हरियाणा के करनाल में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की सभा भी रद्द करनी पड़ी थी। इतना ही नहीं उनका हेलीकॉप्टर भी कार्यक्रम स्थल पर नहीं उतर पाया था। जबकि करनाल मनोहर लाल खट्टर का गृह जिला है। जबकि उत्तर प्रदेश के शामली में केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान को जाट किसानों ने बैरंग लौटा दिया था। मुज़फ्फ़रनगर में संजीव बालियान का विरोध होने पर उनके बाउंसरो ने किसानों को पीटा भी था।

संयुक्त किसान मोर्चा ने हमले की निंदा की

संयुक्त किसान मोर्चा ने एक बयान जारी करके पंजाब के मुक्तसर जिले में भाजपा विधायक पर हमले की निंदा की और आरोप लगाया कि भगवा पार्टी और उसके सहयोगी इसके लिए जिम्मेदार हैं।

संयुक्त किसान मोर्चा के बयान में कहा गया है कि प्रतिकूल परिस्थितियों में किसानों का यह आंदोलन हिंसक हो गया और विधायक पर शारीरिक हमला किया गया, मारपीट की गई। यह खेद का विषय है कि एक निर्वाचित प्रतिनिधि के साथ इस तरह व्यवहार किया गया। हम इस तरह के व्यवहार को प्रोत्साहित नहीं करते हैं। हम इस कृत्य की कड़ी निंदा करते हैं।

संयुक्त किसान मोर्चा ने बयान में आगे कहा है कि, ‘हम इस घटना के लिए भाजपा और उसके सहयोगियों को जिम्मेदार मानते हैं। भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व अपने अहंकार में निहित है और किसानों की समस्याओं को हल करने के बजाय, वे चुनावों में व्यस्त हैं, लेकिन स्थानीय नेता केंद्र सरकार के इस व्यवहार के बुरे नतीजों का सामना कर रहे हैं। “

गौरतलब है कि मॉब लिंचिंग को संसद में जनता का त्वरित न्याय बताया था।

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