बजट 2023: देश को पूंजीपतियों के हाथ सौंपने का बजट

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नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2023-24 का आम बजट आज यानि सोमवार को संसद में पेश कर दिया। वित्त मंत्री ने इस बजट को अमृत काल का पहला बजट बताया है। निर्मला सीतारमण ने बजट सत्र में भाषण शुरू करते हुए कहा कि इस बार बजट की 7 प्राथमिकताएं हैं। इन प्राथमिकताओं में समावेशी विकास, वंचितों को वरीयता, बुनियादी ढांचे और निवेश, क्षमता विस्तार, हरित विकास, युवा शक्ति और वित्तीय क्षेत्र शामिल हैं।

2019 से देश का आम बजट पेश होता है। पहले संसद में रेल बजट अलग से पेश होता था अब रेल बजट भी आम बजट का हिस्सा है। अभी तक का रिवाज यह है कि बजट पेश होने के बाद रस्मी तौर पर पक्ष-विपक्ष के सांसद इस पर टिप्पणी करते हैं और आर्थिक विश्लेषक इसका विश्लेषण करते हैं। पिछले कुछ दशकों से बजट पेश होने के बाद सत्तापक्ष इसे अब तक का सबसे बेहतरीन बजट बताते हुए देश के हर भाग, समुदाय और वर्ग के हित में बताता रहा है।

ठीक उसी तरह इस बार भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रस्म निभाते हुए आज पेश हुए बजट की जमकर तारीफ की। उन्होंने इस बजट को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि यह बजट विकसित भारत के विराट संकल्प को पूरा करने के लिए मजबूत नींव का निर्माण करेगा। उन्होंने कहा कि बजट वंचितों को वरीयता देता है।

जबकि विपक्ष ने इसकी आलोचना की है। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि, यह बजट देश की वास्तविक भावना को संबोधित नहीं कर रहा है जो कि महंगाई और बेरोजगारी है। इसमें केवल फैंसी घोषणाएं थीं जो पहले भी की गई थीं, लेकिन कार्यान्वयन के बारे में क्या? पीएम किसान योजना से सिर्फ बीमा कंपनियों को फायदा हुआ, किसानों को नहीं।

फिलहाल, 2023-24 के आम बजट के बारे यदि एक पंक्ति में कहा जाये तो इस बजट में वित्त मंत्री ने उन योजनाओं पर खास ध्यान दिया गया है जो वोट खींचने में कारगर साबित होते रहे हैं। जैसे- प्रधानमंत्री आवास योजना, प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना, आयुष्मान योजना और जल जीवन मिशन।

लेकिन इस बार का आम बजट अपने चरित्र में जनविरोधी और पूंजीपतियों के हितों का संरक्षण करने वाला है, या यह कहें कि सरकार ने सरकारी तिजोरी की चाबी पूंजीपतियों को सौंप दी है।

देश में निजीकरण की गति को तेज करने के लिए सरकार ने इस बार इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने के नाम पर 10 लाख करोड़ का बजट दिया है। साल 2014 की तुलना में इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश पर 400 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि की गई है। रेलवे का कायापलट करने के लिए के लिए 2.4 लाख करोड़ रुपए आवंटित किए गए। आशंका जताई जा रही है कि देश में इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करके औऱ रेलवे में सुधार करके इसे निजी क्षेत्र को सौंपा जा सकता है।

प्रधानमंत्री मोदी ने बजट पर भाषण देते हुए कहा कि रेल, रोड से लेकर जल मार्ग तक आज इंफ्रास्ट्रक्चर पर जोर देने की जरूरत है। इस बार इंफ्रास्ट्रक्चर पर 10 लाख करोड़ का इंवेस्टमेंट भारत को नई गति देगा। युवाओं के लिए रोजगार और आय के नए अवसर पैदा होंगे।

इस आम बजट की घोषणा के बाद PAN कार्ड को राष्ट्रीय पहचान पत्र के रूप में जाना जाएगा। अभी तक टैक्स फाइलिंग के लिए पैन कार्ड का इस्तेमाल किया जाता था।

देश के आम गरीबों की बात की जाए तो उसके लिए प्रधानमंत्री आवास योजना का बजट 66 प्रतिशत बढ़ाया गया, इसके तहत 79000 करोड़ रुपए आवंटित किए जाएंगे। यह सच है कि पीएम आवास योजना का लाभ देश के गरीबों को मिल रहा है लेकिन मनरेगा के बजट को 73000 करोड़ से कम करके 60000 करोड़ कर दिया है। जो कि पिछले चार साल की तुलना में सबसे कम है। शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य क्षेत्र की जिस तरह अनदेखी की गयी है, वह आम जनता के लिए किसी सदमे से कम नहीं है।

आम खाते-पीते परिवारों की बात की जाए तो बजट में इनकम टैक्‍स में छूट की सीमा बढ़ाकर 3 लाख रुपये कर दी है। वहीं, इनकम टैक्‍स स्‍लैब की संख्‍या घटाकर 5 कर दी है। इनकम टैक्‍स रिबेट को बढ़ाकर 7 लाख रुपये कर दिया गया है।

देश में हर वर्ष हजारों सफाईकर्मी सीवर की सफाई के दौरान जहरीली गैसों से मरते हैं। बजट में मैनुअल सफाई की जगह मशीनों से सफाई को बढ़ावा देने की बात है लेकिन इसके लिए किसी बजट का एलान नहीं किया गया है।

देश में सबसे ज्यादा रोजगार का सृजन कृषि सेक्टर करता है। लेकिन कृषि और कृषि आधारित व्यवसाय को बजट में कुछ खास नहीं दिया गया है। सरकार कृषि क्षेत्र से जुड़े स्टार्टअप्स को प्रोत्साहित करेगी और युवा उद्यमियों के कृषि-स्टार्टअप्स के लिए एग्रीकल्चर एक्सीलेटर फंड बनायेगी। कृषि के नाम पर जो कुछ धन आवंटित किया गया है, वह कृषि उपकरण, उर्वरक, कीटनाशक और दूसरे उपकरण बनाने वाले उद्योगों को फायदा होगा। प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए 1 करोड़ किसानों को मदद देने की बात है। इसके लिए 10,000 जैव इनपुट संसाधन केंद्र बनाए जाएंगे। सीधे तौर पर कहा जाए तो किसानों के लिए इस बजट में कुछ खास नहीं है। यह अलग बात है कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना के लिए 60,000 करोड़ का आवंटन किया गया है।

सरकार ने मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए पीएम मत्स्य पालन योजना के तहत 6000 करोड़ का आवंटन किया है। लेकिन इस मद में प्राइवेट पार्टनरशिप को बढ़ावा देने की बात कही गयी है। जिससे यह साफ जाहिर होता है कि सरकार मछली पालन में लगे किसानों और मछुआरों के हित के लिए नहीं बल्कि यह धन प्राइवेट सेक्टर के लिए दरवाजे खोलता है।

बजट में 200 कंप्रेस्ड बायोगैस संयंत्र स्थापित करने का ऐलान किया गया है। गोबर्धन स्कीम के तहत 10 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे। लेकिन यह पैसा भी किसानों नहीं बल्कि उद्योगपतियों के खाते में जायेगा।

देश में स्वच्छ जल उपलब्ध करने के लिए जल जीवन मिशन, जिसके लिए 2023-24 में 70,000 करोड़ के बजट की घोषणा की गई है, इस योजना के तहत देश के सभी 20 करोड़ परिवारों तक पीने का साफ पानी पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है, इसकी तय सीमा ही 2024 रखी गई है। जल जीवन मिशन के बजट को भी पिछले साल की तुलना में 60,000 करोड़ से बढ़ाकर 70,000 करोड़ किया गया है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस योजना के तहत अब तक करीब 11,000 करोड़ लोगों को पीने का साफ जल मुहैया कराया जा चुका है। यह संख्या 2019 में मात्र 3 करोड़ थी। यह वह योजना है जो 2024 में भाजपा के लिए चुनाव का रुख बदल सकती है।

इसी तरह बजट में आयुष्मान भारत स्वास्थ्य बीमा योजना है जिसमें आवंटन को पिछले साल के 6457 करोड़ के बजट से बढ़ा कर इस बार 7200 करोड़ कर दिया गया है। अब तक इस योजना के तहत करीब 4.5 करोड़ गरीब लोग मुफ्त इलाज की सुविधा का लाभ उठा चुके हैं। आम बजट 2023 पूरी तरह से चुनावी बजट है, जो 2024 के आम चुनाव को ध्यान में रखकर बनाया गया है।

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