मध्यप्रदेश : हाउल‌ ग्रुप के खिलाफ अखबार ने लगाए नफ़रत भरे आरोप, किया झूठा प्रचार, ग्रुप ने दर्ज कराई पुलिस में शिकायत

देवास, मध्यप्रदेश। देवास जिले में पर्वतपुरा पंचायत का एक गांव है। करीब 1200 आबादी वाले इस शुक्रवासा गांव में 60 फ़ीसदी भील आदिवासी लोग निवासरत हैं।‌ पहाड़ और पवन चक्कियों के बीच बसे इस गांव में भील व अन्य लोगों की जीविका का साधन कृषि और मजदूरी है। 

विकास की धारा से वंचित रह गये इस गांव में आदिवासी लोग कई तरह के संघर्ष और चुनौतियों में जकड़े हुए हैं। ऐसे में यहां करीब साढ़े चार साल से कई शिक्षित सामाजिक कार्यकर्ता हाउल ग्रुप और पर्वतपुरा पंचायत विकास समिति बनाकर सामाजिक उत्थान के ‌काम कर रहे हैं।

मगर, बीते दिनों हाउल‌ ग्रुप के संबंध में दिनांक 28/05/2025 को इंदौर के अखबार संझा लोकस्वामी ने एक खबर छापी।

जिसके कुछ अंश‌ में लिखा गया कि, स्थानीय लोगों का आरोप है कि यह समूह (हाउल) आदिवासी ग्रामीणों को पैसे, कपड़े, खाद्य सामग्री, अन्य सुविधाएं देकर बहला-फुसलाकर धर्मांतरण की ओर प्रेरित कर रहा है। 

आगे खबर के कुछ अंश में वर्णित है कि, ग्रामीणों का यह भी दावा है कि समूह के लोग जातिवाद फैलाते हैं। रात होते ही इस क्षेत्र में नशाखोरी और अश्लील गतिविधियां की जाती हैं। ‌इन गतिविधियों के संबंध में ग्रामीण मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपने भी सौंपेंगे। यह भी खबर में दर्ज है। 

हाउल ग्रुप ने मामले पर शिकायत दर्ज कराई

इस खबर के सामने आने के बाद हाउल ग्रुप ने खबर के संबंध में एक शिकायत थाना बरोठा जिला‌ देवास में दर्ज करवायी गयी‌। इस शिकायत प्रति का अध्ययन करने पर हमें विभिन्न तथ्यों का उल्लेख मिलता है। 

शिकायत पत्र के कुछ अंश में दर्ज है‌ कि, महोदय, आपको बताना चाहूंगा कि हमारी संस्था हाउल समूह पिछले साढ़े चार साल से शुक्रवासा गांव में सांस्कृतिक काम करती आ रही है। दिनांक 27/05/2025 को हमारे कैंपस में दो पत्रकार आए और लोकस्वामी पेपर से जुड़ा बताकर हमारा इंटरव्यू लिया। 

आगे शिकायत पत्र के अंश में लिखा गया कि, दिनांक 28/05/2025 को हमें हमारे काम पर छपे लेख का पता चला (उपरोक्त प्रकाशित लेख इस आवेदन के साथ अनुलग्नक क्रमांक 02 के रूप में संलग्न है।) जिसमें हमारे समूह, कार्य और सदस्यों को बदनाम करने की कोशिश में हम पर “ईसाई”, “जातिवादी राजनीति” और “धर्मांतरण की ओर प्रेरित” करनेवाला, “संदिग्ध नक्सली”, तथा “नशाखोर” होने जैसे कई बेबुनियाद आरोप लगाए गए हैं।

इसके आगे शिकायत में वर्णित है कि, हमारे सदस्यों की व्यक्तिगत और निजी जिन्दगी के पहलुओं पर आधारहीन टिप्पणियां करते हुए इस खबर के माध्यम से चरित्र हनन की भी कोशिश की गई है। इससे ना सिर्फ हमारे मान-सम्मान पर ठेस पहुंची है अपितु इससे हमारी सामाजिक प्रतिष्ठा भी प्रभावित हुई है।

शिकायत के अंत मे आरोपियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की मांग की गयी‌। 

हाउल ग्रुप का सोशल मीडिया पोस्ट

हाउल ग्रुप ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट पर लिखा कि, हमारे खिलाफ फैलायी गयी झूठी और भड़काऊ खबर से समाज में तनावपूर्ण स्थिति निर्मित हो सकती है। हम ना कोई एनजीओ हैं। ना कोई राजनीतिक दल और ना ही हम किसी भी प्रकार की फंडिंग या आर्थिक अनुदान स्वीकार करते हैं। पिछले साढ़े चार साल से हमारे संपूर्ण सामाजिक कार्य हमने अपनी मेहनत की कमाई और कुछ दोस्तों/रिश्तेदारों की मदद से कामयाब बनाए, जिसका स्पष्टीकरण हमने पूर्व में भी देवास जिला कलेक्टर के जांच दल के समक्ष प्रस्तुत किया था। 

हम असल में कामकाजी युवा और ग्राम वासियों के एक समूह है जो आंखों में एक अच्छे जीवन और सुंदर समाज का सपना रखते हैं। उस लिहाज़ से इस तरह के बेबुनियाद और नफ़रत फैलाने वाले अभियान से लड़ने में हम आपकी एकजुटता और साथ चाहेंगे।

साथ ही, हम दरख़्वास्त करते हैं कि प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री श्री मोहन यादव, राज्य प्रशासन एवं पुलिस इस घटना को संज्ञान में लें और तुरंत जांच कर न्यायपूर्ण कार्यवाही करे ताकि आने वाले भविष्य में किसी भी प्रकार की सांप्रदायिक, असामाजिक, अमानवीय और दुखद घटना टल सके और इस तरह के झूठे अभियान चलाने वालों को उचित सजा हो सके।

हम फिर से सभी इंसाफपसंद नागरिकों को हमारे काम के बारे में विस्तार से जानने, हमसे जुड़ने और हमारी इस अच्छी मुहिम को और आगे बढ़ाने के लिए स्वागत करते हैं। आप सभी का साथ और समर्थन हो तो एक सुंदर, समान एवं न्यायपूर्ण दुनिया बिल्कुल संभव है।

हाउल ग्रुप के सदस्य क्या कहते हैं

इस पूरे मामले पर हाउल के सदस्य एवं पत्रकार, फिल्मकार प्रणय त्रिपाठी बताते हैं कि, “साढ़े चार साल में हमने नागरिक जीवन के विकास से संबंधित विभिन्न कार्य किये है। इन कार्यों में पर्वत पुरापंचायत के भ्रष्ट लोग उजागर हुए तो वे हमें तकलीफ़ देने लगे। हमें बदनाम करने की इससे पहले भी कोशिश की गयी है‌। हमारे खिलाफ जिन भ्रष्ट लोगों ने अफवाहें फैलाई उस पर आधारित खबर का आना बताता है कि यह पेड न्यूज़ का मामला है।”

हाउल समूह से जुड़े एवं पर्वतपुरा पंचायत विकास समिति के सचिव देवराज रावत का कहना है कि,

“मैं एक आदिवासी हूं। समिति में हर जाति, समुदाय और धर्म के लोग मौजूद हैं। हर रविवार समिति की सभा होती है जहां परेशानियों का निराकरण और पंचायत को बेहतर बनाने के निर्णय लिए जाते हैं। हमारे खिलाफ छपी झूठी खबर से समिति सदस्य सहित ग्रामवासी भी निराश है।”

“हमारे खिलाफ छपी खबर में कहा गया है कि हाउल समूह ने हम आदिवासियों को ईसाई धर्मग्रंथ पढ़ाए और धर्म परिवर्तन किया, जो सरासर झूठ है। पंचायत में एक भी धर्मपरिवर्तन नहीं हुआ। यदि होता तो अब तक शासन–प्रशासन कोई कार्यवाही कर चुका होता।”  

समिति के सदस्य मदनलाल मीणा बतलाते हैं कि, “इस जूठी खबर से लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत हो सकती हैं। हम जात-पात का बंधन ना मानकर, इंसानियत को ही सबसे ऊपर मानते हैं।” 

हाउल की सदस्य एवं डॉक्टर श्वेता रघुवंशी अपनी बात रखते हुए बोलती हैं कि, “हमें व्यक्तिगत रूप से बदनाम करने के अलावा हमारे ओहदे पर भी इस खबर में सवाल किए गए हैं। हम मेहनती लोग हैं जो किया मेहनत से किया‌। बाकी हमें कुछ हद तक दोस्तों और रिश्तेदारों का भी आर्थिक सहयोग मिला।”

पहले किया गया हाउल ग्रुप पर हमला

वर्ष 2023 की तारीख 18 मई को हाउल ग्रुप के प्रमुख सौरभ बैनर्जी की तबियत खराब थी। तब वह सोने गये थे। ऐसे में रात्रि करीब 8 बजे 4-5 चार पहिया गाड़ियों में 40-50 लोग मुंह पर कपड़ा बांधकर उतरे। फिर, इन गुंडों ने हाउल ग्रुप के साथियों पर पत्थरों की बारिश कर दी‌। जवाब में जब हाल ग्रुप के सदस्यों ने पत्थर फेंके तब गुंडे भाग गए। घटना के मौके पर ग्रुप ने 100 डायल को भी फोन किया था‌। तब वहां से 3 नंबर मिले थे जो अमान्य बता रहे थे। 

इस तरह की घटना ने कुछ दिन के लिए एक खौफनाक माहौल बना दिया था। इस घटना के बाद हाउल ग्रुप ने घटना से संबंधित ज्ञापन जिला कलेक्टर देवास को सौंपे अन्य अधिकारियों को भी घटना से अवगत कराया। 

हाउल ग्रुप के द्वारा किये कार्य

हाउल ग्रुप कई तरह के सामाजिक कार्य कर चुका है। ग्रुप कुछ सालों से नि:शुल्क अनौपचारिक शिक्षा देने कार्य कर रहा है।

ग्रुप ने पर्वतपुरा पंचायत विकास समिति भी बनाई है। समिति ने विभिन्न विकास के कार्य किये हैं। जैसे बिजली, आधार कार्ड, आयुष्मान कार्ड बनवाना, किसान बीमा योजना, कानूनी व सामाजिक अधिकारों की जागरूकता बढ़ाना जैसे अन्य कार्य।

हाउल ने नि:शुल्क चिकित्सा सहायता केन्द्र भी खोला है। ग्रुप ने निःशुल्क 1000 लोगों की आंखों की जांच करवा कर चश्मे वितरित किए हैं‌। वहीं, दिवयांगो को ट्राईसाइकिल, महिलाओं को सैनेटेरी पैड भी वितरित किए। हाउल के कर्मस्थल पर कई बुद्धिजीवी, पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता, विशेषज्ञ, शिक्षाविद आ चुके हैं। जिन्होंने हाउल के कार्य का जायजा भी लिया। 

विचारणीय है कि साझा लोकस्वामी अखबार में छपी खबर, हाउल के खिलाफ दुष्प्रचार और हमले की प्रशासन जमीनी स्तर से व्यापक जांच करवाए। ताकि, सच्चाई सामने आए और दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए।

(सतीश भारतीय मध्यप्रदेश के एक स्वतंत्र पत्रकार हैं)

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