लोक संघर्ष और मुस्लिम-सिख-हिंदू एकता की नई मिसाल                       

इन दिनों पंजाब के जिला मलेरकोटला के ग्रामीण इलाकों में मुस्लिम-सिख-हिंदू एकता की नई मिसाल सामने आ रही है। आजकल संगरूर संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आते मलेरकोटला के इस हिस्से में नहर के पानी को लेकर किसान संघर्षरत हैं। इसके लिए वह गांव दर गांव पदयात्रा निकाल रहे हैं। इस पदयात्रा में बड़ी तादाद में किसान तो हैं ही, गैर किसान भी शिरकत कर रहे हैं।

20 जनवरी को पंजाब कीर्ति किसान यूनियन के मलेरकोटला जिला अध्यक्ष जरनैल सिंह जहांगीर की अगुवाई में उक्त पदयात्रा मलेरकोटला के गांव तखार कलां पहुंची। यह गांव मुस्लिम बाहुल्य है। यहां किसानों को मुस्लिम परिवारों ने अपने घर ले जाकर पहले नाश्ता करवाया और फिर उनके साथ पदयात्रा में शामिल हुए। इसके बाद यह पदयात्रा एक अन्य गांव महबूबपुरा पहुंची। यहां भी मुस्लिम बहुसंख्या में है। पदयात्रा में शामिल तमाम लोगों का महबूबपुरा के बाशिंदों ने पहले स्वागत किया और फिर गांव की ऐतिहासिक मस्जिद में ले जाकर इस मिशन की कामयाबी के लिए दुआ मांगी।

जानकारी के अनुसार यहां से भी मुस्लिम समुदाय के लोग, मस्जिद में दुआ के बाद पदयात्रा में शामिल हो गए। इस पदयात्रा का अगला पड़ाव सेरवानीकोट था। इस गांव की मस्जिद में पदयात्रा का स्वागत हुआ और चाय-पान की व्यवस्था की गई। रात्रि पड़ाव गांव भूदान में हुआ। गांव भूदान में भी पद यात्रियों को मस्जिद में ले जाया गया और वहीं रात्रि विश्राम करवाया गया। कीर्ति किसान यूनियन के राज्य स्तरीय नेता भूपेंद्र सिंह लोंगोवाल ने विभिन्न जनसभाओं को संबोधित करते हुए कहा कि पैदल यात्रा में मुसलमान भाइयों की ऐसी शिरकत और सक्रियता से पूरे देश को सबक लेना चाहिए। मुसलमान समुदाय की बहुसंख्या वाले गांवों में जिस तरह इस जनहितैषी संघर्ष को समर्थन और सहयोग मिला, वह बेमिसाल है।

भूपेंद्र सिंह ने कहा कि हम गांवों से गुजर रहे हैं, इसलिए हमारी पदयात्रा मीडिया की सुर्खियां हासिल नहीं कर रही। लेकिन जो हो रहा है वह आपसी भाईचारे की बहुत बड़ी ऐसी मिसाल है, जिसे देश के कोने-कोने में अपनाया जाना चाहिए। महबूबपुरा के रफीक खान ने कहा कि उनके पुरखे सदियों से इन्हीं गांवों में और इन्हीं लोगों के बीच रहते आए हैं और हमें तो कभी फर्क ही नहीं महसूस हुआ कि हम मुस्लिम हैं और सामने वाला सिख या हिंदू! इसी तरह एक अन्य मुस्लिम बाहुल्य गांव रौंदा खेड़ा के इशाक मोहम्मद ने कहा कि मलेरकोटला और इसके गांवों में धर्मनिरपेक्षता खुशबूदार फूलों की तरह खिली हुई है। इशाक मोहम्मद पंजाबी में कविताएं लिखते हैं और कहते हैं कि पंजाब के मुसलमानों ने हमेशा लोक संघर्षों में दूसरे समुदाय के लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर साथ दिया है। काश! पूरे देश में ऐसा हो। करीब बीस लोक जत्थेबंदियां मलेरकोटला के गांवों में सामूहिक पदयात्रा निकाल रही हैं। यह पदयात्रा 11 दिन चलेगी।

(जनचौक की रिपोर्ट)

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