नीतीश भी बने जुमलाधीश! 19 लाख रोजगार देने की जगह छात्रों पर बरसाई लाठियां, दर्जनों छात्र घायल

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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जिस आंदोलन के गर्भ की पैदाइश हैं आज उसे ही उन्होंने धता बता दिया। यह काम दो दशक से बिहार की सत्ता पर काबिज इस नेता ने राजधानी पटना की सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर बर्बर लाठीचार्ज करने के जरिये किया। और उससे भी ज्यादा खास बात यह है कि इसे उन्होंने अपने जन्मदिन पर अंजाम दिया है। इस मौके पर नीतीश ने आंसू गैस के गोलों और वाटर कैनन की बौछारों से छात्रों का स्वागत किया। इस पूरे प्रदर्शन में दर्जनों छात्र गंभीर रूप से घायल हुए हैं।

बता दें कि AISA, RYA के साझा अह्वान पर छात्र नौजवान आज बिहार विधानसभा का घेराव कर रहे थे। युवा नेता और सीपीआई (एमएल) के विधायक संदीप सौरव ने कहा कि “पुलिस दमन के बावजूद, बिहार के छात्र-छात्राएं नौकरियों, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा के लिए अपनी लड़ाई जारी रखेंगे।” 

ट्विटर पर ट्रेंड कर रहा #बिहार_बेरोज़गारी_दिवस 

आज बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का जन्मदिन है और आज ट्विटर पर #बिहार_बेरोज़गारी_दिवस ट्रेंड कर रहा है। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन को भी देश के छात्रों-नौजवानों ने राष्ट्रीय बेरोजगारी दिवस और उस सप्ताह को बेरोजगारी सप्ताह के तौर पर मनाया था। 

आज ट्विटर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ़ तरह-तरह के मीम्स ट्वीट किये गए। वहीं नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने बेरोज़गारी को मुद्दा बनने पर खुशी जाहिर करते हुए ट्विटर पर इसी हैशटैग के साथ लिखा है “मुझे सर्वाधिक ख़ुशी है कि बेरोजगारी एक राष्ट्रीय मुद्दा बन चुका है। मैं शुरू से कहता आया हूँ ‘मोदी नहीं मुद्दे’ पर आइए। बिहार में श्री नीतीश कुमार की ग़लत नीतियों के कारण 7 करोड़ युवा बेरोजगार हैं। #बिहार_बेरोजगारी_दिवस” 

चुनाव में 19 लाख रोज़गार का वादा किया

अक्तूबर-नवंबर में संपन्न हुए बिहार विधानसभा चुनाव में बेरोज़गारी एक बड़ा मुद्दा बना। संयुक्त मोर्चे की ओर से जहां सत्ता में आने पर 10 लाख सरकारी नौकरी देने का वायदा किया गया था वहीं जदयू – भाजपा की एनडीए द्वारा सत्ता वापसी पर 19 लाख नौकरियां देने का वायदा किया गया था। एनडीए को सत्ता में आये पांच महीने बीत चुके हैं लेकिन नीतीश सरकार ने अब तक बेरोज़गारी को लेकर कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया है। 

छात्र नौजवानों की प्रमुख मांगें- 

1 – रेलवे समेत तमाम सरकारी कंपनियों व उपक्रमों का निजीकरण की नीतियां रद्द करो, बिहार विधानसभा से इसके खिलाफ़ प्रस्ताव पारित हो। 

2- संविदा, मानदेय, ठेका प्रथा बंद करो। सरकारी, स्थायी वेतनमान, रोज़गार का प्रबंध करो। 

3- शिक्षकों स्वास्थ्यकर्मियों समेत तमाम विभागों में खाली पड़े पदों को अविलंब भरो।

4- सभी स्कूलों, कॉलेजों, पुस्तकालयों व छात्रावास को तुरंत खोलो, ऑनलाइन शिक्षा को जबरन थपना बंद करो।

5- आम छात्रों को शिक्षा से बेदखल करने वाली “नई शिक्षा नीति 2020” वापस लो।

6-  प्राइवेट अस्पतालों की मनमानी पर रोक लगाओ, सरकारी अस्पतालों से समुचित इलाज का इंतजाम करो। 

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