संघ के हस्तक्षेप से योगी बने मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर योगी आदित्यनाथ ने तमाम अटकलों और अफवाहों को विराम दे दिया। मुख्यमंत्री की रेस में रहे एक दर्जन नामों को पीछे छोड़ते हुए वे देश के सबसे बड़े राज्य के मुखिया बन गए। लेकिन योगी के मुख्यमंत्री बनने की वजह या कारणों को जानने में लोगों के बीच खासी दिलचस्पी बनी हुई है।
शपथ ग्रहण कार्यक्रम के बाद भी दिल्ली से लेकर लखनऊ तक राजनेताओं, राजनीतिक विश्लेषकों और पत्रकारों के बीच यही जिज्ञासा है कि आखिर अंतिम समय में योगी आदित्यनाथ का चयन कैसे हुआ। राजनीतिक गलियारे में यह चर्चा आम है कि योगी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की पसंद नहीं हैं। योगी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की पसंद हैं। संघ प्रमुख मोहन भागवत के हस्तक्षेप से उनको मुख्यमंत्री बनाया गया है।
संघ से जुड़े एक वरिष्ठ बुद्धिजीवी इस बात को यह कह कर खारिज करते हैं कि, ‘‘यह महज़ अटकल है, मोदी को यदि योगी पसंद नहीं होते तो वे मुख्यमंत्री नहीं बन सकते थे। हां! यह अलग बात है कि योगी प्रधानमंत्री और पार्टी अध्यक्ष की पहली पसंद न हो।’’
ऐसी चर्चा इसलिए है कि क्योंकि योगी आदित्यनाथ जिस तरह से केंद्रीय रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा को पीछे करके आगे बढ़े, उससे इस बात को बल मिलता है कि योगी के पीछे कुछ बड़ी शक्तियां काम कर रहीं थी।
सू़त्रों से मिली जानकारी के मुताबिक अमित शाह की पहली पसंद मनोज सिन्हा थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के दूसरे बड़े नेता उनके नाम पर सहमत भी हो चुके थे। लेकिन अंतिम दिन मुख्यमंत्री के नाम पर फाइनल मुहर लगाने के लिए अमित शाह और संघ के वरिष्ठ अधिकारी डॉ. कृष्ण गोपाल के बीच चर्चा हुई। डॉ. कृष्ण गोपाल ने योगी आदित्यनाथ के नाम का प्रस्ताव रखा। अमित शाह टाल गए। इसके बाद योगी को मुख्यमंत्री बनाने के लिए आरएसएस सक्रिय हुआ। सूत्रों के अनुसार मोहन भागवत ने प्रधानमंत्री से बात करके योगी को मुख्यमंत्री बनाने का सुझाव दिया। भागवत की बात को मोदी टाल नहीं सके। इसके बाद अमित शाह और अन्य लोगों को संतुष्ट करने के लिए दो उप मुख्यमंत्री बनाने का फॉमूला सामने आया।
ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर अपने को राजनीति से दूर होने और सांस्कृतिक-सामाजिक संगठन का दावा करने वाले संघ की इसमें क्या दिलचस्पी हो सकती है ?
भाजपा और संघ की कार्यप्रणाली पर नजर रखने वालों का मानना है कि संघ का मिशन देश को हिंदू राष्ट्र बनाना है। पहले वह छिपे तौर पर अपने एजेंडे पर काम करता था। तब भाजपा इतनी मजबूत नहीं थी। लेकिन अब वह उन चुनौतियों को पार कर चुका है जब उसे अपने को सामाजिक-सांस्कृतिक संगठन बताना पड़े।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि 2014 आम चुनाव में भारी सफलता मिलने और ज्यादातर राज्यों में भाजपा की सरकार बनने के बाद संघ और भाजपा खुलकर अपने राजनीतिक एजेंडे को लागू करने की राह पर आगे बढ़ रहे हैं।
राजनीतिक रूप से सजग और दमदार राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों वाले उत्तर प्रदेश जैसे विशाल राज्य में भाजपा को अप्रत्याशित सफलता मिली। सपा-कांग्रेस और बसपा की पराजय हुई। ऐसे में भाजपा केंद्र सरकार के कामकाज और अपनी नीतियों की विजय मान रही है। संघ इसे हिंदुत्व के एजेंडे पर आगे बढ़ने के सुअवसर के रूप में देख रहा है। संघ यह सोच रहा है कि अब ऐसा मौका शायद ही दोबारा मिले। दूसरी बात यह है कि अभी तक भाजपा यह कह कर बच जाती थी कि केंद्र में दूसरे दल की सरकार है या गठबंधन की सरकार है। ऐसे में उसने अपने मूल और विवादित एजेंडे को स्थगित कर दिया है। अब ऐसा कोई बहाना या मजबूरी उसके साथ नहीं है। ऐसे में अब वह खुलकर अपने एजेंडे को लागू करना चाहती है। योगी आदित्यनाथ के रूप में उसने मजबूत कंधे की तलाश की है। योगी की छवि कट्टर हिंदूवादी और मुस्लिम विरोधी नेता की रही है। योगी अपने भाषणों में खुलेआम मुसलमानों की राष्ट्रीयता और देशभक्ति पर सवाल खड़ा करते रहे हैं। वे अपने को भाजपा नहीं हिंदूनेता कहते रहे हैं। अपने मनमुताबिक काम करने के लिए उन्होंने हिंदू युवा वाहिनी का गठन किया है। जो मुस्लिम क्षेत्रों में उपद्रव करने के लिए कुख्यात है।
योगी को मुख्यमंत्री बनाने का घटनाक्रम इस प्रकार है-
अमित शाह के करीबी सूत्रों की मानें तो मनोज सिन्हा और केशव प्रसाद मौर्य सीएम बनने की रेस में आगे थे। लेकिन, ऐन मौके पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने नरेंद्र मोदी को फोन कर योगी को सीएम बनाने के लिए कहा। इसके बाद योगी को दिल्ली बुलवाया गया और नाम पर मुहर लगा दी गई।
मोदी के पास सुबह 6.30 बजे आया भागवत का फोन…
– बीजेपी के केंद्रीय कार्यालय से जुड़े करीबी सूत्रों के मुताबिक, शुक्रवार देर रात अमित शाह और संघ पदाधिकारी डॉ. कृष्णा गोपाल के बीच यूपी मुख्यमंत्री के लिए मीटिंग होती है। वो शाह के सामने मनोज सिन्हा का नाम खारिज कर योगी का नाम रखते हैं। शाह नहीं मानते हैं। ये कह के टाल देते हैं कि अभी मोदीजी सो रहे होंगे। सुबह फोन पर बात करेंगे।
– अमित शाह के ऑफिस से जुड़े एक करीबी सूत्र के मुताबिक- शनिवार सुबह अमित शाह मोदी को फोन कर पाते, इससे पहले ही करीब सुबह साढ़े 6 बजे मोहन भागवत का फोन प्रधानमंत्री के पास आता है। वो मोदी से कहते हैं कि आखिरी बार एक चीज मांगना चाहता हूं, मानोगे तो कहूंगा। थोड़ी देर सोचने के बाद मोदी हां बोल देते हैं।
– भागवत तुरंत योगी को मुख्यमंत्री बनाने के लिए कहते हैं। मोदी पसोपेश में पड़ गए। हां बोलने के अलावा उनके पास कोई विकल्प नहीं बचता है।
– भागवत के फोन रखते ही मोदी ने अमित शाह को फोन कर सब बताते हुए कहा- योगी को मुख्यमंत्री बनाना है। उन्हें बुलवाओ। उसके बाद योगी प्राइवेट प्लेन से सुबह ही दिल्ली आते हैं और उनकी ताजपोशी को हरी झंडी मिलती है।