उत्तर से लेकर दक्षिण तक ग्रामीण भारत रहा बंद, जगह-जगह जुलूस और प्रदर्शन

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नई दिल्ली/देहरादून/रायपुर/ प्रयागराज। शुक्रवार को उत्तर से लेकर दक्षिण तक पूरा ग्रामीण भारत बंद रहा। यह बंद किसानों और मजदूर संगठनों के संयुक्त आह्वान पर बुलाया गया था। यह पहली बार हुआ है जब किसान और मजदूर एक साथ आए हैं और उन्होंने ग्रामीण भारत बंद का कॉल दिया है। इस मौके पर जगह-जगह जुलूस निकाले गए। कुछ जगहों पर धरने और प्रदर्शन की भी खबरें हैं। तमिलनाडु में वामपंथी कार्यकर्ताओं ने एक रोड जाम कर दिया। इसके साथ ही पंजाब और हरियाणा में किसानों ने टोल फ्री करने के साथ ही अलग-अलग तरीके से इसको संचालित किया।

शंभू बॉर्डर पर आज फिर पुलिस ने किसानों के ऊपर आंसू गैस के गोले छोड़े और रबर की गोलियां दागी। जिसमें कई किसान घायल हो गए हैं। बंद में किसानों और मजदूरों के अलावा छात्र, शिक्षक, युवा, महिलाएं, पेशेवर, कलाकार, लेखक और अन्य सामाजिक आंदोलन से जुड़े लोग शरीक हुए और उन्होंने अपना समर्थन दिया। एसकेएम ने 18 फरवरी को बैठक कर आगे का कार्यक्रम बनाने का ऐलान किया है।

औद्योगिक/क्षेत्रीय हड़ताल और ग्रामीण बंद के साथ-साथ पूरे भारत में बंद के आह्वान को जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली। सभी राज्यों से बंद के सफल होने की रिपोर्ट आयी हैं। कोयला क्षेत्र, सड़क परिवहन, एनएमडीसी, बीएचईएल और कई प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र/जोन हड़ताल पर चले गये। कई राज्यों में राज्य सरकार के कर्मचारी एक्शन पर थे, जिनमें से कुछ हड़ताल में भी शामिल थी। बैंक और बीमा क्षेत्र, बिजली, दूरसंचार, इस्पात, तांबा और तेल क्षेत्र से जुड़े लोगों ने कार्यस्थलों पर विरोध-प्रदर्शन आयोजित किए और संयुक्त जुलूसों और बैठकों में भाग लिया। 

जूट, कपास बागान श्रमिक अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करते दिखे। रेलवे यूनियनों ने कई क्षेत्रों में रेलवे स्टेशनों के बाहर प्रदर्शन आयोजित किए और रक्षा कर्मचारी कारखाने के गेटों पर एकत्र हुए। छात्रों और शिक्षकों ने समर्थन दिया और कई राज्यों में बंद का हिस्सा बने। 

कई राज्यों में टैक्सी और ऑटो चालक कार्रवाई के समर्थन में प्रदर्शन के लिए सड़कों पर उतर आए। फेरीवाले/विक्रेता संघ, निर्माण और बीड़ी श्रमिक, घरेलू श्रमिक और घरेलू कामगार कई स्थानों पर जुलूसों और सड़क रोको का हिस्सा थे। कई राज्यों में हड़ताल के बाद, योजना कार्यकर्ता- आंगनवाड़ी, आशा, मध्याह्न भोजन और अन्य विभिन्न योजनाओं के कर्मचारी प्रमुख तौर पर इसमें शामिल थे। 

पश्चिम बंगाल में 16 फरवरी से शुरू होने वाली बोर्ड परीक्षाओं के कारण 13 फरवरी को ही सामूहिक सविनय अवज्ञा की कार्रवाई आयोजित की गई थी। पूरे बंगाल में यह एक सफल कार्रवाई थी, मुर्शिदाबाद के डोमकल में प्रदर्शनकारियों पर क्रूर लाठीचार्ज में एक कॉमरेड अनारुल इस्लाम की जान चली गई। इसके बावजूद आज भी कुछ यूनियनों की ओर से कार्रवाई की गयी।

असम में 16 फरवरी को बोर्ड परीक्षा होने के कारण कार्यक्रम 15 फरवरी को आयोजित किया गया। राज्य में योजना श्रमिकों, निर्माण श्रमिकों, विक्रेताओं और फेरीवालों सहित अन्य लोगों और बीएसएनएल और तेल क्षेत्र के कर्मचारियों के साथ-साथ लगभग सभी निजी उद्योगों के श्रमिकों/कर्मचारियों द्वारा क्षेत्रीय हड़ताल और पूरे राज्य में चक्का जाम देखा गया। सभी जिलों में ग्रामीण और कस्बे इलाकों में गोलबंदी रही और ग्रामीण बंद भी रहा।

दिल्ली में औद्योगिक समूहों के सभी क्षेत्रों में उद्योगों को बंद करने के लिए संयुक्त कार्रवाई आयोजित की गई, श्रम आयुक्त कार्यालय पर एक प्रदर्शन और जंतर-मंतर पर एक प्रदर्शन आयोजित किया गया। राष्ट्रीय और राज्य नेताओं ने विभिन्न विरोध स्थलों पर सभाओं को संबोधित किया।

उन्होंने केंद्र में सत्तारूढ़ दल और राज्यों में जहां भी वे शासन कर रहे हैं, प्रदर्शनकारी श्रमिकों और किसानों के खिलाफ दमनकारी तरीकों का इस्तेमाल करने की निंदा की। 13 फरवरी को दिल्ली की ओर मार्च कर रहे किसानों पर क्रूर लाठीचार्ज, छर्रों से गोलीबारी और आंसू गैस चार्ज के लिए ड्रोन का उपयोग करना सत्तारूढ़ दल के लोगों का विश्वास खो देने के लक्षण हैं और साथ ही उन्हें यह भी एहसास हो रहा है कि उन्होंने जमीन खो दी है क्योंकि वे जानते हैं कि वे भारतीय जनता के विभिन्न वर्गों से किए गए हर वादे में परिणाम देने में विफल रहे।

केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और एसकेएम ने 17 जनवरी 2024 को अपने संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में सभी फसलों के लिए गारंटीशुदा खरीद के साथ एमएसपी@सी2+50% की मांग हासिल होने तक संघर्ष तेज करने, अजय मिश्रा टेनी को बर्खास्त करने और उन पर मामला दर्ज करने का आह्वान किया था। उन्हें, ऋणग्रस्तता से मुक्ति के लिए छोटे और मध्यम कृषक परिवारों को व्यापक ऋण माफी, श्रमिकों के लिए न्यूनतम वेतन 26,000/- रुपये प्रति माह, 4 श्रम संहिताओं को निरस्त करना, आईपीसी/सीआरपीसी में किए गए कठोर संशोधनों को निरस्त करना, मौलिक अधिकार के रूप में रोजगार की गारंटी देना, रेलवे, रक्षा, बिजली, कोयला, तेल, इस्पात, दूरसंचार, डाक, परिवहन, हवाई अड्डे, बंदरगाह और गोदी, बैंक, बीमा आदि सहित सार्वजनिक उपक्रमों का कोई निजीकरण नहीं, शिक्षा और स्वास्थ्य का निजीकरण नहीं, नौकरियों का कोई संविदाकरण नहीं,  निश्चित अवधि का रोजगार ख़त्म करना, प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष 200 दिनों के काम और दैनिक वेतन के रूप में 600/- रुपये के साथ मनरेगा को मजबूत करना, पुरानी पेंशन योजना को बहाल करना, औपचारिक और अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में सभी के लिए पेंशन और सामाजिक सुरक्षा, नए शुरू किए गए बीएनएस की धारा 106 को खत्म करना, कल्याण निर्माण श्रमिक कल्याण बोर्ड की तर्ज पर असंगठित श्रमिकों की सभी श्रेणियों के लिए बोर्ड, एलएआरआर अधिनियम 2013 (भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्वास अधिनियम, 2013 में उचित मुआवजे और पारदर्शिता का अधिकार) को लागू करें।

आज संयुक्त किसान मोर्चा और संयुक्त ट्रेड यूनियंस के आह्वान पर ग्रामीण भारत बंद और औद्योगिक हड़ताल के समर्थन में कई दफ्तरों में हड़ताल व प्रयागराज के गंगापार, यमुनापार के ग्रामीण क्षेत्र को बंद करते हुए छात्र, किसान, नौजवान, मजदूर, कर्मचारी, अधिवक्ता, सामाजिक कार्यकर्ता संयुक्त रूप से प्रयागराज, धरना स्थल, पत्थर गिरजाघर, सिविल लाइंस में इकट्ठे होकर हुए हड़ताली आम सभा की।

हड़ताली आम सभा को सम्बोधित करते हुए इंडियन रेलवे इम्प्लाइज फेडरेशन सम्बद्ध ऐक्टू, राष्ट्रीय अध्यक्ष- कॉमरेड मनोज पाण्डेय ने कहा कि आज हम लोग जहाँ रेलवे के निजीकरण के खिलाफ और ओपीएस बहाली के लिए संघर्ष कर रहे हैं, वहीं सरकार की चाटुकार रेलवे में मान्यता प्राप्त फेडरेशन द्वारा कर्मचारियों से की जा रही धोखाधड़ी के खिलाफ भी लड़ कर रहे हैं, हम आम अवाम के सहयोग से रेल और देश को नहीं बेचने देगें।

ऑल इंडिया सेंट्रल कॉउंसिल ऑफ़ ट्रेंड यूनियंस “ऐक्टू” राष्ट्रीय सचिव डॉ कमल उसरी ने कहा कि वर्तमान केंद्र व राज्य सरकार श्रमिक कानूनों सहित नागरिक अधिकारों को खत्म करके पुनः देश को राजा-प्रजा के दौर में ले जा रही है, आज का ग्रामीण भारत बंद व औधोगिक हड़ताल पूरी तरह से सफल रहा है।

इलाहाबाद में ग्रामीण भारत बंद में बालू मजदूरों, किसानों ने बड़ी संख्या में हिस्सा लिया। कार्यकर्ताओं ने योगी सरकार द्वारा कई गांवों में अवैध रूप से खनन कार्य बंद करने, राशन पोर्टल बंद करने और नाम हटाने, एमएसपी बढ़ाने, सस्ते इनपुट, खरीद में भ्रष्टाचार का विरोध किया और योजना श्रमिकों का वेतन 26000 रुपये तक बढ़ाने, भूमि वितरण आदि की मांग की।

लेबर कोड रद्द करने, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी, बेकारी जैसे सवालों पर आयोजित राष्ट्रीय हड़ताल के आवाहन पर अनपरा तापीय परियोजना गेट पर धरना देकर आवाज बुलंद की। इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि कारपोरेट हितैषी नीतियों से आम जनता को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है ऐसे में लोगों की जिंदगी की हिफाजत के लिए इन नीतियों में बदलाव बेहद जरूरी है।

वक्ताओं ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा इलेक्टोरल बॉन्ड को असंवैधानिक बताने के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह अनायास नहीं है कि इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से कारपोरेट चंदे का 84% हिस्सा अकेले भारतीय जनता पार्टी को मिला है। इससे साबित होता है कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार कारपोरेट की एजेंट बनी हुई है और जनविरोधी नीतियों को बढ़-चढ़कर लागू करने में लगी हुई है।

ट्रेड यूनियनों के औद्योगिक हड़ताल और किसान संगठनों के ग्रामीण बंद के आह्वान को छत्तीसगढ़ में व्यापक सफलता मिली है। प्रदेश के सभी जिलों में गांवों में ग्रामीणों ने मोदी सरकार की किसान और कृषि विरोधी नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन हुए हैं। इन विरोध कार्यवाहियों के चलते गांवों में काम काज ठप्प रहा। संयुक्त किसान मोर्चा और छत्तीसगढ़ किसान सभा ने सफल ग्रामीण बंद के लिए आम जनता का, विभिन्न सामाजिक संगठनों का और कांग्रेस और वामपंथी दल का आभार व्यक्त किया है, जिन्होंने इस बंद को अपना समर्थन-सहयोग दिया है।

आज यहां जारी एक प्रेस बयान में छत्तीसगढ़ किसान सभा के संयोजक संजय पराते, सह संयोजक ऋषि गुप्ता और वकील भारती ने कहा है कि इस बंद ने ग्रामीण आजीविका से जुड़े मुद्दों को फिर से राजनैतिक परिदृश्य में ला दिया है। अब यह मोदी सरकार को तय करना है कि फसल की सी-2 लागत का डेढ़ गुना समर्थन मूल्य देने और किसानों को कर्जमुक्त करने जैसे 2014 से लंबित वादों को वह पूरा करना चाहती है या नहीं, अन्यथा किसान लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार को सत्ता से हटाने और किसानों के प्रति संवेदनशील पार्टी को सत्ता में लाने के लिए पूरा जोर लगाएंगे।

अखिल भारतीय किसान महासभा ने देश में औद्योगिक/सेक्टोरियल हड़ताल और ग्रामीण भारत बंद को ऐतिहासिक बनाने के लिए देश के किसानों, मजदूरों, छात्र, युवा, महिला संगठनों, व्यापारी, ट्रांसपोर्ट से जुड़े संगठनों को बधाई दी है। किसान महासभा के राष्ट्रीय सचिव पुरुषोत्तम शर्मा ने कहा कि उनके संगठन ने 18 राज्यों में इस ग्रामीण भारत बंद को सफल बनाने के लिए अन्य संगठनों के साथ अथक मेहनत की थी।

इसके साथ ही एसकेएम ने कहा है कि किसानों की स्टीयरिंग कमेटी की 18 फरवरी को बैठक होगी जिसमें आगे कार्यक्रम पर विचार किया जाएगा। इस मौके पर पंजाब पूरी तरह से बंद रहा। 

एसकेएम ने इस आंदोलन को और तेज करने का फैसला किया है। जिसमें उसका कहना है कि इस तरह के कई आह्वान किए जाएंगे जिसमें मजदूरों के साथ ही समाज के दूसरे हिस्सों के साथ भागीदारी बेहद अहम होगी।

एसकेएम ने इसके पहले 13 फरवरी को पीएम मोदी से एक लिखित अपील की थी जिसमें उसने किसानों की मांगों पर सद्भावना पूर्ण तरीके से विचार करने के लिए कहा था। उसने कहा था कि पीएम मोदी को किसानों की परेशानी को समझना चाहिए। वो कर्जे मे डूबे हैं और उनके बच्चों को बेरोजगारी का सामना करना पड़ रहा है। 

जिसके चलते उनकी मानसिक स्थिति भी खराब रहती है। एसकेएम ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि पीएम मोदी केवल कारपोरेट कंपनियों के प्रति मेहरबान हैं। और उनकी झोली में किसानों के लिए लाठी चार्ज, आंसू गैस के गोले और पैलेट गन से फायरिंग ही है। और इन स्थितियों ने किसानों और सरकार के बीच एक युद्ध जैसी स्थिति खड़ी कर दी है। मोर्चे ने कहा कि मोदी की पैलट गनों ने शंभू बार्डर पर तीन किसानों की आंखें ले लीं और उन्हें हमेशा-हमेशा के लिए अंधा बना दिया है।

(जनचौक की रिपोर्ट।) 

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