Friday, April 19, 2024

ग्राउंड रिपोर्ट: नारायणपुर की नक्सली मुठभेड़ निकली फर्जी, शिकार के दौरान मारा गया मानू नुरेटी खुद था नक्सल पीड़ित

भरंडा (नारायणपुर)। पुलिस जवान बनने का सपना लेकर बस्तर का एक युवा आगे बढ़ रहा था लेकिन उसे क्या पता था कि उसी पुलिस के हाथों मारे जाने के बाद उसे नक्सली बता दिया जाएगा। बस्तर के इस लड़के की गलती इतनी थी कि वो अपने जंगल मे पारम्परिक शिकार करने गया था जंहा 23 जनवरी को DRG (डिस्टिक रिजर्व गार्ड) पुलिस के हाथों मारा गया। इतना ही नहीं पुलिस के हाथों मारा गया बस्तर का यह नौजवान का बड़ा भाई भी पुलिस DRG में है और इनका परिवार नक्सल पीड़ित कहलाता था। 

जिला मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर दूर भरण्डा में निवासरत रेनूराम नुरेटी का परिवार मूलतः घोटिया का है। वर्ष 2014 में नक्सलियों का दंश झेलने के बाद रेनूराम नुरेटी का परिवार भरण्डा में आकर जीवन यापन कर रहा था। रेनूराम नुरेटी ने बताया कि 2014 में पुलिस में शामिल होकर वह गोपनीय सैनिक का कार्य कर रहा था। जबकि रेनूराम की पत्नी मनोरा, बेटी अनिता नुरेटी नगर के गुडरी पारा में निवास करते थे। रेनूराम नुरेटी का छोटा भाई मानू नुरेटी एवं उसकी पत्नी मानवती भरण्डा गांव में खेती किसानी कर अपना जीवन-यापन करते थे। रेनूराम नुरेटी की पत्नी मनोरा एवं बेटी अनिता भरण्डा गांव में ही ईंट भट्टे पर मजदूरी करते थे। रेनूराम नुरेटी जनवरी 2021 में डीआरजी में शामिल होक नव आरक्षक के रूप पदोन्नत हो गया था।

मानू नुरेटी।

मानू राम नुरेटी के साथ शिकार पर गए उसके साथी बिरजू ने बताया कि हम चार लोग सबसे पहले गाँव के सड़क में मिले और रात में जंगल में शिकार करने की योजना बनाई और हम चारों रात में शिकार करने निकल गए। हम लोग जंगल में घूमते-घूमते सबसे पहले एक चूहे को मारे और उसके बाद दो चिड़िया को मारे उसके बाद घूमते हुए हम करीब रात 12 बजे से 12:30 के रोड पर पहुँच गए और वहाँ मुर्गा को निशाना बनाया लेकिन निशाना चूक गया और टॉर्च की रोशनी से मुर्गा को ढूंढते रहे लेकिन मुर्गा नहीं मिला। और हम रोड के बाहर आ गए। इसी दौरान अचानक फायरिंग हुई और हम लोग भाग गए।

शिकार पर गए मृतक मानू राम नुरेटी के एक और साथी अर्जुन नुरेटी ने बताया कि हम चिड़िया मारते-मारते गांव से रोड के पास आ गए और रोड के पास एक मुर्गा को मारने के लिए निशाना साधा लेकिन चूक गये। हम लोग रोड के दूसरी तरफ़ पार हो गए। हम लोग एक के पीछे एक होकर चल रहे थे जिसमें मैं सबसे आगे था और मानू नुरेटी सबसे पीछे चल रहा था। इसी दौरान पुलिस के जवान गस्त पर निकले थे और बिना आवाज दिए उन्होंने अचानक हमारे ऊपर फायरिंग कर दिया और मानू नुरेटी को गोली लगी। फायरिंग के डर से हम लोग इधर-उधर जंगल में अलग-अलग भाग निकले। आपको बता दें कि ये लोग भरमार के साथ शिकार करने गए थे जिसे आदिवासियों का पारंपरिक हथियार माना जाता है।

अर्जुन नुरेटी का कहना है कि हम सफ्ताह में दो या तीन बार जंगल में शिकार करने के लिए जाते हैं यह बात पुलिस वालों को भी पता है लेकिन उन्होंने हमारे साथी को अचानक से मारा। यह हम मानते हैं कि हमारी भी गलती है लेकिन उन्होंने हमारे साथी को नक्सली वर्दी पहनाकर उसके पास टिफ़िन बम, वायर व अन्य नक्सली समान उसके शव के साथ रख दिया और उसे नक्सली करार देकर पूरे मीडिया में प्रचारित किया गया। जबकि वह नक्सली नहीं था वह तो खुद पुलिस बनना चाहता था पुलिस हमारे साथ गलत कर रही है हम न्याय चाहते हैं।

तो वहीं अर्जुन नुरेटी के एक अन्य साथी वीर साय पोटाई जो रेनू नुरेटी के साथ बस्तर फाइटर की तैयारी कर रहे थे, ने बताया कि रेनू नुरेटी और हमारा परिवार नक्सल पीड़ित परिवार है। नक्सली प्रताड़ना के कारण हम लोग 2014 में घोटिया गांव से नारायणपुर के भरण्डा आ गए और यहीं बस गए और खेती किसानी कर यहीं अब अपना जीवन यापन करते हैं। मैं और रेनू नुरेटी बस्तर फाइटर की तैयारी कर रहे थे और जिला मुख्यालय में पुलिस द्वारा बस्तर फाइटर की भर्ती हेतु दिये जा रहे प्रशिक्षण में भाग भी लिए थे और गाँव में भी रोज सुबह उठकर रोड से मानू नुरेटी के खेत तक दौड़ भी लगाते थे। उन्होंने बताया कि वह तो खुद पुलिस बनने का सपना देख रहा था वह कैसे नक्सली हो सकता है? पुलिस मानू को नक्सली बता रही है यह सरासर झूठ है। हम लोग साथ में बस्तर फाइटर का फार्म भरे थे और जिला मुख्यालय में साथ में प्रशिक्षण ले रहे थे। उसके पास भरमार के अलावा और कोई नक्सली समान नहीं था। हम लोग शिकार करने के लिए अपने साथ भरमार रखे रहते हैं यह बात स्थानीय पुलिस को भी पता है।

पुलिस का दावा है कि नारायणपुर जिले के भरंडा से 6 किलोमीटर दूर दक्षिण दिशा में पुल के पास 23 जनवरी की रात लगभग डेढ़ बजे जवानों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई थी। इस मुठभेड़ में जवानों ने एक नक्सली को मार गिराया था। सर्चिंग के दौरान नक्सली का शव भी मिला। साथ ही भरमार हथियार के साथ भारी मात्रा में नक्सल सामग्री भी बरामद किया गया। जिले के एसपी गिरिजाशंकर जायसवाल ने मुठभेड़ की पुष्टि की थी।

मृतक के भाई और पत्नी का कहना है कि मरने वाला मानू नुरेटी बेकसूर है वह खुद पुलिस बनने के लिए बस्तर फाइटर में फॉर्म डाल कर पुलिस बनने की तैयारी कर रहा था, पुलिस गलत तरीके से मारकर मानू को नक्सली बता रही है।

23 जनवरी की रात हुए पुलिस-नक्सली मुठभेड़ को मारे गए नक्सली के परिजनों ने फर्जी बताया है। परिजनों ने पुलिस पर मृतक मानू नुरेटी का फर्जी एनकाउंटर करने का आरोप लगाया है।

मृतक मानू नुरेटी के भाई ने कहा कि अगर मेरे परिवार को नक्सलियों का साथ देना होता तो हम पुलिस में भर्ती क्यों होते, मेरा भाई भी पुलिस में भर्ती होने के लिए पूरी तैयारी कर रहा था पुलिस ने जिसे मारा है वह मेरा भाई था और नक्सली नहीं निर्दोष है।

मृतक नक्सली के भाई रेनुराम नुरेटी ने बताया कि पुलिस लाइन में मीडिया के सामने मेरे भाई को नक्सली वर्दी पहना कर भरमार बन्दूक के साथ शव को दिखाकर अज्ञात नक्सली बता दिया गया है जबकि हमारा परिवार नक्सल पीड़ित है।

मृतक की पत्नी मनोरा नरेटी ने बताया कि मेरा पति मानू नुरेटी रविवार की शाम जंगल मे चिड़िया मारने के लिए गया हुआ था। जिसने 10 बजे तक वापस आने की बात बताई थी। लेकिन रात को नहीं लौटने के कारण आस-पास घर में खोजबीन की थी। सुबह होते ही किसी ने जंगल में पुलिस मुठभेड़ होने की बात बता । इसके बाद पता चला कि मानू नुरेटी को मुठभेड़ में नक्सली बता कर मार दिया।

बिरजू जो मृतक मानू के साथ शिकार पर गए थे।

गाँव के लोगों ने गांव में जाते ही बताया कि घटना के बाद से पुलिस के जवान एक बार भी पीड़ित परिवार से मिलने नहीं आए। ना मुठभेड़ के बारे में बताया गया। हम लोगों को सुबह पता चला तो जिला मुख्यालय की तरफ़ दौड़ पड़े। जहां पता चला कि मारा गया शख्स कोई नक्सली नहीं मानू नुरेटी है।

विरसाय पोटाई, मानू नुरेटी का साथी, जो उसके साथ बस्तर फाइटर पुलिस बल में जाने के लिए फॉर्म एप्लाई किए थे और साथ मिल कर तैयारी कर रहे थे।

नारायणपुर एडिशनल एसपी नीरज चंद्राकर ने बताया कि रात को 1:30 बजे भरंडा गांव के पास डीआरजी फोर्स की टीम सर्चिंग पर निकली हुई थी। मेन रोड की पुलिया के पास 10 से 15 नक्सलियों ने सर्चिंग पार्टी पर जबरदस्त फायरिंग की। फायरिंग लगभग 10 से 15 मिनट चली। जवाबी फायरिंग में डीआरजी की टीम ने भी फायरिंग की। फायरिंग खत्म होने के बाद सुबह-सुबह एरिया का सर्चिंग किया गया। सर्चिंग में एक डेड बॉडी मिली जिसके पास से एक भरमार बंदूक और नक्सली सामान मिला। सामान में लगभग 3 किलो का कुकर बम, वायर नक्सली साहित्य और कुछ बैनर पोस्टर मिला है। जिस पर नक्सलियों का हाथ है। यह साक्ष्य मुठभेड़ स्थल से मिला है।

( जनचौक संवाददाता तामेश्वर सिन्हा के साथ रिकेश्वर राणा की रिपोर्ट।)

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