घर बह गए, कई जानें गयीं! नैनीताल में चौतरफा तबाही का मंजर

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उत्तराखंड के नैनीताल जनपद की रामगढ़ और धारी विकासखंड में लगातार 3दिन से हुई बारिश से मुक्तेश्वर रामगढ़ क्षेत्र में भारी तबाही हुई है। जिसमें कसियालेख, सूपी लोद,गल्ला, पाटा मोटर मार्ग पूर्ण तरीके से बंद है। यहां पर अधिकतर लोगों की जीविका का एकमात्र साधन खेती किसानी और बागवानी है। आपदा के कारण लोगों के खेत बगीचे और पूरी फसल बह गई। या फिर पहाड़ों से आए मलबे के नीचे दब गई।

पहाड़ों में अक्टूबर के महीने में साल भर के लिए अनाज, दालें और घास इकट्ठा किया जाता है। लेकिन मौसमी आपदा के कारण लोगों का जीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त है। बूढ़ी वना में दो गाड़ियां बह गईं। सूफी गांव में बादल फटने से कई घरों को नुकसान हुआ है और एक गाड़ी बह गई। लोद गांव में गोपाल लोधियाल का घर क्षतिग्रस्त हो गया है और किवी का 50 पेड़ों का पूरा बगीचा और खुमानी पुलम का बगीचा पूरी तरह से बह गया। वहीं तारा सिंह मदन सिंह के घर का आंगन पूरा टूट कर सरक गया। पान सिंह के घर का आंगन कुटी गया लोद के अल्मोड़ी तोक में प्रकाश चंद की दुकान को खतरा बना हुआ है।

गोपाल लोधियाल का घर।

गल्ला में कुन्दन सिंह का घर अभी भी खतरे की चपेट में है। लोगों को उम्मीद थी कि जैसे मौसम ठीक होगा सरकार और प्रशासन की ओर से लोगों को राहत पहुंचाने का काम किया जाएगा। शासन-प्रशासन की तरफ से कोई भी एक व्यक्ति लोगों की सुध लेने नहीं पहुंचा। शासन-प्रशासन तो यह समझ रहा है कि जब लोग मर ही जाएं तब कुछ मुआवजे की घोषणा कर देंगे। इस आपदा में अवसर तलाशने का यह सरकार कहीं इसी फिराक में तो नहीं है। रामगढ़ के झुतिया गांव में 9 लोगों की मौत हो गई है।

इस तरह से न जाने कितने लोगों की जान गई है। पूरी तरह से सारे रास्ते बंद हैं। यहां तक कि पैदल भी कहीं नहीं आया-जाया जा सकता है। सामाजिक कार्यकर्ता और पीड़ित गोपाल लोधियाल का कहना था कि अभी तक सरकार की तरफ से कोई राहत की घोषणा नहीं हुई। ना ही कोई अधिकारी मौके पर आया। कई लोगों के घर के आंगन की दीवारें चली गईं। कहीं के खेत बह गए। कई के मकान टूट गए। कई लोग घर से बेघर हो गए। चारों तरफ तबाही ही तबाही है।

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