मोदी के मुख्यमंत्रित्व दौर से ज्यादा थी सोलंकी के कार्यकाल में गुजरात की जीडीपी

अहमदाबाद। गुजरात के कद्दावर ओबीसी नेता और भूतपूर्व मुख्यमंत्री माधवसिंह सोलंकी की 94वीं जयंती के मौके पर सोलंकी परिवार ने अहमदाबाद के कुशाभाऊ ठाकरे हाल में “स्मरणांजली सभा” का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में पीसीसी अध्यक्ष शक्ति सिंह गोहिल, पूर्व अध्यक्ष जगदीश ठाकोर, सेवा दल के लालजी देसाई, सांसद अमीबेन याग्निक, दीपक बाबरिया समेत तमाम पार्टी के बड़े नेता उपस्थित रहे।

माधव सिंह सोलंकी गुजरात के चार बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं। वे केंद्र में पीवी नरसिंह राव सरकार में विदेश मंत्री भी रहे हैं। सोलंकी की सबसे बड़ी पहचान KHAM (क्षत्रिय,हरिजन,आदिवासी,मुस्लिम) द्वारा 1980 में 141 और 1985 में 149 सीटों पर कांग्रेस के विधायक जिता कर मजबूत सरकार बनाने का रिकॉर्ड है।

हालांकि 2022 में सीआर पाटिल ने सोलंकी का यह रिकॉर्ड तोड़ दिया। सोलंकी के योगदान को सीमित नहीं किया जा सकता। क्योंकि गुजरात में लघु और मध्यम उद्योग के लिए GIDCs की स्थापना हो, अलंग शिपयार्ड ब्रेकिंग, नर्मदा योजना, गुजरात मैरीटाइम बोर्ड की स्थापना इत्यादि कार्य जिसने गुजरात के विकास में बड़ी भूमिका अदा की है यह सभी माधव सिंह सोलंकी के कार्यकाल में हुए हैं।

माधव सिंह सोलंकी को किसी एक परिवार की विरासत बनाना माधव सिंह सोलंकी के व्यक्तित्व को कम आंकने जैसा है। माधव सिंह सोलंकी की जयंती का आयोजन राज्य सरकार द्वारा होना चाहिए था। लेकिन माधव सिंह की जयंती पर कांग्रेस कार्यालय में भी किसी कार्यक्रम का आयोजन नहीं हुआ। माधव सिंह के बेटे भरत सोलंकी और विधानसभा में कांग्रेस पक्ष के नेता अमित चावड़ा ने इस कार्यक्रम का आयोजन किया, दोनों ही सोलंकी परिवार से हैं। 

भूतपूर्व मुख्यमंत्री माधव सिंह सोलंकी

हमारे संवाददाता से बातचीत में अमित चावड़ा ने बताया कि “स्मरणांजलि सभा’ का आयोजन परिवार ने किया था। इस कार्यक्रम में पीसीसी अध्यक्ष शक्ति सिंह गोहिल सहित लगभग सभी बड़े नेता उपस्थित रहे। कार्यक्रम का आयोजन भले ही परिवार द्वारा किया गया हो लेकिन यह कार्यक्रम कांग्रेस पार्टी का ही है।”

गुजरात प्रदेश कांग्रेस को अंदर से समझने वाले पत्रकार अश्विनी अग्रवाल बताते हैं “शक्ति सिंह गोहिल की नियुक्ति के बाद पार्टी में गुटबाजी में बढ़ोत्तरी हुई है। लेकिन पार्टी द्वारा प्रचारित किया जा रहा है कि गुटबाज़ी कम हुई है। शक्ति सिंह कांग्रेस के बड़े नेता हैं। व्यक्तित्व भी बड़ा है। लंबे समय से राजनीति में सक्रिय हैं, अनुभव भी है। लेकिन सामाजिक बेस बहुत ही छोटा है। जिस कारण गोहिल को ऐसी बैसाखी का सहारा लेना पड़ रहा है। जिनका सामाजिक आधार छोटा है और बड़े सामाजिक आधार के नेता बीजेपी से लड़ने के बजाय कांग्रेस में ही नई गोलबंदी कर रहे हैं। कुशाभाऊ ठाकरे हाल में माधवसिंह सोलंकी की जन्मतिथि के मौके पर आयोजित कार्यक्रम को इसी नज़र से देखा जा सकता है।”

राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी एनडीए के विरुद्ध दोनों ही दल INDIA गुट में हैं। संभवतः 2024 लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस दोनों कई राज्यों में साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे। लेकिन गुजरात प्रदेश में कांग्रेस पार्टी बीजेपी से भी बड़ा दुश्मन आम आदमी पार्टी को मानती है। आम आदमी पार्टी में राजनैतिक पर्यटन करने वाले इंद्रनील राजगुरु लगातार आम आदमी पार्टी के नेताओं को कांग्रेस की तरफ लाने के प्रयत्न में लगे हुए हैं।

गुरु ने आप के कई नेताओं को कांग्रेस पार्टी में शामिल किया है और कई बड़े नेताओं पर डोरे भी डाले जा रहे हैं। आम आदमी पार्टी के अहमदाबाद शहर अध्यक्ष बिपिन पटेल का कहना है “पार्टी का कोई बड़ा नेता कांग्रेस में नहीं गया है। जो कांग्रेस में गए हैं वह विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी में जुड़े थे। अब घर वापसी कर रहे हैं। इंद्रनील राजगुरु भी विधानसभा से पहले कुछ समय तक आम आदमी पार्टी में थे। उस समय पार्टी के कार्यकर्ताओं से परिचय हुआ था। उसी का लाभ उठाकर कुछ लोगों को कांग्रेस में शामिल कराया है।”

माधव सिंह सोलंकी की जयंती पर स्मरणांजलि सभा

स्मरणांजलि सभा के मुख्य अतिथि पूर्व कैबिनेट मंत्री जयनारायण व्यास, प्रोफेसर हेमंत शाह और वरिष्ठ पत्रकार अजय उमट थे। प्रोफेसर हेमंत शाह ने माधव सिंह सोलंकी के कार्यकाल की तुलना मोदी के मुख्यमंत्री काल से करते हुए बताया, “माधव सिंह सोलंकी के कार्यकाल में गुजरात की जीडीपी की वृद्धि दर 16.29 प्रतिशत थी। जबकि मोदी और उनके बीजेपी के अन्य मुख्यमंत्रियों के कार्यकाल में यह दर 8.21 प्रतिशत थी।” 

जयनारायण व्यास ने अपने संबोधन में बताया कि “नर्मदा डैम की बुनियाद नेहरू ने रखी थी और 70 प्रतिशत काम कांग्रेस के कार्यकाल में पूरा हुआ है। माधव सिंह ने जब 1980 और 1985 में 141 और 185 विधानसभा सीटें जीती थी तो विरोध पक्ष नेता का पद विपक्ष को दिया था।” आपको बता दें 2022 में कांग्रेस मात्र 17 विधानसभा सीटें जीती है और बीजेपी ने 10 प्रतिशत से कम विधायक होने के कारण कांग्रेस को विरोध पक्ष का पद नहीं दिया।

2014 और 2019 में लोकसभा की सभी 26 सीटें भाजपा के खाते में गई थीं। 2019 की तुलना में कांग्रेस गुजरात में और कमज़ोर दिख रही है। विधानसभा 2022 की तरह ही 2024 के लोकसभा चुनाव में भी त्रिकोणीय मुकाबला होने की संभावना है। शक्ति सिंह गोहिल को कमान कठिन समय में मिली है। गोहिल ने जिला अध्यक्षों को संगठन को मजबूत करने के कड़े निर्देश तो दिए हैं। लेकिन सामाजिक आधार तैयार करने का कोई खास प्रयत्न नहीं दिख रहा है।

(अहमदाबाद से कलीम सिद्दीकी की रिपोर्ट।)

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