Saturday, April 27, 2024

खारघर में हीट स्ट्रोक से मारे जाने वाले लोगों का अपराध क्या था?

महाराष्ट्र। खारघर में 13 लोगों की असमय मौत के पीछे की वजह अब सामने आ रही है, लेकिन देश एक घटना की तह तक पहुंचे उससे पहले ही उसके सामने दो-तीन और भड़काऊ मुद्दे फेंक दिए जाते हैं। बहुसंख्यक मीडिया का हिस्सा उस पिद्दी सी न्यूज़ को लेकर भारी-भरकम शब्दों में चीख-चीखकर दो विपक्षी राय रखने वालों का पैनल बना देता है, और कुछ देर बाद ही दर्शक न्यूज़ के नामपर गटर पत्रकारिता को हर चैनल पर देखकर मानसिक रूप से सहमति बना लेता है कि यही राष्ट्रीय खबर है, यही राष्ट्रीय चिंता का विषय है।

महाराष्ट्र का सर्वोच्च नागरिक सम्मान महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार वितरण समारोह भरी दुपहरी में लू के थपेड़ों के बीच में इसलिए किया गया ताकि अपने श्रद्धेय गुरु सामाजिक कार्यकर्त्ता अप्पासाहेब धर्माधिकारी को सम्मानित होते देखने की चाह में लाखों की संख्या में श्रद्धालु ख़ुशी-ख़ुशी उपलब्ध रहें। खुले आसमान के नीचे होने वाले इस कार्यक्रम की तस्वीरें और वीडियो का चुनावी राजनीतिक लाभ निश्चित रूप से महाराष्ट्र सरकार उठाने के लिए बेकरार थी।

बता दें कि मुंबई से खारघर की दूरी मात्र 30 किमी है। रविवार को खारघर में आयोजित इस विशाल सार्वजनिक आयोजन में अभी तक 13 लोगों की कड़ी धूप से मौत की आधिकारिक सूचना आ रही है। महाराष्ट्र राज्य के सर्वोच्च नागरिक सम्मान के लिए इस बार खारघर के विशाल मैदान को क्यों चुना गया, और इसके पीछे क्या मंशा थी के बारे में पूरे महाराष्ट्र में लोग तमाम तरह की अटकलें लग रही हैं।

इस प्रकार के सम्मान समारोह आमतौर पर देशभर में सभागारों में किये जाते रहे हैं। यहां तक कि गर्मी के मौसम में यदि सार्वजनिक समारोह होते हैं तो वे शाम को ही किये जाते हैं। पिछले वर्ष भी यह सम्मान दिया गया था, जो मुंबई के एक सभागार में हुआ था। इस बार यह पुरस्कार चूंकि एक ऐसे व्यक्ति को दिया जा रहा था, जिसकी संस्था को महाराष्ट्र के भीतर 90 लाख से अधिक लोग फॉलो करते हैं, इसलिए इसका भरपूर राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए इसे किसी सभागार में करने से बेहतर विशाल मैदान में किया गया।

खबर है कि पुरस्कार वितरण समारोह आधिकारिक रूप से 10:30 सुबह शुरू होकर 12 बजे तक संपन्न हो जाना था। लेकिन यह 40 मिनट की देरी से 11:10 पर शुरू किया जा सका और दोपहर 1:15 बजे समापन हुआ। ऐसे आयोजनों को समय पर खत्म करना भारत में संभव नहीं है, ऐसे में आयोजकों को पहले से ही कार्यक्रम को या तो सुबह के समय या शाम 6 बजे के बाद रखना चाहिए था। लेकिन सूत्रों की मानें तो महत्वपूर्ण राजनीतिज्ञों की उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए इसी समय को अंतिम रूप दिया गया।

लोगों के लिए पीने का पानी भी सभास्थल के भीतर नहीं बल्कि सड़क पर उपलब्ध था, जो सभास्थल से काफी दूरी पर होने की वजह से प्यासे लोगों को उपलब्ध न हो सका। वैसे भी लाखों लोगों की भीड़ के लिए यह पानी भी पूरा न पड़ सका और सभा की समाप्ति पर भी बड़ी संख्या में भीड़ और धक्कामुक्की के चलते कई लोग प्यासे ही चल पड़े। सभास्थल से बसें 1 किमी से लेकर 5 किमी की दूरी पर पार्क की गई थीं, नतीजतन हीट स्ट्रोक और पानी की कमी के चलते लोग रास्ते में बेहोशी और चक्कर खाकर गिरने लगे। इतने बड़े आयोजन के लिए आयोजकों को सभास्थल पर ही पीने के पानी की बोतलों की व्यवस्था बड़े पैमाने पर सुनिश्चित करनी चाहिए थी।

आयोजन की समाप्ति पर 50% से अधिक भीड़ जे कुमार सर्किल की ओर चल पड़ी, जहां पर उनके लिए रेलवे स्टेशन जाने के लिए बसें पार्क की गई थीं। चूंकि लोगों को इसके लिए भरी दुपहरी  में 1 से 5 किमी तक की यात्रा पैदल करनी पड़ी, नतीजतन कई लोग अचेत हो रहे थे। एम्बुलेंस और मेडिकल टीम का भी उनतक पहुंच बना पाना दुष्कर हो रहा था, क्योंकि सड़क पर लोगों का हुजूम उमड़ा हुआ था और बसें अपने गंतव्य को निकलने के लिए जूझ रही थीं।

एक तात्कालिक मेडिकल सेटअप मुख्य मंच के पीछे बनाया गया था, लेकिन यह भी जे कुमार सर्किल से 1 किमी की दूरी पर था। जबकि गुरुद्वारा-टाटा अस्पताल रोड को वीवीआईपी मूवमेंट के लिए बंद किया गया था, जो दोपहर 3 बजे ही आम लोगों के लिए खोला गया, जबकि वीवीआईपी मूवमेंट 1.15 बजे ही खत्म हो गया था।

लाखों लोगों के लिए मात्र 3 प्रवेश/निकास द्वार उपलब्ध थे। इसमें से 20% भीड़ मैदान के उत्तरी छोर (तलोजा जेल) की ओर से आ-जा रही थी, जबकि 25% के करीब सेक्टर 27 में रंजन पाड़ा से प्रवेश/निकास कर सकती थी। बाकी के 50% लोगों के लिए जे कुमार सर्किल से ही आने-जाने की व्यवस्था थी। जबकि लोग शनिवार से ही जुटने शुरू हो गये थे और आयोजन के दौरान प्यास लगने के बावजूद कई लोग अपनी सीट छोड़ने के लिए तैयार नहीं थे, क्योंकि उन्हें अपनी सीट हाथ से जाने की आशंका थी, जहां से उन्हें मंच साफ़-साफ़ नजर आ रहा था। इतनी विशाल भीड़ के लिए 3 प्रवेश द्वार को लेकर भी सवाल खड़े किये जा रहे हैं।

मुंबई के सांध्य दैनिक मिड-डे की खबर के मुताबिक एक श्री सदस्य स्वंयसेवक ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि भीड़ का और बेहतर तरीके से प्रबंधन किया जा सकता था। लेकिन पुलिसकर्मी और सरकारी बन्दोबस्त में लगे लोग भी आम लोगों की तरह बुरी तरह से निढ़ाल हो चुके थे, क्योंकि शनिवार की शाम से ही वे सभी लोग बन्दोबस्त में लगे थे।

बता दें कि यह भीड़ अपने गुरु अप्पा साहेब को सुनने और उनके सार्वजनिक सम्मान को देखने के लिए जुटी थी। भले ही इस आयोजन के लिए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पधारे थे और उनके द्वारा उनके अप्पा साहेब को सम्मानित किया जाना था, लेकिन वे सिर्फ उन्हें ही सुनने के लिए आखिर तक रुके रहे। खबर है कि कुल 120 लोग अस्पताल में भर्ती किये गये, जिनमें से अधिकांश की छुट्टी कर दी गई है, लेकिन कुछ अभी भी भर्ती हैं।

सभा में उपस्थित लोगों के मुताबिक पानी के टैंकर भी खुले आसमान में रखे गये थे, जिसके चलते पानी काफी गर्म था और 306 एकड़ तक फैले इस मैदान में लोग खचाखच भरे हुए थे। 250 वाटर टैंकर, 400 पोर्टेबल टॉयलेट, 69 एम्बुलेंस और ग्राउंड मैनेजमेंट के लिए 30 कमेटी बनाई गई थी, जो 10 जिलों से आये लाखों लोगों को मैनेज कर रहे थे। कुल 9 महिलाओं सहित अभी तक 13 लोगों की मौत की खबर की पुष्टि हो चुकी है। अनधिकृत रूप से 20 लोगों के मारे जाने की खबर आ रही है। 

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इस घटना पर दुःख जतात्ते हुए हताहतों के लिए 5 लाख रूपये मुआवजे और घायलों को मुफ्त इलाज दिए जाने की बात कही है। वहीं धर्माधिकारी ने कहा है कि वे इस घटना से बेहद दुखी हैं, लेकिन इसका राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए। उनकी संस्था के मुताबिक यह पूरी तरह से सरकारी आयोजन था, इसलिए इसके आयोजन में उनकी कोई भूमिका नहीं है।

अमित शाह ने भी मृतकों के प्रति अपनी श्रृद्धांजलि व्यक्त की है। एनसीपी की ओर से अजीत पवार और सुप्रिया सुले ने इस घटना की गहन जांच की मांग की है। उद्धव ठाकरे की शिवसेना के नेता राउत और राज ठाकरे ने सवाल खड़े किये हैं कि यह कार्यक्रम शाम के समय क्यों नहीं किया गया? वहीं राज्य के भाजपा मंत्रियों और नेताओं ने कहा है कि सभास्थल के लिए धर्माधिकारी ने स्वंय अपनी सहमति दी थी, और इस घटना का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए।

यह मुद्दा कहीं बड़ा राजनीतिक विवाद का केंद्र न बन जाए, इसके लिए राज्य सरकार इसे दबाने में जुट गई है। रायगढ़ के जिलाधिकारी योगेश महासे ने कार्यक्रम की आयोजक महाराष्ट्र सरकार को इसका दोषी मानने के बजाय लोगों को ही इस घटना के लिए जिम्मेदार बता दिया है। उनके अनुसार रविवार को खारघर में आयोजित महराष्ट्र भूषण पुरस्कार समारोह में तपती धूप के चलते मौत के शिकार लोगों में अधिकांश लोग पहले से ही विभिन्न रोगों के शिकार थे।

बता दें कि इस समारोह के लिए सरकार द्वारा 13.62 करोड़ रूपये खर्च किये गय। केंद्रीय मंत्रियों, मुख्यमंत्री सहित विशिष्ट अतिथियों के लिए स्टेज पर छांव, पेयजल और कूलिंग का भरपूर बंदोबस्त था। लेकिन लाखों की संख्या में दर्जन भर जिलों और बाहरी राज्यों से आये लोगों को तपती दोपहरी में खुले आसमान के नीचे रखा गया। ड्रोन के जरिये सभा की आकर्षक तस्वीरें लेने से इसका राजनीतिक लाभ लिया जा सकता था, जो कनात और तंबू के लगाकर संभव नहीं हो सकता था।

11 बजे से शुरू हुआ यह कार्यक्रम 1 बजे तक जारी रहा। सभा को गृहमंत्री अमित शाह, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडनवीस ने संबोधित किया। इससे पहले ही धर्माधिकारी को सम्मानित किया जा चुका था। उन्हें अंतिम भाषण देना था और यही कारण था कि भीड़ उनको सुनने के लिए भूखे-प्यासे रहते हुए भी अपनी जगह से टस से मस नहीं होना चाहती थी।

यहां तक कि अमित शाह ने भीड़ को देखकर अपने भाषण में कहा कि 42 डिग्री तापमान में भी लाखों की इस भीड़ को उन्होंने जीवन में पहली बार देखा है। जाहिर सी बात है करीब एक करोड़ मतदाताओं के बीच अपनी गहरी पैठ रखने वाले श्री समूह के प्रवर्तक के जरिये भाजपा इस सरकारी सम्मान कार्यक्रम का भरपूर दोहन करने के मूड में थी। लेकिन अंततः यह लालच ही इस भयावह ट्रेजेडी की वजह बना, जिसका अंदाजा आयोजकों को होना चाहिए था।

बता दें कि मौसम विभाग ने अधिकतम 38 डिग्री सेल्सियस तापमान का पूर्वानुमान दिया था। लेकिन समुद्र के करीब कारघर जैसे सभास्थल पर गर्मी से अधिक उमस के चलते शरीर को हाइड्रेट रखने की चुनौती शेष मैदानी क्षेत्रों से कई गुना अधिक बढ़ जाती है। तात्कालिक चुनावी लाभ के आगे विशाल संख्या में आने वाले श्रद्धालुओं का इस तरह से बेमौत मारा जाना भले ही कुछ समय के लिए रुक जाए, लेकिन यदि ऐसी गैर-इरादतन हत्याओं को देश का बौद्धिक वर्ग यदि गोदी मीडिया के भरोसे ही छोड़ देगा तो और भी बड़े पैमाने पर ऐसी घटनाओं की पुनरावृति को ही आमंत्रित करने के अपराध से वह खुद को मुक्त नहीं कर सकता है।

(रविंद्र पटवाल स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)

जनचौक से जुड़े

5 1 vote
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles