नई दिल्ली। दिल्ली के बवाना में दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी द्वारा आज प्रस्तावित वेस्ट टू एनर्जी यानी कचरे से बिजली बनाने के संयंत्र लगाने के संबंध में दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी की ओर से बुलाए गए जन सुनवाई में इस प्रस्ताव को लेकर भारी विरोध हुआ और इस प्रस्ताव को रद्द कर दिया गया।
ज्ञातव्य हो कि (M/s Jindal Urban Waste Management (Bawana) Limited, (स्पउपजमकए) का संयंत्र बवाना के सेक्टर 5 में लगना प्रस्तावित था। चूंकि यह प्रोजेक्ट खतरनाक श्रेणी के अंतर्गत आता है तो नियम के अनुसार आस-पास के क्षेत्र की जनता को अपना पक्ष रखने के लिए जन सुनवाई प्रदूषण नियंत्रण कमेटी द्वारा किया जाना अनिवार्य है। इसी नियम के तहत आज प्रस्तावित संयंत्र के पास एक जन सुनवाई का नोटिस जारी किया गया था।
जब से इस प्रस्तावित प्रोजेक्ट का पता स्थानीय गांव के लोगों को (पुर्नस्थापित बस्तियों के लोग) चला तब से यहां काफी रोष था। इसके साथ ही पर्यावरण के मुद्दों पर सक्रिय संगठनों सिविल सोसाइटीज इस प्रोजेक्ट को लेकर आलोचना कर रहे थे।
आज के जनसुनवाई में स्थानीय लोगों के अलावा बड़ी तादाद में पर्यावरणवादी एवं कचरा चुनने वाले समुदाुय के लोग भी शामिल हुए। आज भारी बारिश की वजह से स्थान में परिवर्तन की वजह से भी काफी अफरा-तफरी भी देखने को मिली।
‘व्यवस्थित कचरा सुरक्षित पर्यावरण अभियान’ की ओर से इस जन सुनवाई में भाग लेने गए शशि बी पंडित और वीरेन्द्र कुमार ने बताया कि आज भारी बारिश की वजह से लोग कम पहुंच पाए लेकिन चौतरफा विरोध के चलते दिल्ली प्रदूषण कमेटी ने इस संयंत्र के प्रस्ताव को रद्द कर दिया।
इस अभियान के नेता शशि बी पंडित ने बताया कि दिल्ली में पहले से चल रहे वेस्ट टू एनर्जी प्लांट से बड़ी मात्रा में प्रदूषण फैल रहा है।

यहां के आसपास के लोग जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर हैं और गंभीर बीमारियों की चपेट में हैं। शशि ने कहा कि अब जनता में काफी जागरुकता आ गयी है और समय आ गया है कि सरकार दिल्ली में चल रहे इस तरह के संयंत्रों को तत्काल प्रभाव से बंद करे और वैकल्पिक योजना के बारे में विचार करे।
उन्होंने कहा कि कचरा के निपटान के लिए सभी रिसाइकिलर्स कूड़ा चुनने वाले समुदायों, पर्यावरणविदों ,नवाचारों पर काम करने वाले लोगों के साथ साझी रणनीति बनाकर काम करे ताकि पर्यावरण और आजीविका को नुकसान पहुंचाए बगैर कूड़े का निस्तारण किया जा सके।
शशि ने बताया कि हाल ही में न्यूयार्क टाइम्स द्वारा ओखला वेस्ट टू एनर्जी प्रोजेक्ट पर किए गए अध्ययन में यह साफ तौर पर इंगित किया गया है कि इस संयत्र से इसके आसपास के करीब दस लाख लोग प्रत्यक्ष तौर पर खतरनाक गैसों और धूल की चपेट में आ गए हैं। इसलिए यह जरूरी है कि इस प्रकार के किसी भी घातक प्रोजेक्ट्स का विरोध किया जाए।
(व्यवस्थित कचरा सुरक्षित पर्यावरण अभियान की ओर से जारी।)