छ्त्तीसगढ़ विधानसभा के सामने SC-St युवाओं का नग्न प्रदर्शन 

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नई दिल्ली। आज छत्तीसगढ़ विधान सभा के सामने Sc-St युवाओं ने नग्न प्रदर्शन किया। आज से ही छत्तीसगढ़ विधानसभा का मानसून सत्र शुरु हुआ है। यह प्रदर्शन ‘अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग फर्जी जाति प्रमाण पत्र मामला संघर्ष समिति’ के बैनर तले हुआ। यह प्रदर्शन फर्जी जाति प्रमाण-पत्र (Sc-St) के आधार पर नौकरी करने के वालों पर कार्रवाई की मांग को लेकर हुआ। समिति ने 17 जुलाई के प्रेस नोट में यह घोषणा की थी कि, ‘फर्जी जाति मामले में कार्रवाई की मांग को लेकर अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग के युवा छत्तीसगढ़ विधानसभा के सामने 18 जुलाई को नग्न प्रदर्शन करेंगे।’   

छत्तीसगढ़ में Sc-St के फर्जी जाति प्रमाणपत्र के आधार पर नौकरी करने वालों की संख्या हजारों में बताई जाती है। यहां तक की Sc-St के फर्जी जाति प्रमाणपत्र के आधार पर विधायक बनने के मामले भी सामने आ चुके हैं। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद से राज्य के विभिन्न विभागों को शिकायतें मिली थीं कि गैर आरक्षित वर्ग के लोग आरक्षित वर्ग के कोटे का शासकीय नौकरियों एवं राजनैतिक क्षेत्रों में लाभ उठा रहे हैं। 

सरकार की गठित समिति ने पाये 267 प्रकरण फर्जी

छत्तीसगढ़ सरकार ने मामले को गम्भीरता से लेते हुए फर्जी जाति प्रमाण पत्र के शिकायतों की जांच करने के लिए उच्च स्तरीय जाति छानबीन समिति का गठन किया। समिति को वर्ष 2000 से लेकर 2020 तक के कुल 758 प्रकरण मिले। जिसमें से 659 प्रकरणों में जांच की गई इसमें 267 प्रकरणों में जाति प्रमाण पत्र फर्जी पाये गए।

छत्तीसगढ़ के लगभग सभी सरकारी विभागों में फर्जी जाति प्रमाण पत्र के प्रकरण पाये गए हैं। इसमें सबसे अधिक खेल एवं युवा कल्याण विभाग में 44 मामले हैं। वहीं भिलाई इस्पात संयंत्र में 18 तथा सामान्य प्रशासन विभाग एवं कृषि विभाग में 14-14 प्रकरण हैं। इस तरह प्रत्येक विभाग में फर्जी जाति प्रमाण पत्र के मामले हैं। जिसकी जांच पूरी होने एवं कार्रवाई के सरकारी आदेश के बाद भी कोई एक्शन नहीं लिया गया है।

समिति का कहना है कि यह आदेश खानापूर्ति ही साबित हुए। सरकारी आदेश को पालन में नहीं लाया गया और फर्जी जाति प्रमाण पत्र के सहारे नौकरी करने वाले कुछ सेवानिवृत हो गए तो कुछ ने जांच समिति के रिपोर्ट को न्यायालय में चुनौती दी। लेकिन सामान्य प्रशासन की ओर से जारी फर्जी प्रमाण पत्र धारकों की लिस्ट में ऐसे अधिकांश लोग है जो सरकारी फरमान के पालन नहीं होने का फायदा उठा रहे हैं और प्रमोशन लेकर मलाईदार पदों में सेवाएं दे रहे हैं। इसे लेकर अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग के युवाओं ने मोर्चा खोल दिया। पहले वे आमरण अनशन पर बैठे। इस अनशन के दौरान कुछ आंदोलनकारियों की तबियत भी खराब हुई। इस सब के बावजूद फर्जी जाति प्रमाणत्र के आधार नौकरी करने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

इसके बाद Sc-St संवर्ग के युवाओं ने ‘अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग फर्जी जाति प्रमाण पत्र मामला संघर्ष समिति’ के बैनर तले नग्न प्रदर्शन जैसा कदम उठाया। 

कौन और क्यों कर रहे निर्वस्त्र प्रदर्शन

दरअसल फर्जी जाति प्रमाण पत्र के मामले में छत्तीसगढ़ सरकार के कार्रवाई की शुरुआत से Sc-St युवाओं में एक खुशी के एक लहर थी। लेकिन सरकार की कार्रवाई किसी अंजाम तक नहीं पहुंची। अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के युवा अब सरकार से नाराज हैं, मसलन जिस फर्जी जाति प्रकरणों की जांच सरकार ने करवाई उसमें पाये गए दोषियों के खिलाफ सरकारी फरमान के बावजूद तीन वर्ष बाद भी कार्रवाई नहीं की गई। बल्कि फर्जी जाति प्रमाण पत्र धारकों को महत्वपूर्ण पदों पर बैठाया जा रहा है और प्रमोशन दिया जा रहा है।

इससे अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के युवा आक्रोश से भर गए और आंदोलन की राह पर उतर आए। आंदोलन के एक अगुवा विनय कौशल ने बताया कि उन्होंने आंदोलन शुरू करने से पहले जिम्मेदार अधिकारियों से बात की थी। उन्होंने ऊपर से दबाव होने की बात की। हमने कार्रवाई न करने पर आंदोलन की चेतावनी दी। उसके बाद हमने 16 मई को आमरण अनशन शुरू किया। 10 दिनों तक यह आंदोलन चला। 10 दिनों के आमरण अनशन के बाद हमारे युवा साथियों को एक-एक कर गंभीर हालातों में अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। लेकिन सरकार और प्रशासन का इस मामले में उदासीन रवैया रहा। हमें आमरण अनशन को स्थगित करना पड़ा। लेकिन हम अपने हक और अधिकार के लिए किसी भी हर तरह के संघर्ष को तैयार हैं। हम अपने अधिकारों और स्वाभिमान से समझौता नहीं कर सकते। इसलिए हमने एक मुश्किल कदम उठाते हुए नग्न प्रदर्शन करने का निर्णय लिया।

(प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित।)

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