विश्वविद्यालय प्रशासन ने डॉ ओमशंकर को विभागाध्यक्ष पद से हटाया, मरीजों के हक में आमरण अनशन जारी

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बनारस। सर सुंदर लाल अस्पताल के हृदय रोग विभाग में मरीजों के लिए बेड की मांग को लेकर आमरण अनशन पर बैठे डॉ. ओमशंकर को शुक्रवार की देर रात विश्वविद्यालय प्रशासन ने विभागाध्यक्ष पद से हटा दिया है। उप-कुलसचिव कार्यालय से जारी आदेश में कहा गया है कि डॉ. ओमशंकर पिछले 13 दिनों से अनशन पर बैठे है जिसके चलते उनकी उपलब्धता नहीं है।

उधर डॉ. ओमशंकर ने दो टूक शब्दों में कहा है कि मरीजों के हक में मेरी लड़ाई जारी रहेगी। आमरण अनशन चलता रहेगा। उन्होंने कहा कि सभी पदों के ऊपर मानवीय संवेदना है। चिकित्सक की सोच अगर मानवीय नहीं है तो फिर वो मरीजों का भला कैसे कर सकता है। उन्होंने कहा कि पिछले दो सालों से सुपर स्पेशियलिटी भवन में हृदय रोग विभाग को दिए जाने वाले बेड पर ताला लगा कर रखा गया है। जिसके चलते मरीजों की जान तक जा रही है। मैंने कुलपति, चिकित्सा अधीक्षक से लेकर प्रधानमंत्री तक को इस बारे में न जाने कितने पत्र लिखे लेकिन जवाब नहीं मिला। बीते 8 मार्च को जवाब न मिलने पर मैंने आमरण अनशन शुरू किया‌। पिछले 8 मार्च को आईएमएस के निदेशक महोदय प्रो. शंखवार ने हृदय रोग विभाग को तत्काल प्रभाव से सुपर स्पेशियलिटी भवन का चौथा तल और आधा पांचवां तल दिये जाने का लिखित आदेश दिया था। लेकिन उस आदेश का अनुपालन नहीं किया गया। मेरे पास आमरण अनशन पर बैठने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं था।

लगातार 14 वें दिन आमरण अनशन पर बैठे डॉ. ओमशंकर ने कहा भ्रष्टाचार के खिलाफ मेरी लड़ाई जारी रहेगी।  इलाज मरीजों का हक है और बेड न होने से इलाज नहीं हो रहा है। अपनी अनुपलब्धता पर उन्होंने कहा मैं अपने ही चैंबर में बीते 14 दिनों से लगातार आमरण अनशन पर हूं। इस दौरान मैं लगातार मरीज भी देख रहा हूं अपनी सेवाएं दे रहा हूं। उन्होंने कहा कार्यवाही अस्पताल के भ्रष्ट चिकित्सा अधीक्षक पर होनी चाहिए लेकिन कुलपति उन्हें बचा रहे हैं।

सूत्रों के अनुसार डॉ. ओमशंकर के लगातार आमरण अनशन पर बने रहने और मिल रहे जन-समर्थन के चलते विश्वविद्यालय प्रशासन को दिक्कत महसूस हो रही है। बनारस में आगामी 1 जून को मतदान होना है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी यहां से उम्मीदवार है। ऐसे में भाजपा का पूरा कुनबा, केन्द्रीय मंत्री सहित कई राज्यों के मुख्यमंत्री भी यही होंगे। बनारस से पूरे पूर्वांचल को साधना है। सरकारी अमला नहीं चाहता कि कहीं से भी कोई गड़बड़ी हो। खुद प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र के सबसे बड़े अस्पताल में हृदय रोग जैसे विभाग में मरीजों को बेड न मिलने के चलते जान जाना बड़ा मुद्दा बन सकता है। विपक्ष इस मुद्दे को बड़ा मुद्दा बना सकता है। ऐसे में डॉ. ओमशंकर का आमरण अनशन विश्वविद्यालय प्रशासन सहित जिला प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। उनको विभागाध्यक्ष पद से हटाया जाना उनपर दबाव बनाने के लिए किया गया है। अगले कदम के तौर पर उन्हें अनशन से हटाया भी जा सकता है।

(बनारस से भास्कर गुहा नियोगी की रिपोर्ट)

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