संविधान दिवस: संवैधानिक अधिकारों पर हो रहे हमलों के खिलाफ लड़ने का महिलाओं ने लिया संकल्प

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लखनऊ। 26 नवम्बर 2023 को संविधान दिवस के अवसर पर लखनऊ के सरोजिनी नगर क्षेत्र के रानीपुर में ‘महिलाओं के संवैधानिक अधिकार और लोकतंत्र के समक्ष चुनौतियां’ विषय पर ऐपवा लखनऊ द्वारा आयोजित गोष्ठी को मुख्य वक्ता के बतौर संबोधित करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता नाइश हसन ने कहा कि संविधान बनने के 73 साल बाद भी संविधान की मूल भावना पूरी तरह लागू नहीं हो पाई है। न्याय, स्वतंत्रता, समता और भाईचारा के बुनियादी मूल्य भी आज खतरे में पड़ गए हैं।

उन्होंने कहा कि हम ये महसूस कर रहे हैं कि संविधान प्रदत्त अधिकारों पर राज्य प्रयोजित हमले बढ़े हैं, वह चाहे असहमति और अभिव्यक्ति की आज़ादी हो अथवा अपने धार्मिक विश्वास और पहचान के साथ जीने की आज़ादी हो। सुधा भारद्वाज, सोमा सेन, तीस्ता सीतलवाड़, अरुंधति रॉय जैसी महिला बुद्धिजीवियों समेत आज वे तमाम लोग सत्ता के निशाने पर हैं, जो हाशिये के तबकों के न्याय और अधिकार के लिए आवाज़ उठा रहे हैं।

नाइश हसन ने आगे कहा कि इस दौर में समाज में प्रतिक्रियावादी मूल्यों का पुनरुत्थान तथा वर्चस्वशाली दबंग ताकतों का उभार हो रहा है, जो न्याय व बराबरी के मूल्यों के दुश्मन हैं और समाज के उत्पीड़ित तबकों के ऊपर उनके हमले लगातार बढ़ रहे हैं। हालात ये है कि उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में एक दलित को पेशाब पिलाने की बर्बर घटना सामने आई है, वहीं पिछले दिनों मध्यप्रदेश में आदिवासी के ऊपर पेशाब करने का मामला सुर्ख़ियो में रहा है।

गोष्ठी को संबोधित करते हुए ऐपवा नेता मीना सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश में महिला हिंसा व दलित उत्पीड़न की बाढ़ आ गयी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के राज में हिंसा हो सकती है लेकिन प्रतिरोध नहीं हो सकता है, इसकी एक बानगी हाल ही में BHU परिसर में देखने को मिली, जहां इतिहास में पहली बार विश्वविद्यालय परिसर में एक छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार की भयानक वारदात हुई।

मीना सिंह ने कहा कि बीएचयू की भयावह घटना के प्रतिरोध में हजारों की संख्या में छात्र-छात्राएं स्वत: स्फूर्त ढंग से पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए सड़क पर उतरे, तो उल्टे उन्हें ही प्रशासन और ABVP के लंपटों के हमले का शिकार होना पड़ा। पीड़िता के द्वारा  शिनाख्त के बावजूद अपराधी की अब तक गिरफ्तारी नहीं हुई है। बुलडोजर न्याय के नाम पर तमाम गरीबों-दलितों व अल्पसंख्यकों के आशियाने उजाड़े जा रहे हैं लेकिन अपराधी बेखौफ छुट्टा घूम रहे हैं।

लेखिका डॉ अवंतिका सिंह ने सवाल पूछा कि हमारे संविधान में एकता की बात लिखी गई है, धर्मनिरपेक्षता की बात है लेकिन उसके बाद भी आखिर धर्म के नाम पर हमले और दंगे फसाद क्यों होते हैं? इस देश में जब नागरिकों को एकल नागरिकता दी गई है तब क्यों जातिगत आधार पर भेदभाव किया जाता है?

उन्होंने आगे कहा कि संविधान में महिलाओं की सुरक्षा की बात की गई है, समानता की बात की गई है उसके बाद भी हमारे देश में निर्भया कांड, श्रद्धा कांड होते हैं और मणिपुर जैसी शर्मनाक अनगिनत घटनाएं होती हैं। महिलाओं के साथ होने वाली घरेलू हिंसा में दिन पर दिन बढ़ोत्तरी होती जा रही है। तब मन में सवाल उठता है कि क्या हमारे देश के संविधान में जो जो लिखा है उसका सही सही पालन हो रहा है क्या?

कार्यक्रम के शुरू में जनमत की प्रबंध सम्पादक का0 मीना राय को श्रद्धांजलि अर्पित की गई, जिनकी 21 नवम्बर को अचानक मृत्यु हो गयी।

गोष्ठी की शुरूआत छात्रा संध्या द्वारा संविधान की प्रस्तावना के पाठ से हुई। गोष्ठी को मजदूर नेता मनोज, इंसाफ मंच के अध्यक्ष आर बी सिंह, सचिव ओमप्रकाश राज, मीना, राम बख्स, सुषमा, अनीता व सपना ने संबोधित किया। संचालन ऐपवा नेता रेनू सिंह ने किया। गोष्ठी की अध्यक्षता मीना रावत ने किया।

(जनचौक की रिपोर्ट।)

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