Thursday, March 28, 2024

ऑडिटोरियम

दुनिया छोड़ जाने के बाद भी सिखाते रहेंगे इब्राहिम अल्काजी

उस समय जबकि नाटक को निचले दर्जे की चीज़ माना जाता था और नाटक करने आए लड़के-लड़कियों को ‘नाचने-गाने वाले’ कहकर दूर हटाया जाता था। उस समय अल्काज़ी आधुनिक हिन्दुस्तानी रंगमंच की नयी फसल पैदा करने की तैयारी में...

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ग्राउंड रिपोर्ट: रीति रिवाजों के नाम पर लैंगिक भेदभाव से मुक्त नहीं हुआ समाज

हमारे समाज में अक्सर ऐसे कई रीति रिवाज देखने को मिलते हैं जिससे लैंगिक भेदभाव स्पष्ट रूप से नज़र आता...