Friday, April 19, 2024

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बीएचयू: छात्रों के हमलावरों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर विरोध-प्रदर्शन

बनारस। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय आजकल जाति व धर्म को लेकर खूब चर्चा में है। ऐसे में तो विश्वविद्यालय के कुलगीत में बनारस को सर्वविद्या और विश्वविद्या की राजधानी अंकित किया गया है और लोग मानते भी हैं लेकिन पिछले...

दक्षिण अफ्रीका: पूर्व राष्ट्रपति जैकब जुमा की गिरफ्तारी के खिलाफ हिंसा में 72 की मौत, चौतरफा अराजकता का माहौल

दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति जैकब जुमा की गिरफ्तारी के बाद शुरू हुई हिंसा में 72 लोगों की मौत हो गयी है जबकि हजारों लोग घायल और गिरफ्तार किये गये हैं। हिंसा सबसे पहले जैकब जुमा के गृह-राज्य क्वाजूलू-नेटल...

खुदाई खिदमतगार प्रमुख फैसल खान की गिरफ्तारी गैरकानूनी होने के साथ मानवता के लिए कलंक है

खुदाई खिदमतगार के प्रमुख फैसल भाई को उत्तर प्रदेश पुलिस ने धारा 153ए, 295, 505 के तहत गिरफ्तार कर लिया। टीवी पर खबर देखी की स्वयंभू हिन्दू नेता और धर्म गुरू कड़ी सजा देने की मांग कर रहे हैं। इससे...

विनोद दुआ की गिरफ़्तारी पर रोक, घर में ही पुलिस कर सकती है ऑनलाइन पूछताछ

उच्चतम न्यायालय के जस्टिस यू यू ललित, जस्टिस एमएम शांतानागौडर और जस्टिस विनीत सरन की पीठ ने प्रख्यात पत्रकार विनोद दुआ की गिरफ्तारी पर 6 जुलाई तक रोक लगा दी है और कहा है कि 24 घंटे की पूर्व...

राजनीतिक बदले की भावना से हुई दारापुरी की गिरफ्तारी: अखिलेन्द्र

लखनऊ। राजनीतिक बदले की भावना से मजदूर किसान मंच के प्रदेश अध्यक्ष व लोकप्रिय अम्बेडकरवादी मूल्यों के नेता पूर्व आईपीएस अधिकारी एसआर दारापुरी की गिरफ्तारी प्रदेश सरकार ने की है। यह बयान स्वराज इण्डिया के नेशनल प्रेसीडियम सदस्य अखिलेन्द्र प्रताप सिंह ने...

हिंसक झड़प के बाद कश्मीर में कुछ जगहों पर फिर लगा दी गयी पाबंदी, अब तक 4000 लोग गिरफ्तार

नई दिल्ली। छूट के दौरान कुछ जगहों पर हिंसा भड़कने के बाद प्रशासन ने कश्मीर में फिर से पाबंदी लगा दी है। अल जजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक श्रीनगर के बड़े हिस्सों में बांशिदों और पुलिस के बीच हिंसक झड़प हुई...

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लोकतंत्र का संकट राज्य व्यवस्था और लोकतंत्र का मर्दवादी रुझान

आम चुनावों की शुरुआत हो चुकी है, और सुप्रीम कोर्ट में मतगणना से सम्बंधित विधियों की सुनवाई जारी है, जबकि 'परिवारवाद' राजनीतिक चर्चाओं में छाया हुआ है। परिवार और समाज में महिलाओं की स्थिति, व्यवस्था और लोकतंत्र पर पितृसत्ता के प्रभाव, और देश में मदर्दवादी रुझानों की समीक्षा की गई है। लेखक का आह्वान है कि सभ्यता का सही मूल्यांकन करने के लिए संवेदनशीलता से समस्याओं को हल करना जरूरी है।