हाल ही में परिकल्पना प्रकाशन द्वारा प्रकाशित "स्मृतियों के आईने में अरुण कुमार पांडेय", हम सब से हमेशा के लिए विदा हो चुके वरिष्ठ पत्रकार अरुण पांडेय को श्रद्धांजलि है। इसका पहला भाग देश में चले ऐतिहासिक किसान आंदोलन...
स्वर काफी धीमा था पर आवाज अरुण की ही थी, वो अस्पताल से लौटे थे पहली बार, कमल भाई, समय लगेगा मगर मैं ठीक हो जाऊँगा। अपने पर घनघोर विश्वास ही अरुण की ताकत थी। यह अक़ीदा उनमें बार-बार...